UP Police: सिर्फ निलंबन पर जोर, खाकी के ‘दागियों’ को जबरिया रिटायर करने की मुहिम थमी
बरामद सोना तक बेच रहे पुलिसकर्मी, बिकरू से लेकर बलिया वसूली कांड जैसे भ्रष्टाचार के कई मामलों से लगातार हो रही फजीहत
Sandesh Wahak Digital Desk/Manish Srivastava: सोमवार को कानपुर में चोरी का सोना मिलने के बाद दूसरे सर्राफ को बेचने के मामले में थाना प्रभारी समेत चार पुलिसकर्मी निलंबित हुए। यूपी में खाकी पर भ्रष्टाचार के दाग का ये पहला मामला नहीं है।
बलिया वसूली काण्ड से लेकर बिकरू जैसे न जाने कितने मामलों ने खाकी की फजीहत कराने में कसर बाकी नहीं छोड़ी। अपराधियों के खिलाफ जिस अंदाज में मिशन क्लीन चलाने का दम यूपी पुलिस भरती है। उसी तर्ज पर महकमें के दागियों के खिलाफ अभियान चलाने से पुलिस को मानो परहेज है। तभी दागी पुलिसकर्मियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति (जबरिया रिटायर) देकर सेवा से बाहर करने की रफ़्तार मानो थम सी गयी है। पुलिस अफसरों की नजर में गड़बड़ छवि के कर्मियों का निलंबन ही कर्तव्यों की इतिश्री मात्र रह गया है।
दागी पुलिसकर्मियों की स्क्रीनिंग किये जाने का निर्देश
2021 में डीजीपी मुख्यालय ने सभी जिलों में दागी पुलिसकर्मियों की स्क्रीनिंग किये जाने का निर्देश दिया। 50 वर्ष व उससे अधिक आयु के दागी पुलिसकर्मियों को अनिवार्य सेवानिवृत्त देने के लिए स्क्रीनिंग शुरू करने का आदेश एडीजी स्थापना संजय सिंघल ने जारी किया था। 30 नवंबर तक सभी जिलों के एसएसपी, एसपी और पुलिस कमिश्नरों से स्क्रीनिंग का ब्योरा डीजीपी मुख्यालय भेजने को कहा गया। पत्र में 1985 से लेकर 2017 तक के शासनादेशों का हवाला था। अगले वर्ष एक और नोटिस जारी करके मार्च 2022 तक रिपोर्ट भेजने का फरमान सुनाया गया। 2023 में भी 30 नवंबर तक अयोग्य कर्मियों की पहचान करने के निर्देश जारी हुए।
पीएसी मुख्यालय से भी दागी पुलिसकर्मियों की पहचान सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए। स्क्रीनिंग के आधार पर कितने पुलिसकर्मियों को सेवा से बर्खास्तगी मिली, इस सवाल का जवाब मांगते ही अफसरों के पसीने छूट जाते हैं। सूत्रों की माने तो अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने में डीजीपी मुख्यालय से लेकर शासन तक सिर्फ अड़ंगेबाजी ही नजर आती है। हालांकि दबी जुबान से सैकड़ों गड़बड़ पुलिसकर्मियों को सेवा से बाहर किये जाने के दावे हो रहे हैं।
शासन को रिपोर्ट भेजता है डीजीपी मुख्यालय : एडीजी स्थापना
डीजीपी मुख्यालय में एडीजी स्थापना संजय सिंघल ने कहा कि ऐसे पुलिस कर्मियों की रिपोर्ट बनाकर शासन को भेजी जाती है। कितने बर्खास्त हुए, इस सवाल का जवाब कार्मिक विभाग ही बतायेगा। इस संबंध में जब एडीजी कार्मिक राजा श्रीवास्तव को सीयूजी नंबर पर कॉल की गई तो उन्होंने रिसीव नहीं की।
जुलाई 2021 से प्रशांत हैं पांचवें डीजीपी, फिर भी तेजी नहीं
जुलाई 2021 से यूपी में मुकुल गोयल (दो जुलाई 2021-11 मई 2022), देवेंद्र सिंह चौहान (13 मई 2022-31 मार्च 2023), आरके विश्वकर्मा ( 31 मार्च 2023-31 मई 2023) और विजय कुमार (31 मई 2023-31 जनवरी 2024) ने डीजीपी की कुर्सी संभाली थी। वर्तमान डीजीपी प्रशांत कुमार पांचवें नंबर पर प्रदेश पुलिस के मुखिया बनाये गए हैं। इसके बावजूद दागी पुलिसकर्मियों को सेवा से बाहर करने में तेजी गायब है।
जांचों में फंसे आईपीएस अफसरों को मिलती रही क्लीनचिट
भ्रष्ट पुलिसकर्मियों में सिपाही से आईपीएस तक शामिल हैं। आईपीएस की बात करें तो तीन वर्षों में अमिताभ ठाकुर, राकेश शंकर, राजेश कृष्णा और मणिलाल पाटीदार को जबरन रिटायर किया गया है। इस दौरान भ्रष्टाचार के आरोपों में फंसे आईपीएस सुधीर सिंह, गणेश साहा, अनन्त देव तिवारी, अभिषेक दीक्षित, अजयपाल शर्मा, हिमांशु कुमार, राजीव नारायण मिश्रा, तमिलनाडु कैडर के अभिषेक दीक्षित समेत कई क्लीनचिट पाकर तैनातियां पा चुके हैं। घूसखोरी में फंसे आईपीएस अनिरुद्ध सिंह पर भी कार्रवाई दफन है।
Also Read: जेलों से चल रहा दहशत का कारोबार, ‘सिस्टम’ तोड़ने में सरकारें नाकाम