UP Politics: अपने ही रच रहे योगी की साख पर बट्टा लगाने की साजिश!

मिशन 2027 से पहले सीएम के खिलाफ भाजपा के चंद माननीय व सहयोगी दल यूं ही निकाल रहे भड़ास

Sandesh Wahak Digital Desk/Manish Srivastava: सीएम योगी के ऊपर अपनों के तीखे शब्दबाणों का हमला नया नहीं है। योगी 1.0 के दौरान भी भाजपा के नेताओं ने ऐसा किया था। मिशन 2027 के करीब आते ही कुछ माह के दौरान जिस अंदाज में सीएम योगी के खिलाफ माहौल बनाने में तेजी आयी है। उससे योगी की बढ़ती साख को धूमिल करने जैसी सुनियोजित साजिश की आशंका को बल मिल रहा है।

इसके संकेत सत्ता के खिलाफ भाजपा के चंद माननीयों की बयानबाजी से लेकर ऐसे नेताओं को जातीय समीकरण साधने के बहाने सरकार और संगठन में शीर्ष तवज्जो मिलने से भी लगाए जा रहे हैं, जिनको सीएम योगी आदित्यनाथ का धुर विरोधी करार दिया जाता रहा है।

 

मोती सिंह और रमेश मिश्रा

मोती सिंह के बयान से बढ़ी थी सियासी हलचल

हाल ही में जौनपुर से भाजपा विधायक रमेश मिश्रा ने कहा कि यूपी में हमारी स्थिति खराब है, 2027 तक और खराब होगी। प्रतापगढ़ में पूर्व मंत्री राजेंद्र प्रसाद उर्फ मोती सिंह के बयान ने सुर्खियां बटोरीं, जिसमें कहा गया कि 42 साल के राजनीतिक जीवन में तहसीलों-थानों में उन्होंने इतना भ्रष्टाचार नहीं देखा। लोकसभा चुनाव में कम सीटें आने का ठीकरा ख़ास अंदाज में उन सीएम योगी पर फोड़ा जा रहा है। जिनके गोरखपुर मंडल में भाजपा ने निराशाजनक प्रदर्शन के बावजूद छह सीटें झटक लीं। टिकट बंटवारे में योगी की राय को तवज्जो दिए जाने पर नतीजे कुछ और हो सकते थे। वहीं दोनों डिप्टी सीएम को लेकर बयानबाजी गायब है।

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लोकसभा चुनाव के दौरान सियासी गलियारों में अफवाह फैलाई गयी कि बड़े अंतर से जीतने पर सीएम योगी को हटाया जाएगा। जिसके खंडन में इतनी देर लगाई गई कि तब तक यूपी में बाजी पलट चुकी थी। चुनाव बाद सहयोगी दलों ने भी नौकरियों में आरक्षण पर योगी सरकार को घेरने में कोताही नहीं बरती। अफसरों ने जब नेताओं को अनुशासन में बांधा तो नौकरशाही को हावी बताकर फिर सरकार को घेरने की कवायद शुरू हुई। इसी तरह 2019 में भाजपा विधायक नंदकिशोर गुर्जर के समर्थन में योगी सरकार के खिलाफ करीब डेढ़ सौ विधायक विधानसभा में धरने पर बैठ गए थे।

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ओपी राजभर, दारा सिंह चौहान, सुनील शर्मा और अनिल कुमार

मंत्रिमंडल में इन चेहरों को किसके इशारे पर मिली जगह

योगी मंत्रिमंडल में सुभासपा से ओपी राजभर, भाजपा से दारा चौहान, सुनील शर्मा व आरएलडी से अनिल कुमार को जगह मिली। इन नेताओं के ऊपर भी योगी विरोधी बयान देने के आरोप हैं। राजभर ने कहा था कि योगी वापस मठ चले जाएं। ऐसे चेहरे किसके कहने पर मंत्री बनाये गये थे।

राधा मोहन दास अग्रवाल और शिव प्रताप शुक्ला

धुर विरोधी गोरखपुर के दो नेताओं को अहम जिम्मेदारियां

सीएम योगी के धुर विरोधी नेताओं को भाजपा नेतृत्व से ताकत भी मिली है। जातीय समीकरण साधने का हवाला देकर पिछले वर्ष गोरखपुर के राधा मोहन दास अग्रवाल को राज्यसभा सांसद और शिव प्रताप शुक्ला को हिमाचल का राज्यपाल बनाया गया। पूर्वी यूपी में इसे पावर बैलेंस का नाम दिया गया।

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