UP Medical Corporation: गरीबों के बजट से अफसर खरीद रहे करोड़ों की महंगी दवाएं
उत्तर प्रदेश मेडिकल सप्लाई कार्पोरेशन की कारगुजारियां फिर उजागर, बीपीपीआई और डीपीसीओ भी ताख पर
Sandesh Wahak Digital Desk/Manish Srivastava: उत्तर प्रदेश में दवा-उपकरण माफिया के सिंडिकेट को तोड़ने के लिए सीएम योगी ने मेडिकल कार्पोरेशन का गठन किया था। जिसका मकसद सरकारी अस्पतालों के लिए सस्ती दवाएं व उपकरण गुणवत्ता बरकरार रखते हुए खरीदना है।
चहेती फर्मों को करोड़ों का लाभ पहुंचाने का खेल लम्बे समय से जारी
इसके इतर चंद अफसर व कर्मी माफियाओं से साठगांठ करके मंहगी दवाएं खरीद रहे हैं। चहेती फर्मों को करोड़ों का लाभ पहुंचाने का खेल लम्बे समय से जारी है। जिसमें कार्पोरेशन और स्वास्थ्य विभाग के अफसर शामिल हैं। इनकी पैनी नजरें दवाओं की खरीद के सालाना 800 करोड़ के बजट में सेंधमारी पर टिकी हैं। सबसे पहला नाम त्वचा के संक्रमण से बचाव की एंटीफंगल सिक्लोपीरॉक्स ओलामाइन का है।
दो वर्ष में 50 करोड़ का भुगतान
कार्पोरेशन इस एंटीफंगल क्रीम के दस ग्राम के ट्यूब को 29 रूपए 68 पैसे प्रति की कीमत पर दो साल से खरीद रहा है। तकरीबन 66 लाख ट्यूब खरीदी गयी हैं। सालाना 25 करोड़ के हिसाब से दो वर्षों में 50 करोड़ का भुगतान अफसरों ने चहेती फर्म को किया है।
कार्पोरेशन केंद्र की प्रमुख सस्ती दवा योजना पीएमबीजेपी लागू करने वाले ब्यूरो ऑफ फार्मा पीएसयूज ऑफ इंडिया (बीपीपीआई) से भी उच्च कीमतों पर दवा को खरीद रहा है। सूत्रों के मुताबिक सिक्लोपीरॉक्स ओलामाइन क्रीम बीपीपीआई थोक में 48 रूपए 50 पैसे ( प्रति 50 ग्राम ट्यूब) में खरीदकर अपने खुदरा बिक्री केंद्रों पर सौ रुपए प्रति 50 ग्राम ट्यूब की दर से बेच रहा है। बीपीपीआई की वेबसाइट पर खुदरा मूल्य सार्वजनिक रूप से मौजूद है।
वहीं ऑनलाइन देखने पर इण्डिया मार्ट में निजी फार्मा कम्पनी इसी ऐंटिफंगल क्रीम के ट्यूब को 20 रूपए में प्रति 30 ग्राम पर उपलब्ध कराने का दावा कर रही है। दूसरा उदाहरण फंगल इन्फेक्शन के इलाज से जुड़ी टैबलेट ग्रिसोफुल्विन 250 एमजी का है। भारत सरकार डीपीसीओ (ड्रग प्राइस कंट्रोल ऑर्डर के जरिये आवश्यक थोक दवाओं और फॉर्मूलेशन की सस्ती उपलब्धता सुनिश्चित करती है। जहां ग्रिसोफुल्विन की कीमत 1.77 रूपए प्रति टैबलेट आरक्षित है।
मेडिकल कार्पोरेशन ने बोर्ड से टेंडर नंबर 185 के जरिये 2.24 रूपए की कीमत इसी टैबलेट के लिए स्वीकृत कराई। इस दवा की खरीद के लिए भी करोड़ों का बजट है। शासन से डीपीसीओ की निर्धारित कीमतें छुपा कर फर्मों को लाभ पहुंचाने की साजिश रची गयी है।
इन दवाओं की खरीद भी संदिग्ध, बड़े फर्जीवाड़े की आशंका
यूपीएमएससीएल में करोड़ों के बजट वाली कई दवाओं की मंहगी खरीद पर सवालिया निशान लगा है। जिसमें सिज़ोफ्ऱेनिया जैसी मानसिक बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाले रिसपेरीडोन प्रोलोंग रिलीज़ इंजेक्शन, बैक्टीरिया के संक्रमण के इलाज में कारगर फ्रामाइसेटीन एंटीबायोटिक व धूम्रपान छोडऩे में मददगार निकोटिन गम जैसी दवाएं शामिल हैं। इन दवाओं की खरीद से जुड़े टेंडरों की जांच कराने पर असल तस्वीर साफ़ हो सकती है।
खरीदी दवाएं 70 से 80 फीसदी तक सस्ती : कार्पोरेशन एमडी
यूपीएमएससीएल के एमडी जगदीश ने आरोपों को नकारते हुए कहा कि खरीदी जा रही सभी दवाएं बाजार भाव से 70 से 80 फीसदी तक सस्ती हैं। शिकायतों का निस्तारण भी कराया जा रहा है। बीपीपीआई व डीपीसीओ द्वारा तय कीमतों से ज्यादा पर दवाओं की खरीद के मामले को दिखवाया जाएगा।
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