UP News: राज्यकर्मियों पर सख्ती, आईएएस पर दरियादिली
आईएएस, आईपीएस और पीसीएस अफसरों की संपत्ति के ब्योरे की जांच क्यों नहीं?
Sandesh Wahak Digital Desk: यूपी सरकार की नीति भ्रष्टाचार के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस की है। तभी तकरीबन 13 लाख राज्यकर्मियों से इस बार संपत्ति का ब्योरा सरकार हर हाल में लेना चाहती है।
ब्यौरा नहीं देने वाले कर्मियों का सितंबर माह का वेतन भी रोक दिया गया है। वहीं जिन कर्मियों ने सम्पत्तियों का ब्योरा दाखिल किया है। उनकी रैंडम जांच भी कराने के मूड में योगी सरकार नजर आ रही है। लेकिन आईएएस, आईपीएस और पीसीएस अफसरों के सम्पत्ति ब्योरे की जांच कराने को कोई तैयार नहीं है। प्रदेश के 32 हजार से अधिक राज्य कर्मियों ने अभी भी अपना सम्पत्ति ब्यौरा दाखिल नहीं किया है। इसको लेकर यूपी सरकार ने तेवर और तल्ख़ किये हैं।
मलाईदार विभागों में तैनात राज्यकर्मियों की आर्थिक सेहत तेजी से बढ़ी
कई मलाईदार विभागों में बैठे अफसरों और कर्मियों की आर्थिक रीढ़ वाकई बेहद मजबूत हो चली है। जिसकी जांच जरूरी है। वहीं दूसरी तरफ यूपी के कई घोटालों की जांचों में फंसे आईएएस, आईपीएस और पीसीएस के सम्पत्ति ब्योरे के सत्यापन की पहल नहीं हो रही है। बीते दो वर्षों में आयकर विभाग ने कई आईएएस अफसरों की सम्पत्तियां पकड़ी हैं। इनके सम्पत्ति ब्योरे की जांच कराना जिम्मेदारों ने मुनासिब नहीं समझा। यूपी के आईएएस के सम्पत्ति का स्वघोषित ब्यौरा कितना प्रामाणिक है, इसकी जांच जरुरी है।
इन विभागों में सबसे ज्यादा ऊपरी कमाई का फेर
आवास, नगर विकास, औद्योगिक विकास, स्वास्थ्य, राज्य कर, वन, शिक्षा, बिजली, पंचायती राज, सिंचाई, निर्माण निगम, विकास प्राधिकरण, नगर निगम, पशुपालन, स्टाम्प एवं निबंधन, पीडब्ल्यूडी समेत तमाम ऐसे मलाईदार विभागों में बैठे अधिकांश कर्मियों-अफसरों की आर्थिक सेहत बेहद मजबूत है।
इन आईएएस ने बटोरी सुर्खियों, कई हो गये रिटायर
हाल ही में पूर्व आईएएस मोहिंदर सिंह के अरबों के अवैध साम्राज्य का खुलासा हुआ है। इसी तरह बीते वर्षों में अभय, चन्द्रकला, विवेक, डीएस उपाध्याय, संतोष राय, दीपक सिंघल, सत्येंद्र सिंह, प्रशांत त्रिवेदी, संजीव सरन, रमारमण, चंचल तिवारी, प्रदीप शुक्ला, अनिल राजकुमार, गुरदीप सिंह ने खूब सुर्खियां बटोरी हैं। अधिकांश अफसर अब आराम से रिटायर हो चुके हैं।
डीओपीटी से हुई थी तंत्र बनाने की सिफारिश
पिछले साल ही संसद की समिति ने डीओपीटी से आईएएस के सम्पत्ति ब्यौरों को जांचने के लिए तंत्र बनाने की सिफारिश की थी। बीते दस वर्षों में सैकड़ों आईएएस अफसरों ने सम्पत्ति ब्यौरों को डीओपीटी में नहीं जमा किया है। यूपी के कई आईएएस को धन कुबेर भी कहा जाता है।
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