UP politics : पूर्वांचल के लिहाज से अमरमणि भाजपा के लिए मुफीद
पत्नी समेत जेल से रिहा हुए बाहुबली पूर्व मंत्री, किसी भी दल से नहीं उठे विरोध के सुर, 62 फीसदी सजा अस्पताल में काटी
Sandesh Wahak Digital Desk : जिस तरह बिहार में आईएएस की हत्या में सजायाफ्ता आनंद मोहन सिंह की रिहाई का विरोध किसी भी बड़े दल ने नहीं किया, ठीक उसी तर्ज पर मधुमिता शुक्ला हत्याकांड के दोषी बाहुबली पूर्व मंत्री अमरमणि की जेल से रिहाई के विरोध के सुर किसी भी बड़े दल से नहीं सुनाई दिए। अमरमणि हर दल के चहेतों में शुमार रहा है।
अमरमणि दो बार विधायक बनने का सौभाग्य हासिल कर चुका
हालांकि कांग्रेस के नए प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने जरूर कहा कि अमर मणि त्रिपाठी की रिहाई भाजपा के बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के नारे का मजाक है। लेकिन राय ये जरूर भूल गए कि उनकी पार्टी कांग्रेस के ही टिकट पर अमरमणि दो बार विधायक बनने का सौभाग्य हासिल कर चुका है।
मिशन 2024 को देखते हुए पूर्वांचल के लिहाज से अमरमणि की रिहाई भाजपा के लिए सियासत के हर पैमाने पर मुफीद मानी जा रही है। इससे पहले पूर्व मंत्री के पुत्र पूर्व विधायक अमनमणि ने राजनीतिक संकट के समय भाजपा का खुलकर साथ दिया था। सफेदपोश अपराधी का जेल से बाहर आना सियासी हलकों में इस उपकार का रिटर्न गिफ्ट करार दिया जा रहा है।
त्रिपाठी की रिहाई के लिए 25-25 लाख रुपये के पांच मुचलके भरे गए
शुक्रवार को कवयित्री मधुमिता शक्ला हत्याकांड में उम्रकैद की सजा काट रहे पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि की रिहाई का आदेश लेकर जेलर खुद गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज पहुंचे और शाम 7.20 बजे दोनों को रिहा किया गया। त्रिपाठी की रिहाई के लिए 25-25 लाख रुपये के पांच मुचलके भरे गए। दोनों 18 साल से कैद थे।
मधुमिता की बहन निधि शुक्ला ने कहा कि अमरमणि के रिहा होने से परिवार की जान को खतरा है। जो व्यक्ति बीते 12 साल से जेल की जगह अस्पताल में है, उसे दया याचिका पर रिहा कैसे किया जा सकता है। दोनों ने जेल की सजा का 62 फीसदी हिस्सा जेल से बाहर बिताया है। मैंने सभी जिम्मेदार व्यक्तियों को दस्तावेज सौंप दिए हैं 2012 से 2023 के बीच वे जेल में नहीं थे। शुक्ला ने कहा कि समय से पहले रिहाई पाने के लिए त्रिपाठी दंपति ने अधिकारियों को गुमराह किया है।
भाजपा का खुलेआम समर्थन, मंच पर छुए थे सीएम के पैर
मुख्यमंत्री योगी से अमनमणि ने कई बार अपने माता पिता की रिहाई की गुहार लगाई। लेकिन बात नहीं बनी। 2017 में अपनी पत्नी की हत्या के दोषी अमनमणि ने मंच पर मुख्यमंत्री के पैर तक छुए थे। यही नहीं कोरोनाकाल में तीन साल पहले त्रिपाठी मुख्यमंत्री के पिता की मृत्यु पर पितृ संस्कार करने खुद से उत्तराखंड के लिए चल दिया था। जिस पर योगी के परिवार ने भी काफी नाराजगी जताई थी। कर्णप्रयाग पुलिस ने उसे बैरंग लौटा दिया था।
राज्यसभा चुनाव 2018 में तत्कालीन विधायक अमनमणि त्रिपाठी पहली बार खुलकर भाजपा के पक्ष में आए थे। उसके बाद विधानसभा में सतत विकास के लक्ष्यों को लेकर चले विशेष सत्र में जब विपक्षी दल विरोध में खड़े हुए तो अमनमणि भाजपा के साथ रहे। सडक़ से सदन तक अन्य कई मुद्दों पर अमनमणि ने खुलकर योगी सरकार का समर्थन किया।
सुप्रीम कोर्ट का यूपी सरकार को नोटिस, नहीं रोकी रिहाई
शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में मधुमिता के परिवार की अर्जी पर जस्टिस अनिरुद्ध बोस की खंडपीठ ने सुनवाई की। बहन निधि की वकील कामिनी जायसवाल ने कोर्ट को बताया कि त्रिपाठी की रिहाई के आदेश की भाषा ऐसी है, जैसे रिहाई सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हो रही है। मामले में जस्टिस अनिरुद्ध बोस ने यूपी सरकार को नोटिस जारी किया और 8 हफ्ते बाद सुनवाई की तारीख दी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने रिहाई पर रोक नहीं लगाई।
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