UP News: 93 दिन में दो प्रमुख सचिव प्रतीक्षारत, विभागों में खूब दौड़ी ‘भ्रष्टाचार एक्सप्रेस’

Sandesh Wahak Digital Desk/Manish Srivastava: हम नहीं सुधरेंगे, इस कहावत पर यूपी के ऐसे ताकतवर नौकरशाह सटीक बैठते हैं। जिन्हे सीएम योगी का भी कतई डर नहीं है। अहम पदों की कमान मिलने के बाद इनके विभागों में भ्रष्टाचार की रफ्तार के आगे बुलेट ट्रेन भी फेल है।

तीन महीनों के भीतर योगी सरकार ने कारागार और जंगल महकमें के मुखिया वरिष्ठ आईएएस राजेश कुमार सिंह और मनोज सिंह को सभी पदों से हटाते हुए प्रतीक्षारत किया है। जंगल महकमें से पहले मनोज सिंह के ऊपर समाज कल्याण विभाग में भी करोड़ों के घोटालों का आरोप लगा, फिर भी बाल बांका नहीं हुआ।

इन अफसरों के विभागों में दागियों को उपकृत करने का खेल भी खूब चला था। हालांकि कई ऐसे विभागों के मुखिया हैं। जो खुद को सेफ जोन में समझ रहे हैं। इनके ऊपर कार्रवाई का हंटर चले बिना भ्रष्टाचार के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस नीति पर मुहर नहीं लगेगी।

रिटायरमेंट से 51 दिन पहले वेटिंग लिस्ट में डाले गए मनोज सिंह

वन विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज सिंह को रिटायरमेंट से 51 दिनों पहले सभी पदों से हटाकर प्रतीक्षारत किया गया है। मनोज के ऊपर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में कई खेल के संगीन आरोप हैं। स्लॉटर हाउस को मनमानी एनओसी बांटी गयी हैं। बोर्ड में ऐसा पहला खेल नहीं है। इससे पहले सदस्य सचिव के पद पर मुख्य पर्यावरण अधिकारी रहे अजय शर्मा को बिठाकर कलंक कथा लिखी गयी थी। शर्मा के खिलाफ शिकायतों और जांच रिपोर्ट्स दफन करा दी गयीं थी।

संजय प्रताप जायसवाल

वन विभाग में मनमाने तरीके से अफसरों के गड़बड़ तबादलों को भी नजरअंदाज किया गया। मनोज के ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप नए नहीं हैं। समाज कल्याण विभाग में मनोज सिंह चार साल तक प्रमुख सचिव के पद पर तैनात थे। इस दौरान सपा के करीबी ठेकेदारों को करोड़ों का लाभ पहुंचाने से लेकर गड़बड़ कॉलेजों पर कई मेहरबानियों को अंजाम दिया गया। 2018 में बस्ती के रुधौली से भाजपा विधायक रहे संजय प्रताप जायसवाल ने मनोज सिंह के खिलाफ सीएम योगी को जांच के लिए पत्र भेजा था।

सन्देश वाहक’ से बातचीत में तत्कालीन भाजपा युवा मोर्चा के जिला उपाध्यक्ष रिंकू दुबे ने कहा कि ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने के लिये तत्कालीन प्रमुख सचिव समाज कल्याण मनोज सिंह ने करोड़ों का काम दागी लैकफेड (अब यूपीसीएलडीएफ) को दिया था।

अफसरों और सपा सरकार में सम्पर्कों के बूते रातों रात पलटी किस्मत

विभाग की निर्माण इकाई समाज कल्याण निर्माण निगम को अनदेखा किया गया। तत्कालीन प्रमुख सचिव मनोज सिंह ने बस्ती में 11 करोड़ और बलरामपुर में 40 करोड़ का बजट लैकफेड को दिया था। प्रमुख सचिव समाज कल्याण रहे मनोज सिंह के इस कदम से पूर्ववर्ती सपा सरकार के ख़ास ठेकेदार अंशु यादव को लैकफेड से करोड़ों का लाभ पहुंचा था।

समाज कल्याण विभाग से मनोज सिंह के चहेते इस सपाई ठेकेदार को बाद में करोड़ों के ठेके देने की बात सामने आ रही है। कहा जा रहा है कि अंशु पहले पंचायत सचिव था। बाद में अफसरों और सपा सरकार में सम्पर्कों के बूते रातों रात किस्मत पलट गयी। भाजपा सरकार बनने से पहले भी योजना के तहत लैकपेड को पैसा दिया गया था, लेकिन तत्कालीन डीएम रमाकांत और भाजपा नेता जय चौबे ने शासन को पत्र लिखकर धन वापस करा दिया था। इसी धन को बाद में लैकफेड को पुन: आवंटित किया गया। इसी तरह समाज कल्याण विभाग में मनोज सिंह के कार्यकाल में कई कारनामों को अंजाम दिया गया।

योगी सरकार में हुई राजेश कुमार सिंह पर कार्रवाई

फिर भी यूपी सरकार ने इस आईएएस को वन विभाग का मुखिया बनाकर मलाईदार तैनाती से नवाजा था। इसके बाद बारी कारागार और सहकारिता विभाग के प्रमुख सचिव रहे राजेश कुमार सिंह की है। जिन्हे कैदियों की सजा माफी मामले में सुप्रीम कोर्ट में गलतबयानी पर योगी सरकार ने छह सितंबर को सभी पदों से हटाते हुए प्रतीक्षारत कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट इस आईएएस पर इतना भड़का कि योगी सरकार ने फजीहत होने पर आज तक राजेश को सिर्फ प्रतीक्षारत ही रखा है।

CM Yogi

प्रमुख सचिव कारागार रहते राजेश कुमार सिंह दागी जेल अफसरों पर कुछ ज्यादा ही मेहरबान थे। तभी जिन जेल अधीक्षकों को माफियाओं से कनेक्शन के आधार पर खुद सीएम योगी आदित्यनाथ ने निलंबित किया था। उनको कुछ समय बाद मनमानी जांच के आधार पर बहाल कर दिया गया। इसकी जांच सीएम योगी कराएं तो कई बड़े खुलासे होने तय हैं। बहाली के बाद ऐसे दागी अफसरों को पुन: जेलों का मुखिया बनाकर शानदार तैनातियां देने से भी गुरेज नहीं किया गया। दागी अफसरों की सम्पत्तियों की जांच कराना भी शासन ने मुनासिब नहीं समझा।

निजी सचिव हटाए गए, यूपीपीसीबी के दो अफसर निलंबित 

सरकार ने रविवार को अपर मुख्य सचिव वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मनोज सिंह को हटाकर उन्हें प्रतीक्षारत किया था। सोमवार को उनके प्रधान निजी सचिव राजीव सिंह को भी हटा दिया गया है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) के मुख्य पर्यावरण अधिकारी विवेक राय और उन्नाव के क्षेत्रीय अधिकारी डॉ. अनिल माथुर भी निलंबित किये गए हैं। मनोज सिंह के कार्यकाल में हुई गड़बड़ियों की जांच गहराई से कराये जाने की आवश्यकता है।

सेफ जोन में बने हुए हैं कई अहम विभागों के मुखिया

योगी सरकार में कई वरिष्ठ आईएएस को वर्षों से मलाईदार विभागों की कमान थमाई गयी है। एक आईएएस तो सचिव बनकर एक अहम महकमें में आये, प्रमुख सचिव बनने के बाद उसी महकमें के मुखिया बनकर चार सालों से अंगद के पैर की तरह जमे बैठे हैं। वहीं एक प्रमुख सचिव तो अरबों के घोटाले में दोषी होने के बावजूद सेफ जोन में रहकर अहम विभाग का सुख भोग रहे हैं।

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