यूपी मेडिकल कार्पोरेशन: अफसरों ने ‘गिरवी’ रखी करोड़ों के किट खरीद फर्जीवाड़े की जांच
शासन के सख्त तेवरों से हड़कंप, पत्र भेजकर दोषी कर्मियों व आरोपी फर्म की संलिप्तता पर मांगी पुन: रिपोर्ट
Sandesh Wahak Digital Desk/Manish Srivastava: सैयां भये कोतवाल तो डर काहे का… इस कहावत पर यूपी मेडिकल सप्लाई कार्पोरेशन (यूपीएमएससीएल) के वो अफसर सटीक बैठते हैं। जिनकी साठगांठ से दवा और उपकरणों की कंपनियां करोड़ों के घोटालों की कलंक कथा लिख रही हैं।
‘संदेश वाहक’ के खुलासे पर शुरू हुई थी जांच
तभी कमीशनखोरी के खातिर एचआईवी और हेपेटाइटिस सी एलाइजा किटों को तय मात्रा से 96 गुना अधिक खरीदकर बड़े घोटाले की नींव रखी गयी। ‘संदेश वाहक’ ने करोड़ों के इस फर्जीवाड़े को बेनकाब किया तो शासन ने पांच बड़े अफसरों की जांच टीम बिठा दी। बजाय दोषियों को सामने लाने के, लगता है ये जांच टीम घोटालेबाज़ों के हाथों का मोहरा बनकर सिर्फ भुगतान कराने पर आमादा है। हालांकि इस साजिश को शासन के सख्त तेवरों ने करारा झटका दिया है।
जिसके बाद पूरे कार्पोरेशन में मानो हड़कंप मच गया है। करोड़ों के फर्जीवाड़े की जो जांच रिपोर्ट शासन को सौंपी गयी है। उसमें बड़ा खेल किया गया है। तभी 26 जून को शासन में संयुक्त सचिव (स्वास्थ्य) रचना गुप्ता ने जांच टीम के पांचों सदस्यों को एक कड़ा पत्र भेजते हुए पूछा था कि जांच आख्या में प्रकरण में दोषी कार्मिकों का उत्तरदायित्व निर्धारण नहीं किया गया है। साथ ही जांच टीम ने ये भी इंगित नहीं किया कि प्रकरण में सप्लायर्स फर्म ऑस्कर मेडिकेयर प्रा लि की कोई संलिप्तता है या नहीं।
पांच सदस्यीय जांच टीम ने फिर शुरू किया बैठकों का दौर
शासन ने जांच टीम से 15 दिनों के अंदर दोषी कर्मियों का उत्तरदायित्व निर्धारित करते हुए संबंधित सप्लायर्स फर्म ऑस्कर मेडिकेयर की संलिप्तता के प्रमाण सहित आख्या देने के लिए निर्देशित किया था। इसके बावजूद जांच टीम ने शासन को कोई आख्या नहीं सौंपी। नतीजतन 14 जुलाई को शासन ने जांच टीम में शामिल कार्पोरेशन के एमडी समेत पांचों अफसरों के नाम एक अनुस्मारक पत्र पुन: जारी करते हुए तत्काल आख्या तलब की है। शासन के सख्त रुख को देखने के बाद करोड़ों के किट घोटाले पर गठित पांच सदस्यीय जांच टीम ने एक बार फिर बुधवार से बैठकों का दौर शुरू कर दिया है।
जल्द पुन: आख्या सौंपी जायेगी : एमडी (यूपीएमएससीएल)
जांच टीम के मुखिया यूपीएमएससीएल के एमडी जगदीश ने ‘संदेश वाहक’ को बताया कि शासन का पत्र मिला है जल्द प्रकरण में पुन: आख्या सौंपी जायेगी। जांच बेहद गोपनीय है। इससे अधिक मैं कुछ नहीं बता सकता हूं।
15 लाख बजट, किटें खरीदीं 15 करोड़ की, फर्म थी खस्ताहाल
एनएचएम ने सिर्फ 15 लाख की हेपेटाइटिस सी और एचआईवी किटें खरीदने का बजट जारी किया था। उसके बावजूद अफसरों ने 15 करोड़ की किटें मनमाफिक तरीके से खरीदीं। देश में पहली बार इन किटों का इतना बड़ा ठेका दिया गया है। जिस ऑस्कर मेडिकेयर फर्म को 15 लाख की जगह 15 करोड़ की हेपेटाइटिस सी और एचआईवी किटों का परचेज ऑर्डर जारी किया गया था। उसकी हैसियत सैकड़ों किटें आपूर्ति करने की भी नहीं थी। अफसरों से साठगांठ के बाद कम्पनी ने नई मशीनें तक इस आर्डर के लिए खरीद डाली।
भुगतान कराने की मंशा : सांप मर जाए और लाठी भी न टूटे
करोड़ों के फर्जीवाड़े पर गठित पांच सदस्यीय जांच टीम ने सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे, ऐसा रास्ता अपनी मनमाफिक रिपोर्ट में अपनाया है। जांच टीम में शामिल एक अफसर के मुताबिक अगर भुगतान नहीं किया जाएगा तो फर्म कोर्ट का रास्ता अख्तियार कर सकती है। खैर कार्पोरेशन और एनएचएम दोनों के अफसरों की चाहत सिर्फ भुगतान की है। जिससे भारी कमीशन मिल सके।
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