UP News: जिलों में वीआईपी प्रोटोकॉल पाने को बेताब एससी-एसटी आयोग के सदस्य

Sandesh Wahak Digital Desk/ Manish Srivastava: पीएम से लेकर सीएम तक वीआईपी कल्चर के खिलाफ हैं। बावजूद इसके, आयोगों में बैठी सियासी हस्तियां प्रोटोकॉल की आड़ में वीआईपी ट्रीटमेंट पाने को बेताब हैं।
अध्यक्ष ने शासन को तीन पत्र भेजकर मांगे दिशा-निर्देश
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) आयोग के सदस्य तो मनमाने तरीके से न सिर्फ जेलों का दौरा कर रहे हैं बल्कि जिलों में वीआईपी प्रोटोकॉल हासिल करने के लिए डीएम को पत्र लिखने से भी उन्हें गुरेज नहीं है। नतीजतन आयोग ने शासन को पत्र भेजकर अधिकारों की जानकारी मांगी है। एससी/एसटी आयोग के अध्यक्ष बैजनाथ रावत ने पिछले वर्ष 19 दिसंबर व इस वर्ष 18 फरवरी को प्रमुख सचिव समाज कल्याण को पत्र भेजा है। जिसमें पूछा कि आयोग में नामित सदस्य द्वारा जिलों में भ्रमण के दौरान लगातार प्रोटोकॉल उपलब्ध कराने की मांग की जा रही है।
आयोग के अधिनियम में इसका जिक्र नहीं है। सदस्यों को प्रोटोकॉल जारी करने के संबंध में स्थिति स्पष्ट करने के लिए दिशा निर्देश उपलब्ध कराये जाए। शासन ने आयोग के पत्र को प्रोटोकॉल विभाग को भेज दिया है। जिसकी पुष्टि विशेष सचिव समाज कल्याण रजनीश चंद्र ने भी की। हालांकि इसी विषय पर तीसरा पत्र आयोग से तीन मार्च को विशेष सचिव (प्रोटोकॉल) सीएम को भेजा गया। पूरी कवायद की जड़ में आयोग की सदस्य नीरज गौतम का 16 दिसंबर को कानपुर, इस वर्ष 13 फरवरी को बाराबंकी और 20 फरवरी को इटावा का दौरा है।
सदस्य नीरज गौतम ने कर डाला कानपुर, बाराबंकी व इटावा जेलों का निरीक्षण
सदस्य के निजी सचिव उमाकांत बाजपेयी द्वारा भ्रमण कार्यक्रम जिलों में वीआईपी प्रोटोकॉल की चाहत में भेजा गया। इसकी चर्चा पूरे आयोग में है। जिलों में उन्हें एस्कॉर्ट उपलब्ध कराया गया। तीनों जिलों में स्थित जेलों का भी निरीक्षण सदस्य नीरज गौतम ने करते हुए गार्ड ऑफ ऑनर भी लिया। सीएम योगी ने कहा था कि मंत्री और जनप्रतिनिधि, सभी को वीआईपी संस्कृति से परहेज करना होगा। फिर भी आयोगों में वीआईपी ट्रीटमेंट पाने की मानो होड़ मची है।
आयोग के प्रोटोकॉल में क्या घटा है,स्पष्ट होना चाहिए: बैजनाथ रावत
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) आयोग के अध्यक्ष बैजनाथ रावत ने ‘संदेश वाहक’ से कहा कि पहले अध्यक्ष को राज्यमंत्री का दर्जा था। अब खत्म हो गया है। आयोग के प्रोटोकॉल में क्या घटा है। स्पष्ट होना चाहिए। लगातार सदस्यों द्वारा जिलों में प्रोटोकॉल उपलब्ध कराने की मांग की जा रही है। इसलिए प्रमुख सचिव समाज कल्याण और विशेष सचिव सीएम (प्रोटोकॉल) को पत्र भेजकर दिशा निर्देश की जानकारी मांगी गयी है। आयोग की सदस्य नीरज गौतम के बाराबंकी जेल के दौरे पर उनका कहना है कि मुझे जिले में सिर्फ खेलकूद प्रतियोगिता में जाने के लिए उन्होंने बताया था। जेल के निरीक्षण के सम्बंध में जानकारी नहीं है।
अध्यक्ष की अनुमति से मेरा भ्रमण कार्यक्रम बना: नीरज गौतम
एससी/एसटी आयोग की सदस्य नीरज गौतम ने ‘संदेश वाहक’ से कहा कि अध्यक्ष को मेरे दौरे की पूरी जानकारी है। उन्हीं की अनुमति के बाद मेरा भ्रमण का कार्यक्रम बना था। बतौर सदस्य मैं जेलों का निरीक्षण कर सकती हूं। बाराबंकी जेल से संबंधित कुछ शिकायत आयी थी। इसलिए मैं वहां गयी थी। सदस्य से जब पूछा गया कि कानपुर और इटावा जेल में भी आपने दौरा किया था, क्या वहां भी शिकायतें आयीं थी तो उन्होंने कहा कि ज्यादा जानकारी नहीं बता सकती। पहले की सपा सरकार में इस आयोग के सदस्यों को देखिये, क्या-क्या करते थे।
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