UP Politics: भाजपा का सियासी चक्रव्यूह बिगाड़ेगा उत्तर प्रदेश के समीकरण
एमपी में मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाना यादव वोट बैंक को अपने पाले में करने का बड़ा दांव, बढ़ेगी अखिलेश की टेंशन
Sandesh Wahak Digital Desk : चुनावी राज्यों में भाजपा ने मुख्यमंत्रियों के नामों पर बड़े बड़े सियासी दिग्गजों को मानो फेल कर दिया। सधी हुई सियासी रणनीति के जरिये भाजपा ने ओबीसी वोटबैंक पर ऐसा चक्रव्यूह रचा, जो न सिर्फ यूपी-बिहार बल्कि देश के हिंदी पट्टी राज्यों में विपक्ष के समीकरणों को चारों खाने चित्त करने में अहम भूमिका निभाएगा। छत्तीसगढ़ में आदिवासी समाज के विष्णु देव साय के बाद मध्य प्रदेश में उज्जैन दक्षिण से विधायक मोहन यादव को मुख्यमंत्री चुनकर एक तीर से कई निशाने साध लिए हैं।
चंद महीने में लोकसभा चुनाव होने हैं। बिहार के सीएम नीतीश कुमार और सपा प्रमुख जातीय जनगणना के सहारे ओबीसी कार्ड खेल रहे हैं। भाजपा का ताजा कदम पीडीए के दांव को भी जवाब है। मध्य प्रदेश में मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने सीधे तौर पर परम्परागत यादव वोटबैंक वाले दलों में शुमार सपा और राजद को सीधे तौर पर चुनौती दी है।
भाजपा पहले से यादव समाज पर फोकस करके पूर्वांचल में भी तैयारी कर रही है। लोकसभा चुनाव 2019 में सपा ने 5 सीटों पर जीत दर्ज की थी, जिसमें आजमगढ़ और रामपुर में हुए उपचुनाव में भाजपा ने जीत दर्ज कर ली। हिंदी प्रदेशों में जातिगत वोटों की भूमिका अहम रहती है।
छत्तीसगढ़ में आदिवासी समाज के विष्णु देव साय के मुख्यमंत्री बनने से सधेंगे बसपा के कोर वोटर्स
ऐसे में भाजपा ने छत्तीसगढ़ में विष्णु देव साय को मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने बसपा के कोर वोटर्स में भी सेंधमारी का प्रयास किया है। दरअसल भाजपा ने यादव वोट बैंक को छोड़ अन्य ओबीसी जातियों पर फोकस हमेशा किया, जिन्हें सपा सरकार में उपेक्षित रखा गया था। भाजपा ने सुनियोजित तरीके से गैर यादव वोट बैंक में सेंध लगाना शुरू कर दिया। यही कारण रहा कि 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को पूर्ण बहुमत मिला।
इसके बाद यूपी विधानसभा चुनाव 2017 में भाजपा ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई। भाजपा ने फिर अपने मिशन पर काम करना शुरू किया। अब यादव वोट बैंक पर सेंध लगाने में जुट गई। भाजपा ने भूपेंद्र यादव को पार्टी महासचिव बनाया। केंद्र सरकार में रामकृपाल को ग्रामीण विकास और हंसराज अहीर को गृह विभाग राज्यमंत्री की जिम्मेदारी दी गई।
वर्तमान में आजमगढ़ से भोजपुरी स्टार दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ सांसद हैं। भाजपा ने सपा के यादव वोटबैंक को कितना नुकसान पहुंचाया, इसका उदाहरण कन्नौज है। 2019 के लोकसभा चुनाव में यादव वोट बैंक खिसकने के कारण ये गढ़ भी ढह गया। पूर्व सीएम अखिलेश यादव की पत्नी और मुलायम सिंह यादव की बड़ी बहू डिंपल यादव को हार का सामना करना पड़ा था।
भाजपा ने दिया पीढ़ी के बदलाव का संदेश
यूपी में ओबीसी मतदाताओं की संख्या 54 फीसदी है जबकि यादवों की संख्या 10 प्रतिशत है। भाजपा ने नेतृत्व में पीढ़ी का बदलाव भी इस फैसले से दिखाया है। एक तरह से भाजपा सेकेंड लाइन का नेतृत्व तैयार करती हुई दिख रही है। इसलिए जो नेता पहले कैबिनेट का हिस्सा थे उन्हें आगे लाकर मुख्यमंत्री बनाने से इस पंक्ति के नेताओं में भी लालसा जगनी तय है।
सपा से खिसक रही यादव वेल्ट
प्रदेश में कुशीनगर, बदायूं, जौनपुर, फिरोजाबाद, संत कबीर नगर, बलिया, फैजाबाद, आजमगढ़, कन्नौज, मैनपुरी फर्रुखाबाद, इटावा, एटा को यादव बहुल माना जाता है, धीरे-धीरे यादव सपा से खिसक कर भाजपा की ओर जाने लगा है। यूपी की सत्ता में यादवों ने काफी समय तक शासन किया। राम नरेश यादव, मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव का नाम इसमें शामिल है।