Violence in Nepal: सेना की तैनाती के बावजूद उपद्रव जारी, 100 से अधिक गिरफ्तार, पूर्व पीएम ने की अपील

Violence in Nepal: नेपाल में राजशाही की बहाली और हिंदू राष्ट्र की मांग को लेकर हिंसा भड़क उठी है। प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों के बीच झड़पों में अब तक दो लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 100 से अधिक गिरफ्तारियां हो चुकी हैं। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सेना को तैनात किया गया, लेकिन विरोध प्रदर्शन थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। हालांकि, कर्फ्यू हटाए जाने के बाद हालात में कुछ सुधार देखा गया है।

हिंसा की शुरुआत कैसे हुई?

राजशाही समर्थकों ने शुक्रवार को काठमांडू के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शन किया। इस दौरान उन्होंने पथराव किया, वाहनों और इमारतों में आग लगा दी, दुकानों में लूटपाट की और एक राजनीतिक दल के कार्यालय पर हमला कर दिया। इसके जवाब में पुलिस ने बल प्रयोग किया, जिससे हिंसा और बढ़ गई।

प्रदर्शन के दौरान संयोजक दुर्गा प्रसाई ने सुरक्षा बैरिकेड तोड़कर बुलेटप्रूफ वाहन में संसद भवन की ओर बढ़ने का प्रयास किया, जिसके बाद प्रदर्शन और उग्र हो गया। इस झड़प में एक टीवी कैमरामैन समेत दो लोगों की मौत हो गई और दर्जनों पुलिसकर्मी और प्रदर्शनकारी घायल हो गए। पुलिस के अनुसार, हिंसा के मुख्य साजिशकर्ता प्रसाई अब भी फरार हैं।

प्रदर्शनकारियों का क्या कहना है?

प्रदर्शनकारी नेपाल में 240 साल पुरानी राजशाही की पुनर्बहाली और देश को हिंदू राष्ट्र घोषित करने की मांग कर रहे हैं। नेपाल को 2008 में संघीय, लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित किया गया था, जिसके बाद से ही राजशाही समर्थक समय-समय पर इसका विरोध करते रहे हैं। हाल ही में पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह द्वारा जनता से समर्थन की अपील करने के बाद यह आंदोलन और तेज हो गया।

पूर्व पीएम प्रचंड ने की शांति की अपील

नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड ने हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा किया और जनता से शांति बनाए रखने की अपील की। प्रशासन ने स्थिति पर नजर बनाए रखी है, लेकिन प्रदर्शनकारियों का रुख देखते हुए तनाव अभी भी बरकरार है।

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