UP Police: आईपीएस अफसरों को जांचों में क्लीनचिट देने की रफ्तार बढ़ी
जिन्हें सीएम ने भ्रष्टाचार के आरोपों पर किया निलंबित, उन्हें भी विभागीय जांचों में पाक साफ करार दिया गया
Sandesh Wahak Digital Desk/Manish Srivastava: यूपी पुलिस में भ्रष्टाचार के संगीन मामलों पर सीएम योगी निचले स्तर से लेकर शीर्ष पदों पर बैठे आईपीएस अफसरों पर कार्रवाई का हंटर चलाने में कभी नहीं हिचकते। लेकिन नौकरशाही भी अपनों को बचाने में खूब दांव पेंच आजमाती है। तभी आईपीएस अफसरों को जांचों में क्लीनचिट देने की रफ्तार तेजी पकड़ रही है।
हाल ही में तमिलनाडु कैडर के आईपीएस प्रयागराज के तत्कालीन एसएसपी अभिषेक दीक्षित को विभागीय जांच में क्लीनचिट दी गयी है। इस आईपीएस पर थानों और चौकियों को बेचने के संगीन आरोप थे। खुद सीएम ने निलंबित किया था। आईपीएस अभिषेक पहले नहीं हैं, जिन्हे क्लीनचिट की रेवड़ी से नवाजा गया है। इसी तरह आईपीएस अजय पाल शर्मा, सुधीर सिंह, गणेश साहा, हिमांशु कुमार और राजीव नारायण मिश्रा भी भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के बावजूद जांचों से क्लीनचिट पाए हैं। अजय वर्तमान में जौनपुर एसपी हैं।
इन अफसरों के ऊपर अवैध वसूली से लेकर सिंडिकेट चलाने के संगीन आरोप लगे थे। नोएडा के तत्कालीन एसपी वैभव कृष्ण की रिपोर्ट में सब आईने की तरह साफ़ था। अगला नंबर आईपीएस अनंत देव तिवारी का है। जिन्हे बिकरू काण्ड में तीन हजार पन्नों से ज्यादा की रिपोर्ट के बावजूद बहाल किया गया था। इसी तरह लखनऊ के चर्चित सर्वेश साहू हत्याकांड की सीबीआई जांच में लापरवाही की दोषी आईपीएस मंजिल सैनी को भी जांच में क्लीनचिट मिल चुकी है।
घूसकांड के दोषी आईपीएस अनिरुद्ध सिंह पर कार्रवाई नहीं
इसी तरह आईपीएस अनिरुद्ध सिंह रेपकांड में एक स्कूल संचालक से 20 लाख रुपए की घूस मांगते वीडियो में साफ तौर दिखे। इन्हे भी प्रारंभिक जांच में क्लीनचिट मिली। बाद में फजीहत होते देख डीजीपी मुख्यालय के द्वारा कराई जांच में पिछले वर्ष आईपीएस अनिरुद्ध दोषी साबित हुए। जांच में सामने आया कि जब अनिरुद्ध को उनका वीडियो बनाए जाने की जानकारी मिली तो उन्होंने अपने पक्ष में तस्करा डाला कि वह आरोपी को ट्रैप करने के लिए वीडियो कॉल कर रहे थे। पूर्व में उनके खिलाफ हुई जांचों में उन्होंने खुद को सही साबित करने के लिए इसका जिक्र भी किया। इसके बावजूद आज तक अनिरुद्ध सिंह के खिलाफ शासन ने कोई कार्रवाई करना मुनासिब नहीं समझा।
क्लीनचिट देने में खूब सुर्खियां बटोरते हैं आईपीएस नीलाब्जा
विजिलेंस ने आय से अधिक सम्पत्ति मामले में आईपीएस अभिषेक दीक्षित का चिट्ठा खोला तो शासन से विभागीय जांच तत्कालीन संयुक्त पुलिस आयुक्त लखनऊ कमिश्नरेट नीलाब्जा चौधरी को सौंपी गयी। तत्कालीन एडीजी प्रेम प्रकाश ने अहम साक्ष्य तक सौपें थे। इसके बावजूद चौधरी ने आईपीएस अभिषेक को क्लीनचिट दी। वर्तमान में आईजी एटीएस के पद पर तैनात नीलाब्जा चौधरी को आईपीएस अफसरों को क्लीनचिट देने में महारथ हासिल है। इससे पहले कानपुर के चर्चित बिकरू काण्ड में नीलाब्जा ने आईपीएस अनंत देव तिवारी को क्लीनचिट दी थी। जिसके बाद डीओपीटी ने मुख्य सचिव और गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव को आईपीएस नीलाब्जा के खिलाफ जांच के आदेश दिए थे।
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