UP: घूसखोरी में सुर्खियां बटोर रही यूपी पुलिस, संपत्तियों पर मेहरबानी
सीएम योगी ने दागी पुलिसकर्मियों की सम्पत्तियां जब्त करने और बर्खास्त करने का दिया था आदेश, बड़े अफसरों को सुध नहीं
Sandesh Wahak Digital Desk : बेईमान और भ्रष्ट पुलिसकर्मियों की सम्पत्तियां न सिर्फ जब्त होंगी बल्कि इन्हे बर्खास्त भी किया जाएगा। इन अल्फाजों का इस्तेमाल जून 2019 में काशी दौरे पर पहुंचे सूबे के मुखिया मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कानून व्यवस्था की समीक्षा के दौरान किया था। बीते कुछ समय से यूपी में घूसखोर पुलिसकर्मियों को रंगेहाथों गिरफ्तार करने के मामलों ने तेजी जरूर पकड़ी है।
लेकिन खाकी के दामन को दागदार बनाने वाले इन घूसखोरों की सम्पत्तियों को जब्त करने से बड़े पुलिस अफसरों को मानो परहेज है। घूसखोरों की सूची में सिपाही से लेकर आईपीएस तक खूब नाम कमा रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक बीते पांच वर्षों में 60 से ज्यादा पुलिसकर्मी रिश्वत लेते दबोचे गए हैं।
11 मई : वाराणसी के जंसा थाने के दरोगा अभिषेक वर्मा और एक बिचौलिए को घूस लेते हुए एन्टी करप्शन की टीम ने पकड़ा था। दरोगा एक लाख रुपये की घूस मांग रहे थे। घूस मुकदमे की धारा कम करने और नाम हटाने के एवज में मांगी गई थी।
13 जुलाई: लखनऊ के बीकेटी थाने के दरोगा प्रदीप सिंह को एन्टी करप्शन ने जमीन विवाद में 25 हजार घूस मांगने पर गिरफ्तार किया था।
30 सितंबर : महाराजगंज के नौतनवा थाने के एसआई जंग बहादुर यादव का वीडियो वायरल हुआ। जिसमें मुकदमे की विवेचना के दौरान 10 लाख रुपये रिश्वत मांगने के साथ 55 हजार रुपये लेने का आरोप था। मामले की विवेचना कर रहे एसआई जंग बहादुर ने विपक्षी के साथ मिलकर दर्ज मुकदमें की जांच के दौरान 308 धारा की भी बढ़ोत्तरी कर दी।
16 अक्टूबर : कानपुर कमिश्नरेट के तहत थाना कलेक्टरगंज के इंस्पेक्टर राम जन्म गौतम रिपोर्ट लिखवाने के नाम पर 50 हजार की घूस लेने पर रंगेहाथों पकड़े गए थे।
4 नवंबर :लखनऊ में हरौनी पुलिस चौकी में एंटी करप्शन की टीम ने छापा मारकर 10 हजार रुपये रिश्वत लेते चौकी प्रभारी राहुल त्रिपाठी को रंगे हाथ गिरफ्तार किया था। प्रकरण विवेचना के बाद केस में दुष्कर्म की धारा बढ़ाने से जुड़ा था।
20 नवंबर : मेरठ में उप निरीक्षक पिंकी शर्मा को मुरादाबाद की एन्टी करप्शन इकाई ने रंगेहाथों 25 हजार रिश्वत लेते गिरफ्तार किया था। तीन तलाक और दहेज एक्ट के मामले में आरोपी हसमत अली का नाम विवेचना के दौरान मुकदमे से हटाने पर डील हुई थी।
अपनों को भी नहीं बख्शती पुलिस, ऑनलाइन भी लेते हैं घूस
यूपी पुलिस अपनों को भी नहीं बख्शती है। तभी दो साल पहले लखनऊ में तैनात इंस्पेक्टर राधेश्याम यादव को रंगे हाथों पांच हजार की घूस लेते गिरफ्तार किया गया था। ईओडब्ल्यू से रिटायर्ड सीओ बीएल दोहरे के साथ हुई जालसाजी के मामले की जांच में धारा बढ़ाने के लिए रिश्वत मांगी गई थी। दागी पुलिसकर्मियों को डिजिटल तरीके से भी घूस लेने से परहेज नहीं है। तभी अप्रैल में कानपुर में व्यवसायी से फर्जी जीएसटी अफसर बनकर गूगल पे से पुलिसकर्मियों ने दस हजार की रिश्वत अपने खाते में ली और केस दर्ज होते ही लौटा भी दी।
घूसखोरी में आईपीएस अफसर भी खूब कमा रहे नाम
घूसखोरी में आईपीएस भी पीछे नहीं हैं। तभी वाराणसी में तैनाती के दौरान स्कूल संचालक से वीडियो कॉल के जरिए 20 लाख की रिश्वत मांगने वाले आईपीएस अनिरुद्ध सिंह जांच में दोषी पाए गए थे। पहले एडीजी स्तर के दो अफसरों ने आईपीएस अनिरुद्ध को जांच में क्लीनचिट दी थी। इस आईपीएस के ऊपर भी सख्त कार्रवाई का अभी तक इंतजार है। घूसखोरी में लिप्त आईपीएस अफसरों पर ठोस कार्रवाई यूपी पुलिस के निचले स्तर तक सन्देश देने के लिए जरुरी है।