UP: आयुर्वेदिक अस्पतालों में दवाओं की भारी किल्लत, मंत्री के निर्देश भी बेअसर
दवाओं की भारी किल्लत की वजह से महीनों से बिना दवा लौट रहे मरीज, बाहर से दवाएं खरीदने को मजबूर
संदेशवाहक डिजिटल डेस्क/लखनऊ। यूपी (UP) मेडिकल सप्लाई कार्पोरेशन का काम सरकारी अस्पतालों को दवाएं आपूर्ति करना है। इसके बावजूद प्रदेश भर के अधिकांश अस्पतालों में जरुरी दवाएं तक नदारद रहती हैं। यही हाल अब आयुर्वेद के अस्पतालों में है। प्रदेश भर के अस्पतालों में दवाओं की खासी किल्लत नजर आ रही है। केंद्र सरकार आयुर्वेद चिकित्सा को बढ़ावा देने के लिए तरह-तरह के उपाय कर रही है। लेकिन यूपी (UP) में जमीनी हकीकत कुछ और नजर आ रही है।
लखनऊ के आयुर्वेद अस्पताल भी दवाओं की कमी से जूझ रहे हैं। एक आयुर्वेदिक अस्पताल (Ayurvedic Hospital) के अधीक्षक बताते हैं कि राजधानी में दवाओं की किल्लत पिछले कापफ समय से बरकऱार है। इसकी जानकारी बड़े अफसरों को भी है। इसके बावजूद समस्या जस की तस है। बुखार, पेटदर्द जैसी साधारण बिमारियों की दवाएं भी नहीं उपलब्ध कराई गयी हैं। मरीजों को बिना दवाओं के आयुर्वेद अस्पतालों से लौटना पड़ रहा है।
विधानसभा की आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी में भी महीनों से दवाएं नहीं
एलोपैथी (allopathy) की तर्ज पर आयुर्वेद की डिस्पेंसरी से भी मरीजों को दवाओं के विकल्प दिए जा रहे हैं। कई मरीजों को तो दवा की जगह गर्म पानी पीने की सलाह दी जा रही है। विधानसभा के अंदर खुली आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी में भी सरकारी दवाओं का टोटा है। ये हाल लखनऊ के बाकी आयुर्वेदिक अस्पतालों का भी है। गाजियाबाद के आयुर्वेदिक अस्पतालों और डिस्पेंसरी में भी दो दर्जन से ज्यादा दवाएं खत्म हो चुकी हैं। मरीजों को बाहर से दवाएं खरीदनी पड़ रही है। यही हाल चित्रकूट मंडल का है। जहां के दो जिलों में करीब एक दर्जन आयुर्वेद अस्पतालों से दवाएं गायब हैं। चित्रकूट मंडल के दो जनपद बांदा और चित्रकूट में 35 राजकीय आयुर्वेद चिकित्सालय हैं। इनमें बांदा में 26 और चित्रकूट में 9 आयुर्वेद अस्पताल हैं। इसमें से 10 ऐसे आयुर्वेद अस्पताल हैं। जिनमें एक भी डॉक्टर नहीं है। इन अस्पतालों को फार्मासिस्ट चला रहे हैं।
दवाओं की खरीद पूरी, जल्द जिलों में बंटनी शुरू हो जाएंगी: निदेशक
आयुर्वेद और यूनानी निदेशक डॉ प्रकाश चंद्र सक्सेना ने संदेशवाहक को बताया कि दवाओं की किल्लत की जानकारी मुझे है। लेकिन ये समस्या सिर्फ दो जिलों में है। बाकी जगह दवाएं उपलब्ध हैं। जिलों के लिए दवाएं खरीद ली गयी हैं। हो सकता है कि संबंधित अस्पतालों में उन्हें भेजा नहीं गया हो। इसके कारण दिक्कत हो रही होगी। यूपी (UP) के सभी जिलों की डिमांड के मुताबिक ही दवाएं खरीदी गयी हैं। अगले चंद दिनों में हालात और बेहतर होंगे।
आयुष मंत्री के निर्देश भी बेअसर
आयुष मंत्री दयाशंकर मिश्रा दयालू ने भी कई बार पत्र लिखकर अफसरों से दवाओं की भीषण किल्लत दूर करने का आदेश दिया था। अपने विभागीय मंत्री के आदेशों को अफसरों ने अनसुना कर दिया। सूत्रों के मुताबिक आयुष मंत्री से कई विधायकों ने भी शिकायत की थी कि उनके क्षेत्रों के आयुर्वेद अस्पतालों में दवाएं मरीजों को नहीं मिल रही हैं।
घोटाले के बावजूद नहीं सुधरे बड़े अफसर
आयुर्वेद विभाग का इतना बड़ा घोटाला सामने आने के बावजूद अफसरों को खौफ नहीं है। मनमाने तरीके से पोस्टिंग अभी भी दी जारी है। इसका सीधा उदाहरण लखनऊ के क्षेत्रीय आयुर्वेदिक और यूनानी अधिकारी डॉ राजकुमार यादव हैं। इनसे वरिष्ठ डॉक्टर को ये पद नहीं सौंपा गया। इसका मतलब है कि आयुर्वेद घोटाले का सिंडिकेट अभी भी काम कर रहा है।