UP Politics: कन्नौज से अखिलेश यादव की उम्मीदवारी में छिपा मोहन यादव इफेक्ट
समाजवादी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने शुरू किये परंपरागत यादव वोट बैंक को सहेजने के सियासी प्रयास
Sandesh Wahak Digital Desk : मध्य प्रदेश में मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने जो मास्टर स्ट्रोक खेला था, उसका असर नजर आने लगा है। भाजपा के इस दांव से यूपी में यादव वोटबैंक खिसकने की आशंका सपा नेतृत्व को भी है। जिसके चलते अखिलेश ने आजमगढ़ को तवज्जो न देते हुए इस बार कन्नौज जैसी सुरक्षित सीट खुद के लिए तलाशी है। मिशन 2024 की सियासी जंग में अखिलेश इस सीट के जरिये यादव बेल्ट को बचाने के लिए आने वाले समय में एड़ी चोटी का जोर लगाते नजर आएंगे।
दरअसल आजमगढ़ में सपा के धर्मेंद्र यादव को भाजपा के दिनेश लाल यादव निरहुआ ने करारी शिकस्त दी थी। जिसके बाद कयासों का बाजार गर्म था कि आजमगढ़ से अखिलेश भी चुनावी किस्मत आजमा सकते हैं। हालांकि कन्नौज सीट भी सियासी फिजाओं से कभी गायब नहीं रही। लेकिन लोकसभा चुनाव को लेकर सपा के किसी भी दिग्गज नेता ने अखिलेश की सीट को लेकर पुख्ता तौर पर कभी भी सियासी संकेत नहीं दिए। लेकिन मध्य प्रदेश चुनाव का परिणाम आने के बाद भाजपा ने जैसे ही मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाने का एलान किया।
शिवपाल के बयान के पीछे सियासी निहितार्थ
उसके बाद से सपा के खेवनहारों के माथे पर यादव बेल्ट को लेकर शिकन साफ़ नजर आने लगी। इसी के तत्काल बाद सपा महासचिव शिवपाल यादव ने हाल ही में एक समारोह के दौरान बड़ा बयान देते हुए कहा कि अखिलेश यादव कन्नौज से लड़ेंगे और उन्हें भारी बहुमत से जिताया जाएगा। ये एलान अगर मोहन यादव के मुख्यमंत्री बनने से पहले किया जाता तो भले सवाल न उठते, लेकिन भाजपा के मास्टरस्ट्रोक के बाद शिवपाल के बयान के पीछे सियासी निहितार्थ जरूर छिपे हैं।
कन्नौज से सियासी किस्मत आजमाने पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव यादव बेल्ट को खास संदेश दे सकते हैं। सपा की जमीनी जड़ें इसी वोटबैंक से जुड़ी हैं। वहीं सपाई कुनबा यहीं से अपनी सियासी किस्मत भी आजमाता रहा है। सपा से जुड़े सूत्रों की माने तो डिंपल यादव को भी पुन: मैनपुरी से लोकसभा चुनाव में उतारने की तैयारी है। जिससे सैफई परिवार की बहू के जरिये सपा परम्परागत सीटों पर अपनी पकड़ तनिक भी ढ़ीली न कर सके। सपा प्रमुख अखिलेश का पूरा फोकस इस वक्त यादव वोटबैंक को सहेजने पर नजर आ रहा है। वहीं शिवपाल को आजमगढ़ से आजमाने की पूरी तैयारी है।
यूपी विधानसभा की 52 सीटों पर यादव वोटर निर्णायक
उत्तर प्रदेश में एटा, इटावा, फर्रुखाबाद, मैनपुरी, फिरोजाबाद, कन्नौज, बदायूं, आजमगढ़, फैजाबाद,संत कबीर नगर, बलिया, कुशीनगर और जौनपुर ऐसे जिले हैं, जो यादव बाहुल्य हैं। यूपी विधानसभा की 52 सीटें ऐसी हैं, जहां यादव वोटर निर्णायक माने जाते हैं।
वहीं 44 जिलों में 9 से 10 फीसदी यादव वोटर हैं। दस जिलों में यादव मतदाता 15 प्रतिशत से ज्यादा हैं। पूर्वांचल और ब्रज क्षेत्र में यादव मतदाता हैं। भाजपा लंबे समय से यूपी में सपा के मुस्लिम-यादव समीकरण को तोडऩे में लगी है। उसने आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा चुनाव में कामयाबी भी हासिल करके सपा को चुनौती पेश की है।