UP MSCL : सरकारी अस्पतालों को भेजीं कम एक्सपायरी वाली करोड़ों की दवाएं
यूपी मेडिकल सप्लाई कार्पोरेशन के अफसरों और ड्रग सिंडिकेट की साठ-गांठ का एक और फर्जीवाड़ा बेनकाब
Sandesh Wahak Digital Desk/ Manish Srivastava: ‘संदेश वाहक’ के खुलासे पर उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने यूपी मेडिकल सप्लाई कार्पोरेशन के गोदाम में छापा मारकर करोड़ों की एक्सपायरी दवाओं के फर्जीवाड़े को बेनकाब किया था। मामले की गूंज सदन तक में सुनाई दी, लेकिन कार्रवाई न होने पर कार्पोरेशन के अफसरों की हिम्मत अब और बढ़ चुकी है।
तभी सिंडिकेट के दबाव में करोड़ों की दवाओं की एक्सपायरी आयु कम करके सरकारी अस्पतालों में आपूर्ति कराने का नया खेल खूब रफ्तार पकड़ रहा है। इससे न सिर्फ स्वास्थ्य विभाग में दवाओं की एक्सपायरी एक बार फिर बढ़ेगी बल्कि गुणवत्ता भी कटघरे के दायरे में आ सकती है। अपने अफसरों को बचाने के लिए कार्पोरेशन सारी जिम्मेदारी सिर्फ दवा कंपनियों की बता रहा है।
एक्सपायरी समय सीमा वाली करोड़ों की दवाओं की खेप
कार्पोरेशन के नियमों के मुताबिक शेड्यूल पी की दवाओं को छोड़कर बाकियों की एक्सपायरी समय सीमा दो साल या 80 फीसदी (निर्माण तिथि से) से नीचे नहीं होने का प्रावधान है। इसके बावजूद प्रदेश भर के सरकारी अस्पतालों में सिर्फ डेढ़ वर्ष की एक्सपायरी समय सीमा वाली करोड़ों की दवाओं की खेप कंपनियों से आपूर्ति करवाई जा रही है।
उदाहरण के तौर पर दस्त, एलर्जी संबंधी विकार समेत अन्य परेशानियों में लिए जाने वाले प्रे एंड बायोटिक कैप्सूल (बैच नंबर यूआरडीसी 1021) की निर्माण तिथि अप्रैल 2023 और एक्सपायरी सितंबर 2024 की है। इसी तरह एनएचएम के टीकाकरण अभियान के दौरान बच्चों को पिलाये जाने वाले विटामिन ए पीडिएट्रिक ओरल सोल्यूशन (बैच नंबर एलपीए 2009 एएल) की निर्माण तिथि मई 2022 और एक्सपायरी अक्टूबर 2023 है।
इसी तरह कैल्शियम एंड विटामिन डी3 टैबलेट्स(बैच नंबर सीसीवी -डब्ल्यू 47) की निर्माण तिथि जून 2023 और एक्सपायरी नवंबर 2024 है। अस्पतालों में कार्पोरेशन के अफसरों से मिलीभगत करके 25 फीसदी कम एक्स्पायरी लाइफ वाली दवाएं भेजने का खेल लम्बे समय से जारी है। कार्पोरेशन के जिम्मेदार जांच कराने से हिचक रहे हैं।
आपूर्तिकर्ता कंपनियों से स्पष्टीकरण मांगा: एमडी कार्पोरेशन
यूपी मेडिकल सप्लाई कार्पोरेशन के एमडी जगदीश ने ‘संदेश वाहक’ से कहा कि आपके द्वारा मामला संज्ञान में लाये जाने के बाद हम उन दवा कंपनियों को स्पष्टीकरण नोटिस दे रहे हैं। जिन्होंने नियमों के बावजूद 25 फीसदी कम एक्सपायरी तिथि वाली दवाएं आपूर्ति की हैं। हम सभी कंपनियों का सर्वे भी कराएंगे। दवाओं की एक्सपायरी दो साल की होना जरुरी है।
ड्रग कंट्रोलर ने मेडिकल कार्पोरेशन पर डाली जिम्मेदारी
ड्रग एन्ड कॉस्मेटिक एक्ट के उल्लंघन पर कार्रवाई करने की जिम्मेदारी यूपी में खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन(एफएसडीए) की है। लेकिन इस विभाग ने सारी जिम्मेदारी यूपीएमएससीएल के अफसरों पर डालने से तनिक भी गुरेज नहीं किया। ड्रग कंट्रोलर एसएम गुप्ता ने कहा कि कार्पोरेशन ही एक्सपायरी समय सीमा कम करके दवाओं की आपूर्ति के मामले में कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए अधिकृत है। हमारा इससे कोई लेना-देना नहीं है।
Also Read : यूपी मेडिकल कार्पोरेशन: अफसरों ने ‘गिरवी’ रखी करोड़ों के किट खरीद फर्जीवाड़े की जांच