UP Politics: उत्तर प्रदेश में सत्ताधीशों को खूब भाती है नेम चेंज पॉलिटिक्स

Sandesh Wahak Digital Desk/Chetan Gupta: उत्तराखंड में कई स्थानों का नाम बदले जाने पर यूपी में सियासत तेज हो गई है। बसपा सुप्रीमो मायावती और सपा मुखिया अखिलेश यादव ने अपना विरोध जताया जबकि नाम बदलने की सियासत कोई नई नहीं है, यह बरसों पुरानी है।
यूपी में तो पिछले दो दशकों में जब जिसे सत्ता में बैठने का मौका मिला, उसने अपने मुताबिक फैसले लिए और जिलों, स्थानों और इमारतों के नाम बदल दिए। यूपी में नेम चेंज पॉलिटिक्स सत्ताधीशों को खूब भाती है। अब चाहे इसे बदले की राजनीति कहा जाए या फिर अपने-अपने हितों को साधने की कोशिश, लेकिन बार-बार नाम बदलने की इस राजनीति से साफ है कि सभी दल अपनी ढपली-अपना राग अलाप रहे है।
पहले मायावती फिर अखिलेश यादव अब योगी आदित्यनाथ
उत्तर प्रदेश में मानो जैसे नाम बदलने की प्रथा चली आ रही है। योगी आदित्यनाथ सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में इलाहाबाद, मुगलसराय, फैजाबाद का नाम बदल दिया था, लेकिन यह कोई नया नहीं है जब यूपी में जिलों, स्थानों का नाम बदला गया। इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री मायावती और अखिलेश यादव ने भी कई जिलों के नाम बदले थे।
पुराने रिकॉर्ड को देखें तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, मायावती और अखिलेश यादव से काफी पीछे हैं। 2007-12 के बीच बहुजन समाज पार्टी की सरकार में मायावती और 2012-17 के बीच समाजवादी पार्टी की सरकार में अखिलेश यादव ने अपनी पार्टी के आदर्श पुरुषों के नाम पर यूपी के जिलों, स्थानों, इमारतों व मार्गों के नाम रखे थे। अब मौजूदा बीजेपी की सरकार में योगी आदित्यनाथ जिलों के पौराणिक नामों को लेकर प्रतिबद्ध है।
मायावती ने बदले थे नौ जिलों के नाम
मायावती ने अपनी सरकार में शामली जिले का प्रबुद्ध नगर, संभल जिले का भीम नगर, हापुड़ जिले का पंचशील नगर, हाथरस जिले का महामाया नगर, अमरोहा जिले का ज्योतिबा फूले नगर, कासगंज जिले का काशीराम नगर, अमेठी जिले का छत्रपति शाहूजी महाराज नगर, कानपुर देहात का रमाबाई नगर और भदोही जिले का संत रविदास नगर नाम रखा था।
सन 2012 में जब सपा की सरकार आई तो मुख्यमंत्री के तौर पर अखिलेश यादव ने अपने कार्यकाल में उन सभी 9 जिलों को उनके पुराने नाम वापस किए थे। इसके अलावा लखनऊ स्थित छत्रपति शाहूजी महाराज चिकित्सा विश्वविद्यालय को उसका पुराना नाम किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी लौटा दिया था, जिसे मायावती ने अपने कार्यकाल में बदला था।
सीएम योगी ने किया ये बदलाव
योगी सरकार ने 2017 में सरकार के गठन के बाद सबसे पहले मुगलसराय स्टेशन और तहसील का नाम बदलकर पंडित दीन दयाल उपाध्याय स्टेशन और तहसील कर दिया था। इसके बाद योगी सरकार ने इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज किया। फरवरी, 2020 में प्रयागराज के चार रेलवे स्टेशनों के नाम भी बदल दिए गए थे। फैजाबाद जिले का नाम बदल कर अयोध्या कर दिया था।
इन शहरों के नाम बदलने की भी मांग
योगी सरकार में प्रदेश के कई जिलों के नाम बदलने की मांग पूर्व में उठ चुकी है। अलीगढ़ जिले का नाम बदलकर हरिगढ़ करने को लेकर विश्व हिंदू परिषद ने आवाज उठाई थी। आगरा को अग्रवन, फिरोजाबाद को चंद्रनगर, फर्रुखाबाद को पांचाल नगर, गाजीपुर को गढ़ीपुरी करने के साथ ही आजमगढ़, गाजियाबाद, मुजफ्फरनगर का भी नाम बदलने की मांग योगी सरकार में उठ चुकी है।
इकाना स्टेडियम का नाम बदला
लखनऊ में 6 नवंबर, 2018 को हुए भारत-वेस्टइंडीज मैच से एक दिन पहले योगी सरकार ने इकाना स्टेडियम का नाम बदलकर अटल बिहारी वाजपेई इंटरनेशल स्टेडियम कर दिया था। नाम बदलते ही प्रदेश की सियासत भी गर्म हो गई थी। समाजवादी पार्टी मुखिया अखिलेश यादव ने स्टेडियम का नाम बदलने को लेकर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर जोरदार निशाना साधा था और उसके इस कदम को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताया था। सपा ने बीजेपी पर तंज कसते हुए उस समय कहा था कि यह अटल जी को समाजवादियों की तरफ से सबसे बड़ी श्रद्धांजलि है। इकाना स्टेडियम का निर्माण तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के कार्यकाल में हुआ था और 2017 में उन्होंने इसका उद्घाटन भी किया था।
नाम बदलने में अखिलेश भी नहीं रहे पीछे
सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने उत्तराखंड सरकार के स्थानों के नाम बदलने पर एक समाचार एजेंसी से बात करते हुए तंज कसा है कि उत्तराखंड के नाम को भी यूपी टू नाम दे दीजिए। पूर्व में भी अखिलेश योगी सरकार के फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या करने व इलाहाबाद का नाम बदल कर प्रयागराज करने के फैसले पर टिप्पणी कर चुके हैं।
उस वक्त कहा था कि योगी सरकार जिलों के नाम बदल रही है, जल्द जनता इनको बदल देगी। लेकिन हकीकत पर अगर नजर डालें तो नाम की सियासत में अखिलेश भी पीछे नहीं रहे हैं। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने भी कई जिलों, स्थानों व इमारतों के नाम बदले व लोहिया, जनेश्वर मिश्र जैसे बड़े समाजवादी नेताओं के नाम पर पार्क, सडक़ें आदि बनवाईं। सत्ता संभालते ही उन्होंने सबसे पहले उन जिलों के नाम बदलकर उनके पुराने नाम वापस किए जिनको मायावती ने बदले थे।
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