Uniform Civil Code: UCC लागू करने वाला पहला राज्य बना उत्तराखंड, सीएम पुष्कर धामी ने जारी की नियमावली
Sandesh Wahak Digital Desk: उत्तराखंड में दो साल से अधिक समय की तैयारियों के बाद आज समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) लागू हो गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को मुख्य सेवक सदन में यूसीसी के पोर्टल और नियमावली का लोकार्पण किया है। यूसीसी पोर्टल लॉन्च होते ही बहुत सारी चीजें बदल गई हैं। इसके साथ ही यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है। इससे पहले गृह सचिव की ओर से शनिवार को इसके संबंध में पत्र भी जारी कर दिया गया था।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यूसीसी की नियमावली जारी करते हुए बाबा साहेब को श्रद्धांजलि दी। इसके साथ ही धामी ने अमित शाह का आभार भी जताया। उन्होंने कहा कि इस कानून से समानता स्थापित होगी। ये देश के लिए आधार बनेगा। यूसीसी से महिलाएं सशक्त होंगी। उन्होंने कहा कि UCC लागू होने पर मैं भावुक हूं। सभी धर्म के लोगों को समान अधिकार होना चाहिए।
सीएम धामी ने कहा कि UCC का संकल्प हमने पूरा कर दिया। UCC से कुप्रथाएं दूर की गई। संपत्ति के बंटवारे को लेकर कानून है। बेटी को समान अधिकार मिलेगा और किसी तरह का भेद नहीं किया जाएगा। लिव इन रिलेशनशिप में पैदा हुए बच्चों को उनका हक मिलेगा। तलाक के नियम एक समान होंगे। एसटी समाज को इससे दूर रखा गया है। सीएम धामी ने कहा कि यूसीसी से समानता लागू होगी। सभी वर्गों के सुझाव से यूसीसी बना। समान नागरिक संहिता दिवस के रूप में हर साल 27 जनवरी को मनाया जाएगा।
जानिए क्या है नियमावली?
- यूसीसी लागू होने के बाद राज्य में हलाला जैसी प्रथा बंद हो जाएगी। बहुविवाह पर रोक होगी।
- बिल में लड़कियों को भी लड़कों के बराबर ही विरासत का अधिकार देने का प्रस्ताव है।
- बिल में शादी का रजिस्ट्रेशन ज़रूरी है। इसके साथ ही शादी का रजिस्ट्रेशन नहीं कराने पर सरकारी सुविधाएं नहीं देने का प्रस्ताव भी रखा गया है।
- विवाह और तलाक का पंजीकरण अनिवार्य, पंजीकरण न कराने पर 25,000 रुपये जुर्माना।
- 15 दिन में निर्णय नहीं तो पंजीकृत माना जाएगा विवाह।
- यूसीसी में सशस्त्र बलों के लिए विशेष व्यवस्था की गई है।
- समान नागरिक संहिता बिल में लिव-इन रिलेशनशिप के लिये रजिस्ट्रेशन ज़रूरी है। यूसीसी के नियम-कानून से अनुसूचित जनजाति को बाहर रखा गया है। ट्रांसजेंडर, पूजा-पद्धति व परंपराओं में भी कोई बदलाव नहीं किया गया है।
- UCC विधेयक महिला अधिकारों पर केंद्रित है। इसमें बहु-विवाह पर रोक का प्रावधान है। लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल से बढ़ाने का प्रावधान है।
- बिल में बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया आसान होगी। मुस्लिम महिलाओं को भी बच्चा गोद लेने का अधिकार देने का प्रस्ताव बिल में है।
- नाजायज और गोद लिए बच्चों को जैविक संतान के समान अधिकार। लिव-इन में रहने वालों के बच्चों को जायज माना जाएगा। सभी धर्मों में बच्चों को गोद लेने का अधिकार मिलेगा। हालांकि, दूसरे धर्म के बच्चे को गोद नहीं लिया जा सकेगा।
- तलाक या घरेलू झगड़ों में पांच वर्ष तक के बच्चे की कस्टडी मां के पास रहेगी। लड़कियों की शादी की उम्र चाहे वह किसी भी जाति-धर्म की हो, एक समान होगी।
UCC का सफर
- 12 फरवरी 2022 को विधानसभा चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री धामी ने UCC लागू करने का वादा किया।
- मई 2022 में सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में विशेषज्ञ समिति गठित की गई।
- 2 फरवरी 2024 को समिति ने सरकार को ड्राफ्ट रिपोर्ट सौंपी।
- 8 मार्च 2024 को विधानसभा में UCC विधेयक पारित हुआ और 12 मार्च 2024 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिली।