UPPCL: इंजीनियरों पर कार्रवाई, आईएएस सेफ जोन में

रसूख के हिसाब से तय होते हैं भ्रष्टाचार के खिलाफ एक्शन के मापदंड

Sandesh Wahak Digital Desk: बिजली विभाग में निजीकरण को लेकर इंजीनियर आंदोलन की राह पर हैं। दर्जनों बिजली इंजीनियरों पर कार्रवाई कोढ़ में खाज के माफिक काम कर रही है।

पावर कार्पोरेशन प्रबंधन से लेकर ऊर्जा मंत्री तक बिजली इंजीनियरों की नकेल कसने में ढिलाई नहीं बरतना चाहते हैं। इसके इतर विभाग को लूटने वाले आईएएस अफसरों पर इतनी शिद्द्त से कभी कार्रवाई नहीं होती। भले जांच का जिम्मा देश की शीर्ष एजेंसी सीबीआई ही क्यों न संभाले हो। ऐसे में कार्रवाई के इस दोतरफा मापदंड को लेकर विभाग में बेहद आक्रोश है।

दरअसल तीन साल पहले अरबों के पीएफ घोटाले में सीबीआई ने आईएएस संजय अग्रवाल, अपर्णा यू और आलोक कुमार के खिलाफ जांच की मंजूरी मांगी थी। जिसे सरकार ने सिरे से नकारते हुए मानो क्लीनचिट दे डाली। जिसके बाद पीएफ घोटाले की सीबीआई जांच पटरी से उतर गई। पावर कार्पोरेशन में भ्रष्टाचार का आरोप सिर्फ इन्ही तीन आईएएस पर नहीं है। पूर्व मुख्य सचिव दीपक सिंह और आलोक टंडन समेत कई आईएएस पर घोटाले के आरोप लग चुके हैं। बावजूद इसके, कार्रवाई आज तक नहीं हुई।

करीब दो दर्जन इंजीनियर फिर निशाने पर

करीब दो दर्जन इंजीनियर फिर पॉवर कॉरपोरेशन के निशाने पर हैं। ज्यादातर अधीक्षण और अधिशासी की रैंक पर हैं। समीक्षा बैठकों के दौरान कार्रवाई के आदेश संबंधित डिस्कॉम के प्रबंध निदेशकों को थमाए जा सकते हैं।

वीआरएस लेकर सेवा छोड़ रहे इंजीनियर

जनवरी और फरवरी माह में 11 बिजली इंजीनियर वीआरएस ले चुके हैं। इंजीनियरों का नौकरी छोड़ कर जाना गंभीर विषय है। वीआरएस लेने वालों में आठ चीफ इंजीनियर और तीन सुपरिटेंडेंट इंजीनियर शामिल हैं।

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