UP News: सम्पत्ति का ब्योरा न देने वाले कार्मिकों पर सख्ती की दरकार

पांच साल पहले भी कार्मिक विभाग से जारी आदेश को रखा गया था ताक पर

Sandesh Wahak Digital Desk : योगी सरकार ने सुशासन के लिए हाल ही में एक आदेश जारी किया है। जिसके तहत सरकारी कर्मचारियों को सम्पत्ति का ब्योरा नहीं देने पर प्रमोशन नहीं दिया जाएगा। पांच साल पहले भी कार्मिक विभाग ने सभी अपर मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों और सचिवों को पत्र लिखकर आदेश दिए थे। कि वह अपने-अपने विभागों के कर्मचारियों और अधिकारियों से सम्पत्ति का ब्योरा लेकर सरकार को भेजे। ब्योरा कर्मचारी और अफसर को हर पांच साल पर देना था। इसके बावजूद जिम्मेदार अफसरों ने इस आदेश को ताख पर रख दिया।

अफसरों और कर्मियों ने नहीं दिया सम्पत्ति का ब्योरा

2017 में सत्ता में आने के बाद से मुख्यमंत्री योगी ने खुद अपनी और मंत्रियों की सम्पत्ति घोषित करने का फरमान सुनाया था। इसके बावजूद सचिवालय से लेकर विभागों तक में बैठे अफसरों और कर्मियों ने सम्पत्ति का ब्योरा देना आज तक मुनासिब नहीं समझा।

कार्मिक विभाग के एक अफसर के मुताबिक सरकार की मंशा गुड गर्वनेंस के लिए बेहतर काम करने की है। सारी कवायद भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए है। आय से अधिक सम्पत्ति जुटाने पर सरकार जांच कराकर तत्काल कार्रवाई भी करेगी। आयकर विभाग, पुलिस, सतर्कता विभाग और भ्रष्टाचार निवारण, आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन की भी मदद ली जा सकती है।

कई विभागों के अफसरों और कर्मचारियों की सम्पत्तियां दिन दुनी रात चौगुनी गति से बढ़ रही है। इससे सचिवालय भी अछूता नहीं है। वहीं विकास और औद्योगिक प्राधिकरण, वाणिज्य कर समेत राजस्व से जुड़े विभाग, नगर निगम, खनन, बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य, तहसीलों और थानों तक के कर्मियों की आर्थिक सेहत काफी मजबूत हो चुकी है।

आईएएस-पीसीएस के संपत्ति ब्योरे की जांच का प्रावधान नहीं

आईएएस अफसरों को स्पैरो सॉफ्टवेयर से अपनी संपत्ति का ब्योरा ऑनलाइन देना होता है। यूपी सरकार ने पीसीएस अफसरों के लिए भी यही व्यवस्था पिछले साल जून से शुरू कर दी है। लेकिन संपत्ति ब्योरे की जांच का कोई प्रावधान आज भी नहीं है। सरकार इसे शपथपत्र की तर्ज पर स्वसत्यापित मानती है। जबकि कई अफसरों की सम्पत्तियां बड़ों-बड़ों को मात दे रही हैं। इसका साक्षात प्रमाण आयकर छापों में भी सामने आया है।

कर्मचारी आचरण नियमावली 1956 में क्या है व्यवस्था

सरकारी कर्मचारियों की आचरण नियमावली 1956 के मुताबिक प्रथम नियुक्ति के समय और उसके बाद हर पांच साल की अवधि पर सरकारी कर्मी, सामान्य मार्ग के जरिए, नियुक्ति करने वाले अधिकारी के सामने अपनी चल-अचल सम्पत्ति की घोषणा करेगा। सम्पत्ति में उसे अपनी पत्नी के साथ अपने साथ रहने वाले सभी परिवार के सदस्यों की सम्पत्ति का भी ब्योरा देना होगा। दान, पट्टा या रेहन समेत कहीं पर भी लगी हुई पूंजियों का भी पूरा ब्योरा दिया जाना चाहिए।

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