UP News: आईपीएस अफसरों के हवाले होगा प्रदेश का कारागार विभाग!
राकेश यादव
Sandesh Wahak Digital Desk : प्रदेश कारागार विभाग आईपीएस अधिकारियों के हवाले हो जाएगा। यह सवाल जेल विभाग के अधिकारियों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है।
जेल विभाग में अधिकारियों की कमी को दूर करने के लिए कई जेल परिक्षेत्रों में आईपीएस अधिकारी तैनात कर दिए गए। यही जेल मुख्यालय में उपमहानिरीक्षक का एक पद सृजित है। मुख्यालय में एक आईपीएस और एक विभागीय अधिकारी को बतौर डीआईजी तैनात कर दिया गया। विभागीय अधिकारियों में चर्चा है कि जेलों की कार्यप्रणाली काफी जटिल है।
इसको संभालना आईपीएस अधिकारियों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होगा। आईपीएस अधिकारियों की तैनाती के बाद जेलों की व्यवस्था में कितना सुधार आ पाएगा यह तो आने वाला समय बताएगा। फिलहाल विभाग में आईपीएस की तैनाती का सिलसिला बदस्तूर जारी है।
जेलों में चल रही गतिविधियों की जांच के निर्देश
बीते दिनों शासन ने कारागार विभाग को पांच आईपीएस अधिकारियों को तैनात किया गया। इसमें आईपीएस पुलिस अधीक्षक शिवहरि मीना को कानपुर जेल परिक्षेत्र के साथ जेल मुख्यालय को अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है।
इसी प्रकार मेरठ परिक्षेत्र में डीआईजी का प्रभार देख रही वरिष्ठ अधीक्षक अमिता दूबे के स्थान पर आईपीएस पुलिस अधीक्षक सुभाष चंद्र शाक्य को मेरठ जेल परिक्षेत्र की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इससे पहले विभाग के मुखिया आईपीएस डीजी जेल ने एसएन साबत विभाग को मिले आईपीएस अधिकारियों को जेलों में चल रही गतिविधियों के साथ छापा मारकर तलाशी कराए जाने और रिपोर्ट दिए जाने का निर्देश दिया था।
कारागार मुख्यालय में कई महत्वपूर्ण पदों पर अधिकारी तैनात नहीं
मालूम हो कि उत्तर प्रदेश कारागार मुख्यालय में कई महत्वपूर्ण पदों पर अधिकारी तैनात नहीं है। मुख्यालय में अपर महानिरीक्षक विभागीय का पद पिछले काफी समय से खाली पड़ा हुआ है। जेल मुख्यालय में डीआईजी का एक पद सृजित हैं। वर्तमान समय में यहां एक आईपीएस और एक विभागीय डीआईजी तैेनात है। इसी प्रकार मुख्यालय में कई महत्वपूर्ण पदों पर अधिकारी तैनात नहीं है। मुख्यालय में वरिष्ठï अधीक्षक मुख्यालय का पद भी अधिकारी के रिटायर होने के बाद से खाली पड़ा है। जेल प्रशिक्षण संस्थान में भी एआईजी/निदेशक का पद खाली है।
आईपीएस अधिकारियों की तैनाती से जेल विभाग के अधिकारियों में हड़कंप मचा
विभाग में आईपीएस अधिकारियों की तैनाती से कारागार विभाग के अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है। कुछ परिक्षेत्रों में आईपीएस की तैनाती भले ही कर दी गई हो लेकिन कई परिक्षेत्र में आज भी डीआईजी नहीं हैं। जेलों के कर्मियों को एसीपी और दंड देने का अधिकार डीआईजी को ही होता है। वर्तमान समय में कई जेल परिक्षेत्रों का काम वरिष्ठ अधीक्षक संभाल रहे हैं।
वर्तमान समय में प्रदेश की 73 जेलों में करीब 80 हजार बंदियों को रखने की क्षमता है। वर्तमान समय में करीब एक लाख 15 हजार बंदी निरुद्ध हैं। बंदियों के अनुपात में विभाग में सुरक्षाकर्मियों और अधिकारियो की संख्या काफी कम है। विभागीय अधिकारियों का मानना है कि जेलों की कार्यप्रणाली काफी जटिल है। इस पर आईपीएस अधिकारियों को खरे उतरना किसी चुनौती से कम नहीं होगा। उधर विभाग के डीआईजी जेल एके सिंहन ने इसे शासन को मामला बताते हुए कोई भी टिप्पणी करने से मना कर दिया।
संवेदनशील जेलों के कई जेलर हुए इधर-उधर
केंद्रीय कारागार नैनी, केंद्रीय कारागार बरेली-दो और बांदा जेल की संवेदनशीलता को देखते हुए जेेल मुख्यालय ने पांच जेलर को इधर-उधर किया है। इन अधिकारियों को दो माह के लिए नई जेलों में भेजा गया है।
इसमें जेलर आरके सिंह को नैनी से संतकबीर नगर, वीरेंद्र वर्मा को बांदा से केंद्रीय कारागार फतेहगढ़, अपूर्वत पाठक को केंद्रीय कारागार बरेली दो से आगरा, आरती पटेल को केंद्रीय कारागार नैनी से गोरखपुर और मुन्नू लाल मौर्या को बांदा जेल से सिद्धार्थनगर जेल भेजा गया है। पांच जेलरों के साथ-साथ राजधानी की आदर्श कारागार में तैनात जेलर कृष्णपाल चंदीला को एक अलग आदेश जारी कर बांदा जेल भेजा गया है।
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