UP Politics: उपचुनाव से पहले मंगेश के बहाने अखिलेश का पीडीए दांव फेल

कानून व्यवस्था की जिस पिच के मास्टर सीएम योगी, उसी पर जल्दबाजी में खेलने लगे सपा मुखिया

Sandesh Wahak Digital Desk: सुल्तानपुर डकैती मामले में अपराधी मंगेश यादव के एनकाउंटर के बहाने जिस अंदाज में सपा मुखिया अखिलेश यादव पीडीए दांव को आजमा रहे हैं। वो लगभग फुस्स होता नजर आ रहा है।

सीएम योगी के सधे हुए सियासी हमलों ने पीडीए दांव को यादव कार्ड तक समेट दिया है। दरअसल जल्दबाजी में अखिलेश कानून व्यवस्था की उस पिच पर सियासी दांव खेलने लगे, जिसके मास्टर खुद सीएम योगी माने जाते हैं। नतीजतन भाजपा का पूरा अमला सपा शासन के दौरान अंजाम दी गयी एक से बढक़र एक आपराधिक घटनाओं का जिक्र करके अखिलेश पर सियासी तीर चलाने में कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ रहा है।

अखिलेश यादव वोटबैंक खोने के डर से एक अपराधी के बचाव में उतरे- बीजेपी

कुछ समय से सैफई परिवार के वरदहस्त वाले जिलों में ऐसी आपराधिक घटनाएं सामने आयीं। जिनके आरोपियों के तार तस्वीरों के जरिये सपा के शीर्ष नेतृत्व से जुड़ते नजर आये। उपचुनाव को देखते हुए भाजपा ने इसे लेकर सपा मुखिया को निशाने पर लिया। जिसके बाद अखिलेश ने पीडीए दांव आजमाते हुए मंगेश यादव एनकाउंटर को लेकर सरकार पर हमला बोला। हालांकि भाजपा नेताओं ने साफ़ कहा कि जिस अंदाज में अखिलेश यादव वोटबैंक खोने के डर से एक अपराधी के बचाव में उतरे हैं। उनके वैसे ही तेवर बाकी जातियों के लिए क्यों नहीं नजर आ रहे हैं।

ऐसे में उपचुनाव से पहले उनका पीडीए दांव उतना कारगर साबित नहीं होगा। अखिलेश ने सीधे मुख्यमंत्री योगी को टारगेट पर लेते हुए उन्हें भी फ्रंट फुट खेलने का मौक़ा दे दिया। उन्होंने सार्वजनिक तौर पर बयान दिया कि गिरोह का व्यक्ति परेशान होगा तो सरगना भी परेशान होगा ही। इस बयान के निहितार्थ नवाब सिंह यादव से लेकर सिर्फ मंगेश यादव तक सीमित नहीं थे बल्कि पिछले सपा कार्यकाल में गुंडई की पराकाष्ठा के चंद बड़े उदाहरणों से भी जुड़े थे।

अखिलेश राज के पहले साल में बढ़े थे महिला अपराध

अखिलेश के राज में महिलाओं के खिलाफ लगातार अपराध बढ़े थे। साल 2011 में पूरे उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ 22639 अपराध के मामले दर्ज किए गए, जबकि अखिलेश शासन के पहले साल 2012 में ही ये आंकड़ा बढक़र 23569 हो गया। 2012 में उत्तर प्रदेश में बलात्कार के 1963 मामले दर्ज किए गए। राज्य में हर रोज औसतन 5 से ज्यादा बलात्कार हो रहे थे।

70 फीसदी से ज्यादा घटनाएं सपा विधायकों और तत्कालीन मंत्रियों के इलाके में हो रही थीं। आंकड़ों के मुताबिक अखिलेश शासन में करीब 71 फीसदी अपराध की घटनाएं सपा के विधायक, नेताओं या मंत्रियों के जिलों में हुई थीं। मायावती सरकार से 16 फीसदी ज्यादा अपराध सपा राज में हुए थे।

जियाउल हक की हत्या भी हुई थी सपा शासन में

पीडीए दांव को सियासी ब्रह्मास्त्र मानकर आगे बढ़ रहे अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री रहते प्रतापगढ़ में सीओ कुंडा रहे जियाउल हक़ की हत्या कर दी गयी थी। जिसकी सीबीआई जांच के बावजूद पूर्व मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उफऱ् राजा भैया का बाल बांका तक नहीं हो पाया।

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