UP Politics : भाजपा के बूथ मैनेजमेंट के जवाब में सपा की नई रणनीति
Sandesh Wahak Digital Desk : सपा के नेतृत्व ने भाजपा के बूथ मैनेजमेंट को करारा जवाब देने के लिए नई सियासी रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। खासतौर पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की निगाह उन वोटरों पर सबसे पहले गयी है। जिनके ऊपर किसी भी दल के वोटर होने का ठप्पा नहीं लगा है। इस लिहाज से सपा इन वोटरों को अपने पाले में लाने के लिए अभी से जुट गयी है। फिलहाल विपक्ष के महागठबंधन ‘इण्डिया’ में सीट बंटवारे पर सार्थक चर्चा न होते देख सपा के खेवनहारों ने अपने बूथ मैनेजमेंट के लिए माइक्रो प्लान की बुनियाद रखी है।
अखिलेश यादव संवाद-संपर्क संपर्क के जरिए वोटरों को सपा से जोड़ने में लगे हैं।
सपा की बूथ कमेटियों ने फ्लोटिंग वोट को जोडऩे का अभियान शुरू कर दिया है। इन वोटरों को समाजवादी विचारधारा से जुडऩे को प्रेरित किया जा रहा है। कोशिश है कि इन्हें सपा सरकार की उपलब्धियां व सत्ता पक्ष की नाकामियों बता कर उन्हें अपने पाले में लाया जाए। पार्टी ने हर बूथ पर दस सदस्यों की कमेटी बनाई है। इसमें ओबीसी दलित व अल्पसंख्यकों को प्रतिनिधित्व खास तौर पर दिया गया है। इस कमेटी के सदस्यों से कहा गया है कि वह अपने बूथ पर कम से कम 100 वोटरों से संपर्क कर उन्हें सपा के बारे में बताएं और सुनिश्चित करें कि वह चुनाव में सपा का साथ देगा।
हर विधानसभा क्षेत्र में छह जोन और कमेटियों का मजबूत तंत्र
बूथ कमेटी के ऊपर सेक्टर कमेटियां बनी हैं। हर सेक्टर कमेटी 10 से 12 कमेटियों का कामकाज देखेगा। इसके अलावा जोनल कमेटियां भी बनाई जा रही हैं। हर विधानसभा क्षेत्र में छह जोन बनाए गए हैं। कहीं कहीं इससे ज्यादा भी हो सकते हैं। हर जोन में छह सेक्टर बनाए गए हैं। बूथ कमेटियों से कहा गया है कि वह इस बात की निगाह रखें कि वोटर लिस्ट में उनके समर्थक वोटर के नाम हैं कि नहीं। अगर नाम नहीं हैं या कट गए हैं तो चुनाव आयोग को बताएं। साथ केंद्रीय नेतृत्व को लिखित तौर पर सूचित करें।
फ्लोटिंग वोट पर नजर, बनाया खास प्लान
सपा की निगाह फ्लोटिंग वोट पर है। यह वह वोटर होते हैं जो किसी दल से प्रतिबद्ध नहीं होते हैं और किसे वोट देंगे इसको लेकर असंमजस में रहते हैं। इस तरह के इन वोटरों को पार्टी से जुडऩे की मुहिम पर सपा का खासा जोर है और माइक्रो प्लान इसी पर फोकस है। सपा ने पिछले दो लोकसभा चुनाव में भाजपा के बूथ मैनजमेंट पर गहरी नजर डाली है। अब उसने भाजपा की इस रणनीति को अपने हिसाब से इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है।
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