UP Police: दरोगा से कप्तान तक के कंधों पर फर्जी गिरफ्तारियों के ‘स्टॉर’
2014 में हुए मैनपुरी के सामूहिक हत्याकांड की विवेचना में खेल पर जज ने कार्रवाई के लिए लिखा पत्र
Sandesh Wahak Digital Desk/Manish Srivastava: यूपी पुलिस मासूमों को फंसा कर जेल भेज कर फर्जी खुलासे करती है…दो साल पहले उत्तराखंड की अपर मुख्य सचिव गृह राधा रतूड़ी के इस बयान ने खूब सुर्खियां बटोरी थी। जिसके निहितार्थ में यूपी पुलिस के ऐसे दरोगा और कप्तान शामिल हैं, जिनके ऊपर निर्दोषों को फर्जी मामलों में फंसाकर जेल भेजने सरीखे संगीन आरोप लगे हैं।
ताजा मामले में मैनपुरी में गिरफ्तारी और बरामदगी झूठी साबित होने पर अपर जिला जज चतुर्थ ने दरोगा बलवीर सिंह के खिलाफ कार्रवाई के लिए एसपी को पत्र भेजा है। 2014 में दिनदहाड़े नीरज, सोनू, अखिलेश, सुशील की सामूहिक हत्या करने के आरोप में रामराज को आरोपी बनाया गया। विवेचक ने रामराज को अहमदाबाद से पकड़ा, गिरफ्तारी करहल से दिखाकर फर्जी तमंचा और कारतूस बरामद करके जेल भेज दिया। कोर्ट में आरोप साबित नहीं होने पर रामराज को बरी करते हुए अब जज ने गलत विवेचना पर सख्त रुख अपनाया है।
करोड़ों की जमीन से जुड़ा है मामला
वहीं गुरुवार से आगरा के बोदला जमीन कांड की विवेचना भी सीबीसीआईडी के एडीजी एंटनी देव कुमार ने शुरू की है। पुलिस ने परिवार के पांच लोगों को गांजा और शराब बरामद कर जेल भेजा और फर्जी मुकदमे दर्ज किए थे। मामले में तत्कालीन एसओ जितेंद्र सहित अन्य को जेल भेजते हुए 18 के खिलाफ केस दर्ज हुआ था। एसआईटी ने विवेचना कर चार्जशीट लगाई। अब शासन ने विवेचना सीबीसीआईडी को सौंपी है। मामला करोड़ों की जमीन से जुड़ा है।
तीन साल पहले लखनऊ में एक व्यक्ति के खिलाफ फर्जी मुकदमा दर्ज कर जेल भेजने के मामले में सीबीसीआईडी ने दो दारोगा समेत चार पुलिसकर्मियों के खिलाफ अलीगंज में मुकदमा दर्ज कराया था। इसी तरह रामपुर में शराब बरामदगी के नाम पर व्यापारी से दस लाख लेने के बावजूद फर्जी मुठभेड़ में गिरफ्तार कर जेल भेजने का मामला सामने आया था। तत्कालीन आईजी शलभ माथुर की जांच में तत्कालीन एसपी शगुन गौतम समेत तीस से अधिक पुलिस वाले दोषी पाए गए थे।
एसआईटी जांच में रायबरेली एसपी का सच आएगा सामने
हाल ही में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने डीजीपी प्रशांत कुमार को छात्र की फर्जी गिरफ्तारी के मामले में रायबरेली एसपी अभिषेक अग्रवाल के खिलाफ एसआईटी बनाने के आदेश दिए हैं। बुजुर्ग मां के आरोपों के मुताबिक छात्र ने एसपी को अपनी टैक्सी देने से इनकार कर दिया था। तभी चोरी के एक मामले की आड़ में रायबरेली एसपी ने अधीनस्थों से छात्र की फर्जी गिरफ्तारी करा डाली। तीन जुलाई को सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने मुहर्रम और कांवड़ यात्रा को देखते हुए एसआईटी जांच की मियाद सितंबर तक बढ़ाई है।
डीजीपी सतर्क, एनसीआरबी के आंकड़े चिंताजनक
डीजीपी प्रशांत कुमार विवेचनाओं की निष्पक्षता को लेकर सतर्क हैं। समीक्षा बैठक के साथ ही समय-समय पर जारी आदेश में उन्होंने विवेचनाओं में लापरवाही को लेकर पुलिसकर्मियों को चेताया भी है। बीते वर्ष आई एनसीआरबी की रिपोर्ट में साफ़ दिया था कि उत्तर प्रदेश में 184309 मुकदमे दर्ज किए गए। इनमें से 16762 मामले झूठे पाए गए। उत्तर प्रदेश में कई पुलिस अफसरों के दामन पर फर्जी मुठभेड़ के आरोप पहले से लगे हैं।
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