UP Politics: लोकसभा चुनाव के मैदान से गायब हैं मायावती के मिस्टर भरोसेमंद!
2007 में बसपा की सोशल इंजीनियरिंग की इबारत लिखने वाले सतीश चंद्र मिश्रा की अहमियत का ग्राफ तेजी से नीचे जा रहा
UP Lok Sabha Election 2024: 2007 में बसपा की सोशल इंजीनियरिंग की इबारत लिखने वाले मायावती के मिस्टर भरोसेमंद सतीश चंद्र मिश्रा लोकसभा चुनाव के सियासी समर से पूरी तरह गायब हैं। बसपा ने अपने 40 स्टार प्रचारकों की फेहरिस्त में मिश्रा को तीसरे नंबर पर जगह दी है। लोकसभा चुनाव के पहले चरण में सिर्फ चंद दिन बाकी हैं। बावजूद इसके, धरातल से सोशल मीडिया के मंच तक वो मिश्रा गायब हैं, जिन्हे मायावती ने 18 सालों तक पार्टी का राज्यसभा सांसद बनाया।
पार्टी से जुड़े सियासी जानकारों के मुताबिक मिश्रा की जगह इस बार आकाश आनंद के ससुर अशोक सिद्धार्थ ने जिम्मेदारी संभाल ली है। सूत्रों के मुताबिक बसपा प्रत्याशियों के टिकट फाइनल करने में भी अशोक सिद्धार्थ की इस बार प्रमुख भूमिका है। दावा तो यहां तक किया जा रहा है कि आकाश आनंद के ससुर ने पार्टी में सतीश चंद्र मिश्रा का स्थान ले लिया है। विश्लेषकों के मुताबिक बसपा के सियासी चाणक्य सतीश मिश्रा के गायब होने के बावजूद मायावती ने लोकसभा चुनाव में मुस्लिमों संग तकरीबन बीस फीसदी सवर्ण प्रत्याशियों को टिकट देकर सोशल इंजीनियरिंग के सियासी दांव को अभी भी बरकरार रखा है। लेकिन बसपा की रणनीति भाजपा की टीम बी की तर्ज पर आगे बढ़ रही है।
पिछले साल वायरल हुई थी सतीश चंद्र मिश्रा के बीजेपी में शामिल होने की खबरें
एक दौर ऐसा भी था कि सतीश मिश्रा बसपा प्रमुख मायावती के साथ कंधे से कंधा मिलाकर विधानसभा से लेकर लोकसभा चुनाव तक सिर्फ यूपी ही नहीं बल्कि देश भर में नजर आते थे। नतीजतन मिश्रा अब पार्टी में भले तीसरे स्थान पर खिसक गए हैं। लेकिन उनकी अहमियत इससे भी नीचे जा रही है। माना ये भी जा रहा है कि पिछले साल जिस अंदाज में सतीश मिश्रा के भाजपा में जल्द शामिल होने की खबरों ने सुर्खियां बटोरी थी, उससे भी मायावती का भरोसा अब अपने पुराने सिपहसालार पर उतना नहीं रह गया है।
हालांकि मिश्रा को बसपा से लोकसभा चुनाव लड़ाये जाने की खबरें भी उड़ीं, लेकिन अभी तक उनका नाम प्रत्याशियों की सूची में नहीं आया है। सियासी जानकार इसका कारण मिश्रा के बेहद करीबी पूर्व मंत्री नकुल दुबे को भी मानते हैं। जिन्होंने बसपा छोडक़र कांग्रेस का दामन थामा था। नतीजतन मायावती अंदरखाने से नाराज भी बताई जा रही हैं।
मलूक भी गए, अभी तक पांच सासंदों ने बोला अलविदा
पिछले लोकसभा चुनाव में बसपा ने दस सीटें जीती थीं। लेकिन इनमें से पांच निवर्तमान सांसदों ने बसपा का साथ छोड़ दिया है। ताजा मामला सांसद मलूक नगर का है। जो अब राष्ट्रीय लोकदल में शामिल हो गए हैं। गुरुवार को नागर ने जयंत के आवास पर पहुंचकर सदस्यता ग्रहण की। इससे पहले आजमगढ़ जिले की लालगंज सीट से सांसद संगीता आजाद, अंबेडकर नगर सीट से सांसद रितेश पांडेय, अमरोहा सांसद दानिश अली, गाजीपुर सांसद अफजाल अंसारी ने बसपा को अलविदा बोला है।
सोशल मीडिया से भी गायब हैं मिश्रा
सतीश चंद्र मिश्रा सोशल मीडिया से भी लगभग गायब हैं। मिश्रा के एक्स अकाउंट पर एक जनवरी से लेकर अब तक रैलियों-जनसभाओं से संबंधित एक भी पोस्ट नहीं हुई है। सिर्फ मिश्रा ने बसपा प्रदेश अध्यक्ष द्वारा पोस्ट की गयी लोकसभा प्रत्याशियों की सूची को रिपोस्ट किया है। 15 मार्च को मिश्रा ने बसपा सुप्रीमो मयावती और उनके उत्तराधिकारी आकाश आनंद की पोस्ट भी रिपोस्ट की थी। लेकिन उन्होंने चुनाव से संबंधित कुछ भी पोस्ट नहीं किया है।
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