UP News: पूर्ववर्ती सरकारों के शिक्षा माफिया पर कस रहा विजिलेंस का शिकंजा
यूं ही नहीं हो रहा हजारों शिक्षकों के नियुक्ति घोटाले की जांच का विरोध, फंसी है कई अफसरों-नेताओं की गर्दन
Sandesh Wahak Digital Desk: यूपी में 40 हजार शिक्षकों की नियुक्ति की विजिलेंस जांच का विरोध यूं ही नहीं है। दो दशक के दौरान शिक्षकों की भर्तियों में हुई धांधलियों की सूची लम्बी है। विजिलेंस और एसटीएफ जैसी एजेंसियों के पास फर्जी शिक्षकों की जांचें वर्षों से हैं।
बेसिक और माध्यमिक में अफसरों-नेताओं ने अपनों को भर्ती कराकर रेवडिय़ां बांटी हैं। विजिलेंस शिक्षा माफिया के सिंडिकेट तक पहुंचती नजर आ रही है। प्रदेश की माध्यमिक शिक्षण संस्थाओं में 18 वर्षो के दौरान 40 हजार से ज्यादा शिक्षक व चतुर्थ श्रेणी कर्मियों की भर्ती की गयी है। दिसंबर 2019 में तत्कालीन प्रमुख सचिव गृह से शिकायत के बाद फर्जीवाड़े की जांच विजिलेंस गयी थी।
एसटीएफ ने भी पकड़ा था फर्जी नियुक्तियों का खेल
प्रतिवर्ष करीब ढाई हजार करोड़ से ज्यादा का वेतन सरकार का खर्च हो रहा है। विजिलेंस को वर्ष 2003 से 2020 तक हुई नियुक्तियों का ब्यौरा और शासनादेश देने में माध्यमिक विभाग के अफसरों ने खून के आंसू रुला दिए हैं। विजिलेंस ने आधा दर्जन से ज्यादा पत्र विभाग को लिखे थे। घोटाले में दो दशक में शिक्षा विभाग में तैनात अफसर फंसे हैं। विजिलेंस की प्रारंभिक जांच में खुलासा हुआ था कि विद्यालयों में भर्तियां मनमाने ढंग से कर ली गईं।
जिला विद्यालय निरीक्षकों ने स्कूलों के प्रबंधक से साठगांठ करके मनमाने ढंग से अनुमोदन कर चहेतों, रिश्तेदारों या फिर रसूख वालों की भर्तियां कर डाली। आम लोगों को विज्ञापन के बारे में जानकारी भी नहीं हो सकी। विजिलेंस से जुड़े सूत्रों के मुताबिक दस्तावेजों के सत्यापन में कई उच्च शिक्षण संस्थानों से जारी जाली डिग्रियां पकड़ में आयी हैं। वहीं दूसरी तरफ दो साल पहले शुरूआती जांच में करीब पांच हजार फर्जी शिक्षकों तक एसटीएफ के हाथ पहुंचने के बाद मामला ठन्डे बस्ते में हैं। एक सैकड़ा से ज्यादा एफआईआर मामले में दर्ज की गयीं।
2823 शिक्षकों की डिग्री फर्जी, अरबों की वसूली दफन
तीन साल पहले आगरा के भीमराव अम्बेडकर विवि से जारी 2823 शिक्षकों की डिग्री फर्जी पाई गयी। परिषदीय स्कूलों में इनकी भर्तियां 2004-2005 से लेकर 2016 तक की गयी। बाद में 930 शिक्षक बर्खास्त हुए। वहीं 1427 शिक्षकों से वेतन वसूली होनी थी। एसआईटी जांच में हुए खुलासे के बाद तत्कालीन अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा रेणुका कुमार ने फर्जी शिक्षकों से वसूली करने व एफआईआर के निर्देश जारी किये।
हर शिक्षक से औसतन 60 लाख की वेतन वसूली तय थी। करीब नौ सौ करोड़ की फर्जी शिक्षकों से वसूले जाने का मामला फाइलों में दबा दिया गया। हाईकोर्ट ने भी फर्जी शिक्षकों की बर्खास्तगी को सही ठहराते हुए उन्हें तगड़ा झटका दिया था।
चेतावनी: जांच न रोकी गई तो पढ़ाई ठप करेंगे
अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक स्कूलों के 40 हजार शिक्षकों व कर्मचारियों के खिलाफ सतर्कता जांच कराए जाने के आदेश का विरोध तेज हो गया है। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ (चंदेल गुट) ने चेतावनी दी है कि अगर जांच न रोकी गई तो वह पढ़ाई ठप करेंगे।
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