UP Politics: घोसी विधानसभा उपचुनाव में सपा-भाजपा के बीच घमासान

Sandesh Wahak Digital Desk : उत्तर प्रदेश की घोसी विधानसभा सीट पर पांच सितंबर को उपचुनाव होना है। सपा के टिकट पर जीते दारा सिंह चौहान के इस्तीफे की वजह से इस सीट पर उप-चुनाव हो रहे हैं। दारा सिंह चौहान अब भाजपा के टिकट पर मैदान में हैं। घोसी विधानसभा उपचुनाव में जीत भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी दोनों के लिए ही प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुकी है।

दोनों पार्टियां इस चुनाव को कितनी गंभीरता से ले रही हैं इसका अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि अब तक उपचुनाव से दूरी बनाए रखने वाले अखिलेश यादव भी यहां सपा उम्मीदवार के लिए वोट मांगने आ चुके हैं। वहीं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी भाजपा प्रत्याशी के लिए वोट मांगने घोसी आएंगे। दोनों ही दलों के अधिकांश नेताओं ने घोसी में डेरा जमा रखा है। नतीजे क्या होंगे इसका पता आठ सितंबर को चलेगा।

कांग्रेस ने किया सपा उम्मीदवार के समर्थन का ऐलान

इस उपचुनाव में कुल 10 उम्मीदवार मैदान में हैं। सपा विधायक के रूप में इस्तीफा देने वाले दारा सिंह चौहान भाजपा के टिकट पर मैदान में हैं। सपा ने सुधाकर सिंह को उतारा है। सुधाकर सपा के टिकट पर 2012 में यहां से जीत दर्ज कर चुके हैं। बसपा और कांग्रेस जैसे अन्य प्रमुख दलों ने इस चुनाव में अपने उम्मीदवार नहीं उतारे हैं। कांग्रेस ने इस सीट पर सपा उम्मीदवार का समर्थन करने का एलान किया है। वहीं, वाम दलों ने भी सपा को समर्थन की घोषणा की है।

भाजपा और सपा के अलावा इस सीट से जन अधिकार पार्टी के टिकट पर अफरोज आलम, जनक्रांति पार्टी (राष्ट्रवादी) से मुन्नीलाल चौहान, आम जनता पार्टी (सोशलिस्ट) से राजकुमार चौहान, पीस पार्टी से सनाउल्लाह, जन राज्य पार्टी से सुनील चौहान और तीन निर्दलीय उम्मीदावर मैदान में हैं। निर्दलीय प्रत्याशियों में परवेंद्र प्रताप सिंह, रमेश पांडेय और विनय कुमार शामिल हैं।

2022 में कैसे रहे थे इस सीट से नतीजे?

2022 के विधानसभा चुनाव में इस सीट से सपा के दारा सिंह चौहान ने भाजपा के विजय कुमार राजभर को 22 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था। इस चुनाव में कुल 10 उम्मीदवार मैदान में थे। बसपा के वसीम इकबाल तीसरे नंबर पर रहे थे। सपा, भाजपा और बसपा उम्मीदवारों को छोडक़र बाकी सात उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी। दारा सिंह चौहान को कुल 108,430 मिले थे। वहीं, भाजपा उम्मीदवार विजय राजभर को 86,214 वोट से संतोष करना पड़ा था। वहीं, बसपा उम्मीदवार वसीम इकबाल को 54,248 वोट मिले थे।

घोसी सीट का जातीय समकीरण

इस सीट पर साढ़े चार लाख से ज्यादा मतदाता हैं। इनमें सबसे ज्यादा आबादी मुस्लिम और दलित मतदाताओं की है। 90 हजार से अधिक मुस्लिम मतदाता जीत-हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। वहीं, करीब 70 हजार से ज्यादा दलित मतदाता भी निर्णायक भूमिका में हैं। वहीं, करीब 60 हजार यादव तो 52 हजार से ज्यादा राजभर मतदाता भी यहां अहम भूमिका निभाते हैं। इसके साथ ही घोसी सीट पर क्षत्रिय, निषाद, मौर्य, भूमिहार मतदाताओं की संख्या भी 10-10 हजार से ज्यादा है।

आजमगढ़ का हिस्सा था घोसी

1951 में राज्य के पहले चुनाव हुए। उस वक्त घोसी आजमगढ़ जिले का हिस्सा था। घोसी पूर्व और घोसी पश्चिम के नाम से दो विधानसभा सीटें थीं। घोसी पूर्व से सोशलिस्ट पार्टी के राम कुमार और पश्चिम में यूपी रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के झारखंडे राय जीते थे। 1957 के विधानसभा चुनाव में घोसी सीट अस्तित्व में आई। इस चुनाव में झारखंडे राय यहां से जीते। राय इस बार भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार थे। राय को 1962 और 1967 में भी यहां से भाकपा के टिकट पर जीत मिली। लगातार चार बार विधानसभा चुनाव जीतने वाले झारखंडे राय 1968 में घोसी लोकसभा सीट से सांसद बन गए।

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