UP News: शासन की फाइलों में दफन लखनऊ का रजिस्ट्री घोटाला
तत्कालीन जेसीपी उपेंद्र अग्रवाल ने प्रमुख सचिव को दस वर्षों में हुई रजिस्ट्रियों की जांच के लिए भेजा था पत्र
Sandesh Wahak Digital Desk: यूपी में कीमती जमीनों की जालसाजी के सहारे रजिस्ट्री कराने के मामले अक्सर सुर्खियां बटोरते हैं। खासतौर पर बड़े शहरों में इस खेल की जड़ें बेहद गहरी हैं।
जिसमें स्टाम्प एवं रजिस्ट्री विभाग के कर्मियों के साथ ही संगठित गिरोह जुड़ा है। तभी लखनऊ में करीब आठ माह पहले जेसीपी ने इस खेल को पकड़ते हुए शासन से जांच की सिफारिश की थी। उनके तबादले के बाद रजिस्ट्री घोटाला फाइलों में दफन हो गया। लखनऊ की तहसीलों में तैनात रहे कई डिप्टी रजिस्ट्रार इस घोटाले की जांच के दायरे में आना तय थे।
उपेंद्र अग्रवाल ने किया था फर्जी रजिस्ट्री का फर्जीवाड़ा खुलासा
तत्कालीन जेसीपी कानून व्यवस्था उपेंद्र अग्रवाल ने विभूतिखंड थाने में दर्ज दो मुकदमों की विवेचना के दौरान फर्जी रजिस्ट्री का फर्जीवाड़ा बेनकाब किया था। जिसके बाद प्रमुख सचिव स्टाम्प को पत्र भेजकर दस साल में हुई रजिस्ट्रियों की जांच कराने को कहा था। पुलिस की जांच में सामने आया था कि रजिस्ट्री दफ्तर में फर्जीवाड़ा करने वाला गिरोह कुछ कर्मचारियों से साठगांठ कर फर्जी रजिस्ट्री कर जमीनों पर कब्जा कर रहा था। पुलिस की जांच में कई संदिग्ध विलेख सामने आये थे।
वहीं ‘संदेश वाहक’ ने भी पूर्व में खुलासा किया था कि कैसे शाइन सिटी के निदेशक अमिताभ श्रीवास्तव ने वाराणसी जेल में रहते हुए लखनऊ में आकर मोहनलालगंज की एक कीमती जमीन की रजिस्ट्री कौडिय़ों के भाव कर डाली। फिर यही जमीन छह दिनों बाद पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी के बेटे को बेच दी गयी। हाईकोर्ट की सख्ती पर मोहनलालगंज में इस फर्जीवाड़े का मुकदमा दर्ज हुआ।
बताया गया कि अमिताभ बनकर किसी दूसरे ने रजिस्ट्री की है। मोहनलालगंज के डिप्टी रजिस्ट्रार कार्यालय के कर्मचारियों के तार भी गिरोह से जुड़े होने के संकेत हैं। शाइन सिटी घोटाले के मुखिया फरार राशिद नसीम के इशारे पर यूपी भर में फर्जी रजिस्ट्रियों का खेल इसी तरह अंजाम दिया गया है।
आयकर विभाग ने खोला था 450 करोड़ का खेल
आयकर विभाग ने भी प्रमुख सचिव स्टांप से सरोजनीनगर तहसील में तीन सालों के दौरान हुई रजिस्ट्रियों के डाटा देने में गड़बड़ी की आशंका जताई थी। इसके चलते स्टांप मूल्य और खरीद मूल्य के अंतर पर लिया जाने वाला कर आयकर विभाग नहीं वसूल सका। तत्कालीन सब रजिस्ट्रार निर्मल सिंह पर संगीन आरोप लगा था। करीब 450 करोड़ रुपये के टैक्स की चोरी की आशंका थी। यही खेल बाकी तहसीलों में भी हुआ होगा।
एलडीए भी है ऐसे फर्जीवाड़ों का गढ़
बीते वर्षों में एलडीए में एक संगठित गैंग ने सैकड़ों सम्पत्तियों की फर्जी रजिस्ट्रियां कराई हैं। जानकीपुरम घोटाले की जांच में सीबीआई ने पाया था कि एलडीए अफसरों ने 123 लोगों की फर्जी रजिस्ट्री करवा दी थी। इसी तरह ट्रांसपोर्टनगर से लेकर गोमतीनगर समेत कई पॉश योजनाओं में भी ऐसे ही फर्जीवाड़े लगातार अंजाम दिए गए। जिसमें कई अफसरों और कर्मियों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हुई। पिछले डेढ़ वर्षों में ऐसे दर्जनों मामलों ने सुर्खियां बटोरी हैं। इसके बावजूद फर्जी रजिस्ट्रियों को निरस्त करने के प्रति एलडीए तनिक भी गंभीर नहीं हैं। जानकीपुरम घोटाले में भी कुछ नहीं हुआ।
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