UP: प्राधिकरणों से दागियों को VRS देने की मुहिम ठंडी, तेजी से बढ़ रहा भ्रष्टाचार
बीते एक दशक में यूपी के विकास और औद्योगिक प्राधिकरणों में भ्रष्टाचार (Corruption) तेजी से बढ़ा है। इस दौरान मलाईदार प्राधिकरणों के कर्मियों और अफसरों से लेकर इंजीनियरों की सम्पत्तियां भी बेतहाशा बढीं।
Sandesh Wahak Digital Desk: बीते एक दशक में यूपी के विकास और औद्योगिक प्राधिकरणों में भ्रष्टाचार (Corruption) तेजी से बढ़ा है। इस दौरान मलाईदार प्राधिकरणों के कर्मियों और अफसरों से लेकर इंजीनियरों की सम्पत्तियां भी बेतहाशा बढीं। लेकिन प्राधिकरणों में भ्रष्टाचार बढ़ाने के जिम्मेदारों को जबरिया रिटायर करने की मुहिम ठन्डे बस्ते में है। खासतौर से बसपा और सपा सरकार के दौरान इन्हें मानो लूट का अड्डा ही बना दिया गया था। प्राधिकरणों के कार्मिकों से सम्पत्ति का ब्योरा तक नहीं लिया जा रहा है।
औद्योगिक विकास महकमें ने जेल की सैर कर चुके यूपीसीडा के महाप्रबंधक रहे महाभ्रष्ट अरुण मिश्रा की तर्ज पर कई दागियों को सेवा से बाहर करने का खाका खींचा था। लेकिन कार्रवाई सिर्फ फाइलों में ही रह गई। नोएडा अथॉरिटी इसका सटीक उदाहरण है। तमाम सरकारी विभागों से दागियों को सरकार ने जबरिया रिटायर करके सेवा से बाहर का रास्ता दिखाया। सिर्फ प्राधिकरणों में ही सरकार की इस मुहिम का खास असर नहीं दिखा।
एलडीए अफसरों के ऊपर सीबीआई कसेगी शिकंजा
नोएडा अथॉरिटी में कैग (Comptroller and Auditor General of India) ने 30 हजार करोड़ के घोटाले का खुलासा अपनी रिपोर्ट में किया था। रिपोर्ट शासन की फाइलों में धूल फांक रही है। ठीक इसी तर्ज पर लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) में भी करोड़ों के एक से बढक़र एक घोटालों की इबारत बीते कई वर्षों में लिखी गयी है। एलडीए अफसरों के ऊपर अब सीबीआई भी शिकंजा कसेगी। अंसल जैसे तमाम बिल्डरों के साथ मिलकर एलडीए अफसरों ने घोटालों की कलंक कथा खूब लिखी है।
विजिलेंस, ईओडब्ल्यू से लेकर एसआईटी के पास भी एलडीए के कई भ्रष्टों की जांचें चल रही हैं। लखनऊ के बाद कानपुर और मेरठ, आगरा और गाजियाबाद समेत तमाम अहम प्राधिकरणों में पिछली सपा और बसपा सरकारों के दौरान खूब रेवडिय़ां खाई गयी थीं।
गोपनीय रिपोर्ट के आधार पर होगी कार्रवाई- आवास विभाग
आवास विभाग के एक बड़े अफसर के मुताबिक बीते महीनों में उन इंजीनियरों की जांचों का ब्योरा तलब किया गया है। जो लम्बे समय से जारी हैं। साथ ही समस्त विकास प्राधिकरणों को एक पत्र भेजकर दागियों और गड़बड़ कार्मिकों का लेखा-जोखा भी मांगा गया है। इस गोपनीय रिपोर्ट के आधार पर आवास विभाग की स्क्रीनिंग कमेटी सख्त कार्रवाई करेगी। विकास प्राधिकरणों में भ्रष्टाचार कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
पीएम मोदी ने प्राधिकरणों के भ्रष्टाचार का किया था जिक्र
खुद प्रधानमंत्री मोदी ने यूपी के प्राधिकरणों से भ्रष्टाचार के खात्में का एलान 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान एक जनसभा में किया था। पूर्वांचल की एक चुनावी जनसभा को सम्बोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ तौर पर कहा था कि प्राधिकरणों में पिछले पांच सालों में खूब भ्रष्टाचार किया गया है। इसकी जांच सीएजी से कराई जायेगी। बाकायदा प्रधानमंत्री ने नोएडा प्राधिकरण का जिक्र तक किया था। इसके बावजूद यादव सिंह प्रकरण को छोडक़र बाकी मामलों में एजेंसियां हाथ पर हाथ धरे बैठी रहीं।
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