UP: नर्सिंग शिक्षा माफियाओं के रसूख के आगे बैकफुट पर शासन के अफसर

इस साल भी नहीं होगी जीएनएम पाठ्यक्रम के लिए प्रवेश परीक्षा, निजी कॉलेजों के करोड़ों कमाने का रास्ता साफ

Sandesh Wahak Digital Desk/ Manish Srivastava: सरकार के अफसरों ने नर्सिंग और पैरामेडिकल शिक्षा माफियाओं के दबाव में घुटने टेक दिए हैं। तभी मुख्यमंत्री की मंशा पर शासन ने पानी फेरते हुए जीएनएम की प्रवेश परीक्षा को स्थगित करने का आदेश जारी कर दिया है। इस खेल की तह में जाने के लिए मुख्यमंत्री को जांच करानी चाहिए।

इस फैसले से निजी कॉलेजों की करोड़ों की कमाई का रास्ता साफ हो गया है। ‘संदेश वाहक’ लगातार इस मुद्दे को उठा रहा था, जिससे नर्सिंग शिक्षा और नर्सों की गुणवत्ता पर कोई आंच नहीं आये।

मुख्यमंत्री योगी ने अक्टूबर 2022 में मिशन निरामया की शुरुआत करते हुए अच्छी नर्सों के वास्ते जीएनएम के लिए प्रवेश परीक्षा कराने की बात कही थी। इस वर्ष 22 मई को प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा पार्थ सारथी सेन शर्मा ने 386 निजी कॉलेजों में जीएनएम की 17845 सीटों पर चयन के लिए प्रवेश प्रक्रिया कराने के निर्देश यूपी स्टेट मेडिकल फैकल्टी को दिए। इसके बाद नर्सिंग माफियाओं की लॉबी पूरी ताकत से सक्रिय हो गयी।

एसोसिएशन के नेतृत्व में निजी कॉलेजों ने प्रवेश परीक्षा टालने के तमाम तर्क गिनाये। फैकल्टी ने शासन को नया प्रस्ताव भेजते हुए प्रवेश दसवीं और 12वीं की मेरिट के आधार पर करने का सुझाव दिया। शासन ने मुख्यमंत्री की मंशा को भांपते हुए 15 जून को आदेश जारी करते हुए जीएनएम के लिए प्रवेश परीक्षा कराने पर हामी भरी। अटल बिहारी बाजपेयी चिकित्सा विवि को परीक्षा कराने के लिए नोडल बनाया गया।

निजी कॉलेजों के दबाव में फैकल्टी ने भेजा दोबारा नया प्रस्ताव

विवि ने यूपीजीईटी-2024 के लिए नोटिफिकेशन जारी करते हुए 22 जून से छात्रों से आवेदन मांगते हुए 12 जुलाई अंतिम तारीख तय कर दी। प्रवेश परीक्षा 28 जुलाई को होनी थी। इसी बीच निजी कॉलेजों के दबाव में फैकल्टी ने पुन: नया प्रस्ताव शासन को भेज दिया। जिस पर प्रमुख सचिव की तरफ से विशेष सचिव श्रीप्रकाश गुप्ता ने आठ जुलाई को एक आदेश फैकल्टी सचिव को भेजा।

जिसमें इंडियन नर्सिंग काउन्सिल के आठ अप्रैल के पत्र का हवाला देते हुए जीएनएम का शैक्षणिक सत्र एक अगस्त से शुरू होने की बात कही गयी। साथ ही सत्र में विलम्ब का कारण गिनाते हुए प्रवेश परीक्षा अगले सत्र से आयोजित कराने को कहा गया। वहीं मौजूदा सत्र में पुरानी प्रक्रिया (हाईस्कूल और इंटर की मेरिट के आधार पर) के जरिए जीएनएम पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने की छूट निजी कॉलेजों को दे डाली।

देर से प्रस्ताव भेजने के पीछे किन अफसरों का हाथ!

मुख्यमंत्री के आदेश पर पिछले साल तय हो गया था कि जीएनएम के लिए प्रवेश परीक्षा होगी। नर्सिंग माफियाओं के दबाव में शैक्षणिक सत्र में विलम्ब की दुहाई देकर इसे पिछले साल स्थगित किया गया। तत्कालीन प्रमुख सचिव आलोक कुमार ने पूरी तैयारी कर ली थी। इस साल भी फैकल्टी ने निजी कॉलेजों के दबाव में प्रवेश परीक्षा का प्रस्ताव देर से भेजा। इसके पीछे किन अफसरों का हाथ है, जांच कराई जानी चाहिए। जबकि इंडियन नर्सिंग काउन्सिल ने पिछले साल ही दिसंबर तक जीएनएम की प्रवेश प्रक्रिया की तिथि बढ़ाई थी।

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