उत्तर प्रदेश: 9 परिक्षेत्रों में 1 भी डीआईजी नहीं, नए महानिदेशक के सामने चुनौतियों का अंबार
उत्तर प्रदेश के नए महानिदेशक कारागार के सामने चुनौतियों का अंबार है। वजह कारागार विभाग में अधिकारियों की संख्या काफी कम है।
संदेशवाहक डिजिटल डेस्क/लखनऊ। उत्तर प्रदेश के नए महानिदेशक कारागार के सामने चुनौतियों का अंबार है। वजह कारागार विभाग में अधिकारियों की संख्या काफी कम है। जेल मुख्यालय से लेकर जेलों पर अधिकारियों और सुरक्षाकर्मियों की संख्या बंदियों के अनुपात में काफी कम है। आलम यह है कि विभाग के एक-एक अधिकारी को कई-कई काम करने के लिए विवश होना पड़ रहा है। ऐसा तब है जब प्रदेश की दर्जनों जेलों में क्षमता से अधिक बंदी निरुद्ध हैं। विभाग के नए मुखिया के लिए अधिकारियों और सुरक्षाकर्मियों की कमी को दूरी करना आसान नहीं होगा।
शासन ने दो दिन पहले पावर कारपोरेशन के महानिदेशक को कारागार विभाग की जिम्मेदारी सौंपी। पावर कारपोरेशन से कारागार विभाग स्थानांतरित हुए महानिदेशक बने एसएन साबत ने शनिवार को जेल मुख्यालय पहुंचकर अपना कार्यभार संभाल लिया। प्रभार संभालने के बाद उन्होंने विभाग में तैनात अपर महानिरीक्षक कारागार प्रशासन और उप महानिरीक्षक जेल मुख्यालय के अधिकारियों के साथ बैठक कर विभागीय कार्यों की जानकारी प्राप्त की। इस दौरान उन्होंने जेल अधिकारियों को खूंखार और शातिर अपराधियों पर विशेष निगरानी रखने के निर्देश दिए।
प्रशिक्षण संस्थान में भी एआईजी/निदेशक का पद भी खाली
सूत्रों के मुताबिक प्रदेश के कारागार मुख्यालय में कई महत्वपूर्ण पदों पर अधिकारी तैनात नहीं है। मुख्यालय में अपर महानिरीक्षक विभागीय का पद पिछले काफी समय से खाली पड़ा हुआ है। जेल मुख्यालय में डीआईजी के दो पद सृजित हैं। एक डीआईजी के रिटायर होने के बाद अब मुख्यालय में एक ही डीआईजी बचे हैं। इसी प्रकार मुख्यालय में कई महत्वपूर्ण पदों पर अधिकारी तैनात नहीं है। मुख्यालय में वरिष्ठ अधीक्षक मुख्यालय का पद भी अधिकारी के रिटायर होने के बाद से खाली पड़ा है। जेल प्रशिक्षण संस्थान में भी एआईजी/निदेशक का पद खाली है।
विभागीय काम हो रहा प्रभावित
विभाग में अधिकारियों की कमी का आलम यह है कि प्रदेश के नौ परिक्षेत्रों में एक भी उप महानिरीक्षक (डीआईजी) नहीं है। जेलों के कर्मियों को एसीपी और दंड देने का अधिकार डीआईजी को ही होता है। वर्तमान समय में जेल परिक्षेत्रों का काम वरिष्ठ अधीक्षक संभाल रहे हैं। अधिकारियों की कमी की वजह से एक-एक अधिकारी के पास कई-कई जिम्मेदारियां हैं। इससे विभागीय काम भी प्रभावित हो रहा है।
एक परिक्षेत्र में आठ से लेकर दस-बारह जेल
विभागीय जानकारों का कहना है कि प्रदेश कारागार विभाग में लखनऊ, प्रयागराज, वाराणसी, गोरखपुर, अयोध्या, आगरा, मेरठ, कानपुर और बरेली कुछ नौ परिक्षेत्र है। एक परिक्षेत्र में आठ से लेकर दस-बारह जेल हैं। इन सभी परिक्षेत्रों की जिम्मेदारी डीआईजी जेल की होती है।
एक लाख 15 हजार बंदी निरुद्ध
वर्तमान समय में प्रदेश की 73 जेलों में करीब 75 से 80 हजार बंदियों को रखने की क्षमता है। वर्तमान समय में करीब एक लाख 15 हजार बंदी निरुद्ध हैं।
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