UP News: वन विभाग में बख्शे जाते हैं शासन के दागी ‘मुखिया’
पूर्व प्रमुख सचिव संजीव सरन पर मेहरबानी, लोकायुक्त द्वारा की गयी सीबीआई जांच की संस्तुति आज भी दफन
Sandesh Wahak Digital Desk: यूपी के वन विभाग में भ्रष्टाचार के मामले अक्सर सुर्खियां बटोरते हैं। लेकिन बड़ों पर कार्रवाई नहीं होती। भ्रष्टाचार के आरोपों पर हाल ही में सरकार ने प्रमुख सचिव वन मनोज सिंह को भले हटा दिया है, अभी तक उनके खिलाफ जांच शुरू कराने का कोई अता पता नहीं है।
वन महकमें में बड़े अफसरों पर कार्रवाई नहीं होने का ये पहला मामला नहीं है। इससे पहले यूपी सरकार ने तत्कालीन प्रमुख सचिव वन संजीव सरन पर भी खूब मेहरबानी दिखाई है। लोकायुक्त ने पूर्व आईएएस संजीव सरन के खिलाफ अवैध लकड़ी कटान के मामले में वर्षों पहले सीबीआई जांच की संस्तुति की थी। इसके बावजूद आज तक योगी सरकार कोई फैसला नहीं ले पाई। सरन के ऊपर पहले से कई घोटालों का आरोप है।
वन अफसरों के खिलाफ सीबीआई जांच की सिफारिश
लोकायुक्त ने बलरामपुर के सोहलवा वन्यजीव प्रभाग में वर्ष 2017 में करोड़ों की खैर की लकड़ी के अवैध कटान के मामले में पूर्व आईएएस, पूर्व आईएफएस सहित चार बड़े वन अफसरों के खिलाफ सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। संजीव तब वन विभाग के प्रमुख सचिव और पूर्व आईएफएस डा. रूपक डे प्रमुख वन संरक्षक एवं विभागाध्यक्ष के पद पर तैनात थे। दोनों सेवानिवृत्त हो चुके हैं। मुख्य वन संरक्षक रहे आईएफएस कुरुविला थॉमस के विरुद्ध भी सीबीआई जांच की संस्तुति हुई थी।
लोकायुक्त ने जांच से जुड़ी रिपोर्ट सदन के पटल पर रखी थी। जिसमेंं लिखा था कि आरोपी लोकसेवकों संजीव सरन, डा. रूपक डे, कुरुविला थामस समेत करन सिंह गौतम तत्कालीन प्रभागीय वनाधिकारी, सोहलवा वन्यजीव प्रभाग, बलरामपुर व वन विभाग के अन्य अधिकारियों की संलिप्तता बेहद गंभीर मामला है। हालांकि सूत्रों के मुताबिक छह वर्ष पहले ही लोकायुक्त ने इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की संस्तुति की थी। फिर भी मामले को ठन्डे बस्ते में भेज दिया गया। वन अफसरों के मुताबिक ये प्रदेश में अवैध लकडिय़ों की सबसे बड़ी बरामदगी थी। इसी तरह वन विभाग में कई और गड़बड़ अफसरों पर भी दरियादिली दिखाई गई।
संजीव पर लगा था दुबई-लंदन में होटल चलाने का आरोप
तत्कालीन प्रमुख सचिव वन संजीव सरन के ऊपर पहले भी सैकड़ों करोड़ के घोटालों के आरोप लगे थे। वरिष्ठ आईएफएस रहे एके जैन ने सीएम को पत्र भेजकर दुबई-लंदन में संजीव के बड़े होटल बताये थे। साथ ही नोटबंदी के दौरान करोड़ों की नकदी सफेद करने के आरोप लगाए थे। नोएडा अथॉरिटी में सीईओ रहते 4721 करोड़ के गबन का आरोप भी लगा था। सरकार ने संजीव पर कोई कार्रवाई नहीं की। बाद में यह अफसर रिटायर हो गया।
अपर मुख्य सचिव मनोज सिंह के खिलाफ जांच क्यों नहीं?
वन विभाग के अपर मुख्य सचिव पद से प्रतीक्षारत किये गए वरिष्ठ आईएएस मनोज सिंह के खिलाफ कोई भी जांच शुरू नहीं हुई है। कुछ दिनों में ये आईएएस भी आराम से रिटायर होकर चला जाएगा। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में गड़बड़ एनओसी के खेल पर सिर्फ निचले स्तर के पर्यावरण अफसरों को निलंबित किया गया है। शासन तक आंच नहीं आयी है। हालांकि सीएम सचिवालय द्वारा मनोज के खिलाफ साक्ष्य जुटाये जाने की चर्चा कई दिनों से चल रही है।
Also Read: Money Laundering Case: दिल्ली में ईडी की टीम पर हमला, साइबर फ्राड मामले में रेड…