UP Roadways: यात्रियों को गंतव्य तक पहुंचाने में फेल हो रही बसें
यूपी रोडवेज (UP Roadways) की कबाड़ बसें बीच रास्ते में ही हो जाती हैं खड़ी, कभी स्टेयरिंग तो कभी फेल हो जाते हैं ब्रेक
संदेशवाहक डिजिटल डेस्क। यूपी रोडवेज (UP Roadways) की बसें यात्रियों को उनके गतंव्य तक पहुंचाने में आए दिन फेल हो रही हैं। बसों का आलम यह है कि कभी स्टेयरिंग जाम या फेल तो कभी ब्रेक फेल हो जाती है। लिहाजा कबाड़ बसों के चलते यात्रियों को रोजाना परेशानी झेलनी पड़ रही हैं। यह हालत तब है जब कि यूपी रोडवेज प्रशासन का दावा है कि रोडवेज बस यात्रियों की सुरक्षा के साथ कोई खिलवाड़ नहीं करता है।
उत्तर प्रदेश राज्य सडक़ परिवहन निगम (UP Roadways) के पास करीब 10 हजार बसों का बेड़ा है, लेकिन इनमें अधिकांश बसें कबाड़ हो चुकी है। उनकी आयु पांच वर्ष से अधिक है। इसमें काफी बसों की आयु 10 साल से भी ज्यादा है। यूपी रोडवेज प्रशासन (UP Roadways Administration) लगातार दावा करता है कि पुरानी बसों की फिटनेस से कोई समझौता नहीं किया जाता है। इसके बावजूद राह चलते बसें खराब हो जाती हैं और यात्रियों को धक्का लगाना पड़ता है। कभी बस की स्टेयरिंग जाम या फेल हो जाती है तो कभी शॉर्ट सर्किट से आग लग जाती है। कभी इंजन दगा दे जाता है तो कभी चलते-चलते किसी अन्य तकनीकी खराबी से बसें खड़ी हो जाती हैं। ड्राइवर से लेकर कंडक्टर तक खराबी को दूर करने के लिए घंटो जूझते रहते हैं।
खराबी दूर नहीं होने के बाद फिर वे यात्रियों को दूसरी बसों से भेजने का प्रबन्ध करते हैं। अभी तीन दिन पहले प्रयागराज से लखनऊ आ रही रोडवेज बस बीच रास्ते में खराब हो गई थी।
कई बार वीडियो हो चुके हैं वायरल
UP Roadways के अधिकारी भले ही लाख दावे करें कि रोडवेज बसों को कार्यशाला के बाहर रोड पर संचालन के लिए तभी भेजा जाता है, जब 31 बिंदुओं पर यह बस खरी उतरती है, लेकिन अधिकारियों के सारे दावे खोखले साबित हो रहे हैं। वजह है कि रोडवेज बसों की खस्ता हालत (condition of roadways buses) के वीडियो हर रोज वायरल हो रहे हैं। कभी बस की छप से पानी टपकने का तो कभी ड्राइवर का गियर लगाने के लिए मशक्कत करने का वीडियो वायरल हुआ है। ये वीडियो (Video) निगम के अधिकारियों की लापरवाही उजागर करने के लिए काफी हैं।
स्पेयर पार्ट्स की कमी से जूझ रही कार्यशालाएं
उत्तर प्रदेश राज्य सडक़ परिवहन निगम की कार्यशालाएं स्पेयर पार्ट्स की कमी से जूझ रही हैं। पाट्र्स न मिलने के चलते बसों की मेंटेनेंस नहीं हो पा रही है। ऐसे में मजबूरन वर्कशॉप से बसों को फिट किए बिना ही जुगाड़ करके रूट पर भेजा जा रहा है, जिससे बसें दुर्घटना का शिकार हो रही हैं। बस चालक की तरफ से कार्यशाला के जिम्मेदारों को बस में किस तरह की खराबी है। उसकी पूरी जानकारी भी दी जाती है, लेकिन जब स्पेयर पाट्र्स ही नहीं है तो मरम्मत हो भी तो कैसे?
ऑपरेशन कायाकल्प में दिए गए थे दो करोड़
यूपीएसआरटीसी के प्रबंध निदेशक संजय कुमार (UPSRTC Managing Director Sanjay Kumar) की तरफ से प्रदेश भर के सभी कार्यशालाओं में बसों की स्थिति को दुरुस्त करने के लिए 2-2 करोड़ रुपये की धनराशि आवंटित की गई थी, लेकिन बसों की स्थिति जस की तस ही बनी हुई है।
स्पेयर पार्ट्स की कोई कमी नहीं है। बस खराब होने की हर शिकायत की गंभीरता से जांच की जा रही है। जो भी दोषी पाया जाएगा। उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
अजीत सिंह (प्रवक्ता, उत्तर प्रदेश राज्य सडक़ परिवहन निगम)
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