UP News: अंग्रेजों के जमाने की कलेक्टरी का मोह नहीं छोड़ पा रहे चंद आईएएस
फरियादियों संग संवेदनशील व्यवहार की नसीहत बेअसर, अब फरियादी मां-बेटी को थाने पहुंचाकर सुर्खियां बटोर रहे मैनपुरी डीएम
Sandesh Wahak Digital Desk: सीएम योगी नौकरशाही को फरियादियों संग संवेदनशील व्यवहार करने को ताकीद करते हैं। बावजूद इसके, जिलों के मुखिया बने डीएम के संवेदनहीन व्यवहार के कई किस्सों ने सुर्खियां बटोरी हैं।
जनता के प्रति सीधे जवाबदेह होने के बजाय ऐसे डीएम अंग्रेजों के जमाने की सामंतवादी कलेक्टरी दिखाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रहे हैं। ताजा मामला मैनपुरी डीएम अंजनी कुमार सिंह का है। जिन्होंने फरियादी मां-बेटी की गुहार पर कार्रवाई की जगह उन्हें थाने भिजवा दिया। एक दिन पहले मैनपुरी में समाधान दिवस के दौरान किशनी तहसील में मां-बेटी ने डीएम-एसपी के सामने दबंगों द्वारा जमीन पर कब्जा करने की शिकायत की।
डीएम ने पीड़ित पक्ष पर ही करवा दी कार्रवाई
प्रशासनिक व्यवस्था में सुनवाई नहीं होने से थक चुकी मां-बेटी का आक्रोश जैसे ही डीएम के ऊपर फूटा। तमतमाए डीएम अंजनी कुमार सिंह ने फरियादी मां-बेटी को पुलिस के सुपुर्द करते हुए थाने भिजवा दिया। जहां दो घंटे रखने के बाद उनका शांतिभंग में चालान कर दिया गया। जिलों के हाकिम इससे पहले भी अपने सामंतवादी रवैये से चर्चा में आये हैं। 2019 में अमेठी डीएम प्रशांत शर्मा ने भाई के हत्यारों को पकडऩे की मांग कर रहे ट्रेनी पीसीएस को धक्का दिया था। बाद सीएम ने इन्हें डीएम के पद से हटा दिया।
इसी तरह मिड डे मील में जातीय भेदभाव की शिकायत करने आये नेता के पहनावे और घड़ी पर तत्कालीन बलिया डीएम भवानी सिंह ने तंज कसा था। बाद में रोडवेज के एआरएम का कॉलर खींचने और जातिसूचक शब्दों के प्रयोग का आरोप भी इन्हीं डीएम पर लगा। बाद में भवानी हटाए गए। 2017 में हमीरपुर डीएम रहे राजीव रौतेला पर कर्मचारियों से असंसदीय भाषा और अभद्रता के आरोप पर विरोध के बाद चुनाव आयोग को उन्हें हटाना पड़ा था। पूर्व में बिजनौर सीडीओ पूर्ण बोरा भी वीडीओ को थप्पड़ मारते सुर्खियां बटोर चुके हैं।
डीएम ने पेश की सफाई, फरियादी मां-बेटी ने जारी किया वीडियो
मैनपुरी डीएम अंजनी कुमार सिंह ने कहा कि राधा देवी व दिव्या ने आत्महत्या की धमकी दी। गलत कदम न उठाएं, इसलिए पुलिस से निगरानी कराई। जेल नहीं भेजा। आक्रोश खत्म होने पर माफी मांगी तो मुचलके पर छोड़ दिया। वहीं फरियादी मां-बेटी ने कहा कि डेढ़ बीघा जमीन पर 2018 से दबंग काबिज हंै। सुनवाई नहीं हो रही है। डीएम ने तहसील में कोई बात नहीं सुनी। धाराएं लगाकर थाने भेजा। जेल भेजने की योजनाएं बनाई। दो घंटे थाने में बिठाया। फिर तहसील लाकर कागजों पर साइन कराये। गलत हो रहा है।
जनसंवाद का प्रशिक्षण सुशासन के लिए पहली कड़ी
एक पूर्व मुख्य सचिव के मुताबिक जनसंवाद का प्रशिक्षण सुशासन के लिए पहली कड़ी है। ऐसी घटनाएं डीएम जैसी संस्था को कमजोर करती हैं। जनता से संवाद के दौरान विनम्रता जरुरी है। अब डीएम पर तमाम दबाव भी बढ़ रहे हैं। आईएएस की ट्रेनिंग में होने वाले फील्ड प्रशिक्षण में अफसरों के भीतर यह बात बिठानी होगी कि आप सेवा करने के लिए हैं, शासन करने के लिए नहीं। जनता से कैसे संवाद करें, यह अध्याय भी होना चाहिए। दूर गांव से फरियादी मुसीबतें उठाकर डीएम के दफ्तर में आवेदन लेकर आता है और डीएम बेरुखी से कहता है कि ठीक है देखेंगे, तो सोचिए पीडि़त की मनोदशा क्या होगी?
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