पश्चिम बंगाल एंटी रेप विधेयक पास, 36 दिनों के भीतर सजा-ए-मौत

Sandesh Wahak Digital Desk : पश्चिम बंगाल विधानसभा ने विपक्ष के पूर्ण समर्थन के साथ राज्य का बलात्कार रोधी विधेयक सर्वसम्मति से पारित किया। कई घंटों की चर्चा के बाद इस बिल को पास किया गया। इस बिल का आधिकारिक नाम अपराजिता महिला एवं बाल (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून संशोधन) 2024 है।

सदन ने विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी द्वारा विधेयक में प्रस्तावित संशोधन स्वीकार नहीं किए। पश्चिम बंगाल के कानून मंत्री मलय घटक ने मंगलवार को राज्य विधानसभा के विशेष सत्र में बलात्कार रोधी विधेयक पेश किया था।

रेप और हत्या करने वाले आपराधी के लिए फांसी की सजा का प्रावधान

इस विधेयक में यौन हिंसा और हत्या के अपराधियों के लिए फांसी की सजा का प्रावधान शामिल है। इसका उद्देश्य है कि गंभीर यौन अपराधों और हत्या के मामलों में दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए, ताकि ऐसे अपराधों पर प्रभावी नियंत्रण स्थापित किया जा सके और समाज में सुरक्षा की भावना मजबूत हो सके। विधेयक के तहत, यदि कोई व्यक्ति बलात्कार और हत्या का दोषी पाया जाता है, तो उसे फांसी की सजा दी जा सकती है। यह प्रावधान उन मामलों के लिए है जहां अपराध की गंभीरता और पीड़ित की स्थिति को देखते हुए फांसी की सजा उचित मानी जाती है। इस सजा का उद्देश्य अपराधियों को एक कठोर दंड देना है, जिससे समाज में न्याय की भावना को कायम रखा जा सके और भविष्य में इस तरह के अपराधों की प्रवृत्ति को रोकने में मदद मिले।

36 दिनों के भीतर सजा-ए-मौत का प्रावधान

विधेयक के तहत, गंभीर यौन अपराधों और हत्या के मामलों में विशेष प्रावधान किया गया है कि चार्जशीट दायर करने के 36 दिनों के भीतर सजा-ए-मौत का निर्णय लिया जा सके। इस प्रावधान का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि मामलों में त्वरित न्याय प्रदान किया जाए और न्यायिक प्रक्रिया को तेजी से पूरा किया जा सके। इस प्रावधान के अनुसार, जब कोई यौन अपराध या हत्या का मामला दर्ज किया जाता है और चार्जशीट दायर की जाती है, तो इस मामले की सुनवाई और सजा के निर्णय की प्रक्रिया को 36 दिनों के भीतर पूरा करना अनिवार्य होगा। इसका मतलब है कि आरोपी को दोषी ठहराने और सजा-ए-मौत का आदेश देने की प्रक्रिया को एक निर्धारित समय सीमा के भीतर पूरा करना होगा। इसके अलावा पीड़ित के कोमा में जाने या मौत होने पर दोषी को 10 दिन में फांसी की सजा होगी।

21 दिन में करनी होगी पूरी जांच 

इस विधेयक के अनुसार, गंभीर यौन अपराधों और हत्या के मामलों में एक महत्वपूर्ण प्रावधान यह है कि पुलिस को जांच पूरी करने के लिए 21 दिनों की समय सीमा दी गई है। इसका उद्देश्य है कि अपराध की जांच त्वरित और प्रभावी तरीके से की जा सके, जिससे न्याय प्रणाली में किसी भी प्रकार की देरी को कम किया जा सके। जब कोई यौन अपराध या हत्या का मामला दर्ज किया जाता है, तो पुलिस को उस मामले की पूरी जांच 21 दिनों के भीतर समाप्त करनी होगी। इसमें अपराध की साक्ष्य इकट्ठा करना, गवाहों के बयान दर्ज करना, और अन्य जरूरी जांच प्रक्रियाएं शामिल हैं।

 

ये भी पढ़ें – 69000 शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों ने अनुप्रिया पटेल के पार्टी कार्यालय और आवास का किया घेराव

Get real time updates directly on you device, subscribe now.