UPSC: सपा शासनकाल के भ्रष्टों पर एजेंसी मेहरबान, गिरफ्तारियों का सिलसिला शुरू नहीं
सपा शासनकाल में 2012 से 2017 तक लोक सेवा आयोग से 584 श्रेणियों के चालीस हजार से ज्यादा पदों पर भर्तियां की गयी थीं।
संदेशवाहक डिजिटल डेस्क। सपा शासनकाल में 2012 से 2017 तक लोक सेवा आयोग से 584 श्रेणियों के चालीस हजार से ज्यादा पदों पर भर्तियां की गयी थीं। इनमें 20 लाख से ज्यादा आवेदन आये थे। सबसे ज्यादा विवाद साढ़े पांच सौ तरह की ऐसी सीधी भर्तियों पर था, जो अकेले इंटरव्यू से ही हुईं थीं। पीसीएस से लेकर लोअर और आरओ-एआरओ (RO/ARO) और एपीओ की भर्तियों पर भी खूब कोहराम मचा। सीबीआई आयोग की भर्तियों में घोटाले की जांच तकरीबन पांच वर्षों से कर रही है। लेकिन अभी तक बड़े घोटालेबाज एजेंसी की गिरफ्त से कोसों दूर नजर आ रहे हैं।
खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूपी विधानसभा चुनाव (UP Assembly Elections) के दौरान 2017 में लोक सेवा आयोग के भर्ती घोटालों को प्रमुखता से उठाया था। सबसे प्रमुख प्रकरण अपर निजी सचिव भर्ती 2010 का है। लम्बे समय बाद एपीएस-2010 भर्ती परीक्षा घोटाले में अगस्त 2021 में सीबीआई ने तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक आईएएस प्रभुनाथ (Controller of Examinations IAS Prabhunath) समेत आयोग के अन्य अफसरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। इसके बाद सचिवालय के 223 अपर निजी सचिवों की नौकरियों पर संकट के बादल मंडराने लगे थे।
थम गयी है हजारों भर्तियों में घोटाले की CBI जांच
2013 की भर्ती परीक्षा की तर्ज पर एपीएस-2010 को भी निरस्त करना चाहिए था। लेकिन आयोग के अफसरों ने ऐसा करना जरुरी नहीं समझा। वहीं योगी सरकार ने बचे हुए तकरीबन दो दर्जन लोगों की तैनाती के लिए इसी वर्ष जनवरी में विधिक राय भी ली। सीबीआई ने सचिवालय के कई अनुभाग अधिकारियों (Section Officers) को पूछताछ के लिए दिल्ली भी बुलाया था। पांच वर्ष बाद भी सीबीआई के हाथ खाली नजर आ रहे हैं। सीबीआई (CBI) पांच वर्ष में सिर्फ तीन एफआईआर ही दर्ज करके हाथ पर हाथ धरे बैठी है।
दर्ज हो सकती है एक और FIR
सीबीआई दिल्ली के एक अफसर के मुताबिक लोक सेवा आयोग में हुए भर्ती घोटालों की जांच में शिथिलता के आरोप गलत है। जांच के हर बिंदु की बारीकी से पड़ताल के कारण देरी लगना स्वाभाविक है। जांच अधिकारी बदले जाने से भी असर पड़ता है। सीबीआई सूत्रों के मुताबिक इस घोटाले में जल्द ही एक एफआईआर (FIR) और दर्ज हो सकती है।
सपा शासन के 5 वर्षों में ताबड़तोड़ हुईं थीं भर्तियां
सपा शासनकाल के पांच सालों में यूपी पीसीएस-2010 से लेकर 2016 तक की छह भर्तियां, पीसीएस-जे (PCS-J) की दो भर्ती, लोअर पीसीएस (Lower PCS) की तीन भर्ती, समीक्षा अधिकारी और सहायक समीक्षा अधिकारी की दो भर्ती, एपीएस की दो भर्ती, एपीओ की दो भर्ती, फूड सेफ्टी आफिसर- मेडिकल आफिसर, रेवेन्यू इंस्पेक्टर और स्टेट यूनिवर्सिटी (Revenue Inspector and State University) की भर्तियां प्रमुख थीं। पीसीएस-2015 की प्रारंभिक परीक्षा का तो पेपर ही लखनऊ (Lucknow) के एक सेंटर से आउट हो गया था।
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