UP: सरकारी विभागों में हजारों करोड़ की गड़बड़ियों का खुलासा

चहेतों पर अफसरों की दरियादिली और लापरवाही के मामलों से यूपी सरकार के राजस्व को लगी तगड़ी चपत

Sandesh Wahak Digital Desk: भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट में यूपी सरकार के विभिन्न विभागों में सैकड़ों करोड़ की अनियमितताओं का खुलासा हुआ है। गुरुवार को सदन के पटल पर रखी गयी सीएजी रिपोर्ट में अफसरों के कारनामों का पूरा ब्यौरा कैद है। हालांकि सीएजी रिपोर्ट पर कार्रवाई होने में वर्षों का समय लगता है।

वन विभाग ने 12 वन प्रभागों की आरक्षित वन भूमि को 31 प्रयोक्ता एजेंसियों को बिना पंजीकृत पट्टा अनुबंध हुए हस्तांतरित किया। 104 करोड़ से ज्यादा के भूमि प्रीमियम और पट्टा किराया नहीं वसूला गया। वहीं बिजली विभाग में सब्सिडी की जगह ऋण लेने के कारण अक्टूबर 2022 तक वितरण कंपनियों पर 2426 करोड़ का परिहार्य ब्याज पड़ा। उदय योजना में वित्तीय गतिविधियों में हजारों करोड़ की कमियां सीएजी ने उजागर की हैं।

2022 तक 66514 चोरी के मामलों में नहीं हुई करोड़ों रुपये की वसूली

8493 करोड़ के अधिक बंधपत्र जारी करने से 2022 तक 350 करोड़ का ब्याज का भार आया। उदय अनुदान से 4268 करोड़ के विद्युत देयों और 25081 करोड़ की अतिरिक्त टैरिफ सब्सिडी का समायोजन किया गया। विद्युत चोरी और अनाधिकृत उपयोग के मामलों में अक्टूबर 2022 तक 66514 चोरी के मामलों में 458 करोड़ रुपये की वसूली नहीं की गयी।

विद्युत प्रभारों की वसूली नहीं होने से 1761 करोड़ के राजस्व में अंतर्र आया। अपने बिलों का समय से भुगतान न करने पर वितरण कंपनियों को 5865 करोड़ के विलम्बित अधिभार का भुगतान करना पड़ा। 2022 तक सभी डिस्कॉम कंपनियों की 77 हजार करोड़ से ज्यादा की संचित हानियां रिपोर्ट में दी गयी हैं। इसी तरह राज्य कर विभाग में जीएसटी वसूली के नौ मामलों में 206 करोड़ के नुकसान का आंकलन किया गया है। जिसमें लखनऊ में तीन करोड़ की चपत लगी है। ई-कामर्स आपरेटरों के स्रोत पर कर संग्रह की कटौती में लापरवाही बरतने की बात रिपोर्ट में कही गई है।

नोएडा में 9932 करदाताओं से संबंधित 2358 मामलों में विसंगतियां पाई गईं। अभी तक 123.57 करोड़ की धनराशि वसूली के लिए लंबित है। कैग ने स्टांप एवं निबंधन विभाग के घोटालों को भी पकड़ा है। संपत्तियों की रजिस्ट्री के 438 मामलों के परीक्षण के दौरान 316 मामलों में डेढ़ सौ करोड़ की अनियिमितताएं मिली हैं। बंधक विलेखों पर 2.57 करोड़ कम स्टांप शुल्क एवं अतिरिक्त स्टांप शुल्क लगाया गया। सरोजनीनगर लखनऊ में हुई रजिस्ट्रियों में 480 का परीक्षण किया गया। इनमें 10 करोड़ से अधिक वालों में पाया गया कि 2.57 करोड़ कम शुल्क लगाया गया है।

27 निगमों को 32,429.90 करोड़ का नुकसान

रिपोर्ट के मुताबिक 40 संपत्तियों की रजिस्ट्री में बेची भूमि को मुख्य सडक़ और आबादी से दूर दिखाया गया। इसी तरह प्रदेश के 113 सार्वजनिक निगमों में केवल 39 निगम ही 2,169.50 करोड़ लाभ अर्जित कर सके हैं। जबकि 27 निगमों को कुल नुकसान 32,429.90 करोड़ का हुआ है। 111 कंपनियों ने समय से अपना वित्तीय विवरण नहीं दिया।

छह वर्षों में वृक्षारोपण और वन संरक्षण पर 3,459.69 करोड़ रुपये खर्च होने के बावजूद राज्य में अभिलिखित वन क्षेत्र के अंदर वन आवरण में भारी कमी हुई। वन आवरण 2017 से घट रहा था।

Also Read: UPMSCL: बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट में 300 करोड़ डकारने की तैयारी पर सीवीसी का शिकंजा

Get real time updates directly on you device, subscribe now.