UP Politics: पश्चिमी यूपी में नए समीकरण तैयार करने में जुटे हैं जयंत चौधरी
Sandesh Wahak Digital Desk : कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने शुक्रवार को स्कूलों और कॉलेजों में हिजाब पर लगे बैन को हटाने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि हर किसी को अपनी पसंद के हिसाब से कपड़े पहनने का अधिकार है।
कांग्रेस के इस कदम का राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) ने समर्थन किया है। आरएलडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी ने इस कदम का समर्थन करते हुए कहा कि, संवैधानिक नजरिए से यह सही फैसला है। लोगों को आजादी दी गई है। अगर खान-पान और पहनावे पर इस तरह की पाबंदियां होंगी तो इससे आपातकाल जैसी स्थिति पैदा हो जाएगी। जयंत चौधरी के इस बयान के कई मायने देखे जा रहे हैं। अगले साल लोकसभा के चुनाव होने हैं। ऐसे में जयंत चौधरी का ये बयान पश्चिमी यूपी की राजनीति में काफी अहमियत रखता है।
सिद्धारमैया के बयान का समर्थन करने के पीछे सियासी रणनीति
जयंत आगामी चुनावों को लेकर वेस्ट यूपी में नए समीकरण तैयार करने में जुटे हुए हैं। वे पश्चिमी यूपी में मुस्लिम-जाट वोट को एकजुट कर लोकसभा में अपना खाता खोलने की तैयारी में हैं। पश्चिम उत्तर प्रदेश की राजनीति में मुस्लिम-दलित-जाट समीकरण सबसे महत्वपूर्ण है। मेरठ, सहारनपुर, मुरादाबाद और बरेली मंडल के 14 जिलों की 71 सीटों पर इस समीकरण का दबदबा माना जाता है। इसी रणनीति के तहत रालोद के नेता लगातार काम कर रहे हैं।
मुस्लिम-जाट वोटबैंक को एकजुट कर लोकसभा में खाता खोलने की तैयारी
ऐसे में जयंत का बयान इस इलाके के मुस्लिम वोट को प्रभावित कर सकता है। जो आगामी चुनाव में अहम साबित होने वाला है। रालोद के पदाधिकारी व कार्यकर्ता संगठन को मजबूत बनाने के लिए वेस्ट यूपी की गलियों और चौपालों की खाक छान रहे हैं। जयंत वेस्ट यूपी के हर गांव तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं। 2013 के दंगों के बाद जिस जाट वोट बैंक पर पकड़ खो चुके जयंत चौधरी उसे फिर अपने पाले में लाने की कोशिश करते दिख रहे हैं और काफी हद तक वे सफल भी होते नजर आ रहे हैं।
रालोद के परम्परागत वोट बैंक को वापस लाने की मुहिम
आरएलडी का समरसता अभियान पहले से कारगर माना जा रहा है। यह अभियान भाजपा के लिए भी मुश्किल खड़ी कर सकता है। यदि जाट वोटरों का मुस्लिम वोटरों के साथ कोई समीकरण बनता है तो यह वेस्ट यूपी की कई सीटों पर असर डालेगा। जयंत चौधरी ने पश्चिमी यूपी में अपना वोट बैंक फिर से पाने के लिए दो लक्ष्य रखे हैं। पहला बीजेपी की ओर गए रालोद के परम्परागत वोट बैंक को वापस लाकर भगवा विजय रथ को रोकना और दूसरा बिना गठबंधन के पश्चिमी उत्तर प्रदेश में नई मोर्चेबंदी की गुंजाइश तैयार करना। हालांकि वे समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में अपने पैर फिर से जमाने की कोशिश कर रहे हैं।
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