UP Politics : परिवारवाद की राजनीति से भाजपा भी अछूती नहीं

Sandesh Wahak Digital Desk : हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भोपाल में लोकसभा चुनाव का बिगुल बजाते हुए परिवारवाद पर हमला बोला था। उन्होंने कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों पर परिवार की राजनीति करने का तंज कसा।

पीएम मोदी के भाषण के बाद यह तय हो गया कि आगामी चुनावों में समान नागरिक संहिता और राम मंदिर के साथ परिवारवाद और वंशवाद के मुद्दे साथ-साथ चलेंगे। नरेंद्र मोदी समेत भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता विपक्षी नेताओं को वंशवाद की राजनीति के लिए टारगेट करेंगे। लेकिन इस सिक्के का दूसरा पहलू भी है जो भाजपा के लिए गले की हड्डी से कम नहीं है। भाजपा और उसके सहयोगी दल खुद परिवारवाद से किनारा नहीं कर सकते हैं।

भाजपा के सभी सहयोगी दल परिवार तक ही सीमित

यूपी में भाजपा के सभी सहयोगी दल परिवार तक ही सीमित हैं। जाति आधारित इन दलों के पास अपना वोट बैंक है। जाति आधारित दल जीत की गारंटी नहीं बन सकते मगर वोट काटकर हराने का माद्दा रखते हैं। लोकसभा चुनाव 2019 के मुकाबले भाजपा का वोट प्रतिशत विधानसभा चुनाव में कम हुआ था मगर सीटों की संख्या में बढ़ोतरी हुई थी।

उत्तर प्रदेश में भी अपना दल और निषाद पार्टी ने भाजपा की जीत में भूमिका निभाई। यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में अपना दल और निषाद पार्टी ने पूर्वांचल में भाजपा को अजेय बढ़त दिलाई। राष्ट्रीय पार्टी से गठबंधन का फायदा इन दोनों दलों को भी हुआ। निषाद पार्टी चुनाव में 10 सीटों पर लड़ी और 5 सीटों पर जीत गई, जबकि उसे सिर्फ 0.91 प्रतिशत वोट ही मिले थे। विधानसभा चुनाव में 17 सीटों पर लडऩे वाली अपना दल को 12 सीटों पर जीत मिली, जबकि उसे 1.62 फीसदी वोट मिले थे।

इन्हीं दोनों मुद्दों के विरोध से शुरू हुआ था सफर

पार्टी विद द डिफरेंस के टैगलाइन के साथ जब भाजपा ने अपना राजनीतिक सफर शुरू किया, तभी से परिवारवाद और जातिवाद का विरोध पार्टी के एजेंडे में शामिल हो गया। अटल-आडवाणी युग के बाद 2000 के बाद जब पार्टी में नई पीढ़ी आई, तो भाजपा पर भी वंशवाद के आरोप लगे। पार्टी के बाहर भी भाजपा खुद परिवारवादी पार्टी से चुनावी समझौतों में कभी नहीं हिचकी।

अनुप्रिया और निषाद सिर्फ परिवार के भरोसे

अब हालात यह है कि यूपी में अपना दल और निषाद पार्टी सिर्फ परिवार के भरोसे ही दम भर रही है। अपना दल (सोनेलाल) की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल आज भी अपनी बहन से पिता सोनेलाल पटेल की विरासत की लड़ाई लड़ रही हैं। भाजपा के साथ गठबंधन का उन्हें काफी फायदा मिला। लोकसभा और विधानसभा में उन्हें एनडीए का सहयोगी होने का फायदा मिला। निषाद पार्टी के अध्यक्ष निषाद खुद यूपी सरकार में मंत्री हैं और पुत्र प्रवीण निषाद भाजपा के सांसद हैं।

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