UP Politics : यूपी में 16 सीटों पर एनडीए को बढ़त दिला सकते हैं राजभर

पूर्वांचल में तो असर दिखना माना जा रहा तय, 18 को होने वाली अहम बैठक में कई नए चेहरे दिखना संभव

Sandesh Wahak Digital Desk:  उत्तर प्रदेश में ओम प्रकाश राजभर ने भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन की घोषणा कर राजनीतिक माहौल को गरमा दिया है। 18 जुलाई को होने वाली एनडीए की बैठक से पहले भाजपा अपने सहयोगियों की संख्या को बढ़ाने में जुटी हुई है। ऐसे में उन तमाम चेहरों को साधने की कोशिश है, जो किसी प्रकार से एक बड़े वोट बैंक को प्रभावित करते हैं। ऐसे में ओम प्रकाश राजभर के एनडीए में जाने के बाद की राजनीति पर चर्चा शुरू हो गई है। ऐसे में राजभर वोट बैंक के प्रभाव को समझने की जरूरत है।

यूपी की राजनीति में राजभर वोट बैंक 4 फीसदी के साथ बड़ी राजनीतिक ताकत रखता है। भले ही यह संख्या बल किसी उम्मीदवार को अपने दम पर जिता न पाए, लेकिन खेल खराब करने में तो सफल रहता ही है।

ऐसे छोटे दलों के प्रभाव को यूपी चुनाव 2022 से पहले अखिलेश यादव ने समझा था और समाजवादी पार्टी के साथ जोडऩे में सफलता हासिल की। पार्टी को चुनाव में इसका रिजल्ट भी मिला। भाजपा ने इसी रणनीति पर अब काम तेज कर दिया है। राजभर के भाजपा के साथ जुडऩे से करीब 16 लोकसभा सीटों पर भाजपा की स्थिति मजबूत होने की उम्मीद की जा रही है।

ओपी राजभर बिगाड़ सकते हैं हार और जीत का समीकरण

ओमप्रकाश राजभर की एनडीए में वापसी के बाद भाजपा को 16 सीटों पर बढ़त मिल सकती है। इसका कारण है, ओम प्रकाश राजभर का समर्पित वोट बैंक। यह वोट बैंक उनके पाला बदलने के साथ ही शिफ्ट होता है। पूर्वांचल की 16 सीटों पर राजभर वोट इस स्थिति में हैं, जीत और हार का समीकरण बना और बिगाड़ सकते हैं।

पूर्वांचल से भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ चुनकर आते हों, लेकिन लोकसभा चुनाव 2019 और विधानसभा चुनाव 2022 में भाजपा को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा। कारण राजभर वोट बैंक का भाजपा के खिलाफ जाना था।

सुभासपा प्रमुख दावा करते हैं कि उन्हें केवल राजभर ही नहीं बिंद, निषाद, बंजारा, मौर्य, कश्यप, कुशवाहा जैसी अन्य पिछड़ी जातियों का समर्थन हासिल है। वे लोकसभा की 26 और विधानसभा की 153 सीटों पर प्रभाव होने का दावा करते हैं।

प्राइमरी सर्वे में जो परिणाम सामने आए, वह अहम

भाजपा ने वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में पूर्वांचल में प्रभावी प्रदर्शन किया था। लेकिन, 2019 के चुनाव में इलाके की 26 में से 7 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। इसका कारण पिछड़े वर्ग के वोटों का बिखराव था। भाजपा की ओर से लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर कराए गए प्राइमरी सर्वे में जो परिणाम सामने आए, वह अहम थे।

सुभासपा से गठबंधन करने पर जौनपुर, घोसी, आजमगढ़, लालगंज, श्रावस्ती और गाजीपुर में सीधा फायदा होने की बात सामने आई है। ओम प्रकाश राजभर के साथ इलाके का राजभर समाज भी एनडीए की तरफ शिफ्ट हो सकता है। यूपी चुनाव 2022 में इसका प्रकार का प्रभाव दिखा है। इसके लिए राजभर को मनाने और साथ में जोडऩे में पार्टी कामयाब हो गई है।

एक और एक मिलकर ग्यारह बनाने का दम रखती है सुभासपा

सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी प्रमुख ओम प्रकाश राजभर वाराणसी, जौनपुर, घोसी, लालगंज, गाजीपुर, अंबेडकर नगर, सलेमपुर, आजमगढ़, बलिया, चंदौली, इलाहाबाद, फैजाबाद, बस्ती, गोरखपुर, मछली शहर और भदोही लोकसभा सीटों पर प्रभावी माने जाते हैं। यूपी में हुए पिछले पांच चुनावों का विश्लेषण करें तो यही पता चलता है कि यह पार्टी भले ही अकेले दम पर बाजी पलटने की स्थिति में नहीं रहती हो, लेकिन एक और एक मिलकर ग्यारह बनाने का दम जरूर रखती है।

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