UP Police: खाकी हुई बेलगाम, अवैध वसूली पर आंखे मूंदे हैं अफसर

Sandesh Wahak Digital Desk: भ्रष्ट वर्दीधारियों की करतूत की वजह से खाकी का दामन लगातार दागदार हो रहा है। खाकी की आड़ में वर्दीधारी अपना जमीर बेचकर एक नई इबारत लिखने में जुटे हुए हैं। सिपाही से लेकर डीएसपी तक सरकार की फजीहत कराने पर अमादा है।

राजधानी से लेकर यूपी के लगभग हर जिले में भ्रष्टाचार चरम पर है, लेकिन जिले के आका अपने नुमाइंदों की कारगुजारी पर आंखे मूंदे हुए हैं। लगातार ऐसे मामले सामने आने के बाद डीजीपी मुख्यालय ने अब कड़ा रुख अपनाया है। साफ कर दिया है कि वसूली की शिकायतों पर सीधे एसपी की जवाबदेही तय होगी। किसी भी जिले में पुलिस के स्तर से भ्रष्टाचार के मामले में पुलिस कप्तान को शिथिल पर्यवेक्षण के लिए प्रथम दृष्टया दोषी माना जाएगा।

हर महीने थाने से हो रही थी तीन करोड़ रुपये की काली कमाई

25 जुलाई को हुए बलियाकांड ने यूपी पुलिस का सिर शर्म से झुका दिया। एसपी देवरंजन वर्मा और एएसपी डीपी तिवारी की नाक के नीचे मलाईदार नरही थाना प्रभारी पन्नेलाल ने भ्रष्टाचार की सारी सीमाएं लांघ दीं। एक ही रात में नरही थाना क्षेत्र के भरौली चौराहे की काली कमाई करीब 10 लाख रुपए थी। हर महीना 3 करोड़ की कमाई थाने में हो रही थी और अधिकारी अंजान बने रहे।

एडीजी वाराणसी पीयूष मोर्डिया और डीआईजी आजमगढ़ वैभव कृष्ण

सालों से चल रहे अवैध वसूली के सिंडिकेट की बू आखिरकार लखनऊ तक पहुंची। जिसके बाद एडीजी वाराणसी पीयूष मोर्डिया और डीआईजी आजमगढ़ वैभव कृष्ण ने सादे कपड़ों में टीम संग ट्रकों पर सवार होकर अवैध वसूली के नेटवर्क का भंडाफोड़ किया। अभी तक बलिया केस में थाना प्रभारी, दो सिपाही और एक हेड कांस्टेबल समेत 20 लोग गिरफ्तार कर जेल भेजे जा चुके हैं।

जबकि सीओ समेत सात निलंबित और कई पुलिसकर्मी फरार हैं। वहीं, 24 जुलाई को वाराणसी पुलिस ने वर्दी की आड़ में क्राइम ब्रांच बता लुटेरों का गिरोह चलाने वाला दरोगा सूर्य प्रकाश पांडेय समेत तीन को पकड़ा था। इन्होंने सराफा कारोबारी जयपुर के कर्मचारियों अविनाश और धनंजय से 93 लाख पकड़े थे। हवाला के रुपए दिखाकर 42 लाख रखकर 51 लाख लौटा दिए थे।

CM Yogi

जन प्रतिनिधियों से लिया जा रहा फीडबैक

सूत्रों की मानें तो सीएम योगी इस बीच जनप्रतिनिधियों के साथ मंडलवार बैठक कर रहे हैं। जिसमें थानों और तहसीलों में भ्रष्टाचार और अवैध वसूली की शिकायतें मिली हैं। सीएम को मिल रही इन शिकायतों के चलते कई जिले रडार पर हैं। इन जिलों पर डीजीपी मुख्यालय से नजर रखी जा रही है।

दरोगा तो दरोगा सीओ भी पीछे नहीं

यूपी में रक्षक ही भक्षक बन गए हैं। दरोगा-सिपाही की वसूली की तमाम शिकायतें जगजाहिर हैं। लेकिन अब राजपत्रित अधिकारी भी उनसे पीछे नहीं हैं। ऐसे ही एक रिश्वतकांड में अब सीओ दीपशिखा फंस गई हैं। आगरा के मीरगंज सर्किल में तैनात रही सीओ दीपशिखा पर तिलमास गांव निवासी रिफाकत अली से दो लाख रुपए की रिश्वत मांगने का आरोप है। डिमांड पूरी न होने पर ट्रैक्टर और जेसीबी खनन में दिखाकर सीज कर दी थी।

तत्कालीन एसएसपी सुशील धुले ने एसपी से जांच कराई तो आरोप सही मिले। यही नहीं खनन अधिकारी की जांच में भी सीओ की कारवाई गलत मिली। नवागत एसएसपी अनुराग आर्य ने विभागीय जांच पूरी होने के बाद रिपोर्ट शासन को भेज दी है। इसी तरह बलिया कांड में भी सीओ शुभ सूचित पर भी आरोप लगे। सीएम ने निलंबन के साथ ही संपत्ति की विजिलेंस जांच के आदेश दिए थे।

हाल ही में हुए मामले

  • 27 जुलाई – मिर्जापुर में अवैध वसूली की शिकायतों पर 27 पुलिसकर्मी किए गए लाइन हाजिर।
  • 26 जुलाई – देवरिया में किशोरी को ढूंढने के लिए पीड़ित परिवार से कराया मुंबई का टिकट, दरोगा लक्ष्मी नारायण पांडेय निलंबित।
  • 25 जुलाई – सीतापुर में मादक पदार्थ के गुडवर्क के चक्कर में स्वाट टीम और थाना पुलिस में हुई रार में चार दरोगा समेत 27 पुलिसकर्मी हुए लाइन हाजिर।
  • 22 जुलाई – बंथरा प्रॉपर्टी डीलर ऋतिक हत्याकांड में लापरवाही। पीडि़त परिवार की मदद के बजाए दरोगा खेलते रहे लूडो, सिपाही मुख्य आरोपी से करता रहा बात। इंस्पेक्टर समेत चार निलंबित।
  • 22 जून – आजमगढ़ एसपी कार्यालय में तैनात दो सिपाहियों ने मदद के लिए आए पीडि़त से की वसूली, निलंबित।
  • 14 जून – आगरा में पासपोर्ट वेरिफिकेशन के नाम पर अवैध वसूली मांगने पर 56 पुलिसकर्मी हुए निलंबित। इनमें 12 दरोगा, 9 मुख्य आरक्षी और 35 आरक्षी थे।

पूरी तरह से अक्षम्य है। जितना दरोगा और सिपाही जिम्मेदार है, उतने ही जिम्मेदार पर्यवेक्षण अधिकारी भी हैं। जिले के कप्तान को अपने मातहतों पर नियंत्रण रखना होगा। यह हो ही नहीं सकता है कि बलिया के नरही थाने में अवैध वसूली से करीब तीन करोड़ की कमाई हो रही थी और एसपी व एएसपी को पता तक नहीं था। यह बात किसी के गले से नहीं उतर सकती है।

विक्रम सिंह, रिटायर्ड डीजीपी यूपी

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