UP News: तेजी से बढ़ी मलाईदार विभागों के कर्मियों की आर्थिक सेहत

योगी सरकार की सख्ती के बावजूद वर्षों से संपत्तियों का ब्यौरा देने में हो रही आनाकानी

Sandesh Wahak Digital Desk/Manish Srivastava: सूबे के मुखिया सीएम योगी आदित्यनाथ अपनी सम्पत्तियों का ब्यौरा सार्वजनिक कर चुके हैं। लेकिन उनकी सरकार के अफसरों और कर्मियों को ऐसा करना तनिक भी गंवारा नहीं है। हाल ही में मुख्य सचिव ने ब्यौरा नहीं देने पर राज्य कर्मियों का वेतन रोकने के आदेश दिए हैं।

इसके बावजूद प्रदेश के कई अहम विभागों के अफसर-कर्मी सम्पत्तियों को छुपाने के मूड में नजर आ रहे हैं। सिर्फ 26 फीसदी ने ब्यौरा दिया है। हालांकि आईएएस और पीसीएस अफसरों की तर्ज पर इन राज्य कर्मियों के सम्पत्ति ब्यौरे को जांचने की पहल करने को कोई तैयार नहीं है।

प्रदेश के प्राधिकरणों में तैनात अफसरों और कर्मियों की आर्थिक सेहत लगातार मजबूत होती जा रही है। एलडीए और नोएडा समेत बड़े प्राधिकरणों में तैनात होने वाले इंजीनियरों से लेकर बाबू तक बेशकीमती भूखंडों और पॉश योजनाओं में आलीशान अपार्टमेंट और होटलों के मालिक तक बन चुके हैं। चतुर्थ श्रेणी कर्मी भी करोड़पति निकल रहे हैं।

कुबेरपति सरकारी कर्मियों और अफसरों की संख्या में हुई बढ़ोत्तरी

पूर्व में आवास विकास परिषद के एक आयुक्त ने बर्खास्त लेखाकार के सहारे सैकड़ों करोड़ की सम्पत्तियां लखनऊ से लेकर कई शहरों में अर्जित की। निर्माण निगम के अधिकांश इंजीनियर अरबपति में शुमार किये जाते हैं। दरअसल कुबेरपति सरकारी कर्मियों और अफसरों की संख्या बीते एक दशक में तेजी से बढ़ी है।

आवास, नगर विकास, औद्योगिक विकास, स्वास्थ्य, राज्य कर, वन, शिक्षा, बिजली, पंचायती राज, सिंचाई, निर्माण निगम, विकास प्राधिकरण, नगर निगम, पशुपालन, स्टाम्प एवं निबंधन, पीडब्ल्यूडी समेत तमाम ऐसे मलाईदार विभागों में ऐसे अफसर अहम तैनातियों पर वर्षों से अंगद के पैर की तरह जमे बैठे हैं।

राज्य कर विभाग (स्टेट जीएसटी) में तकरीबन तीन दर्जन अरबपति अफसरों के खिलाफ आय से अधिक सम्पत्ति की जांच के लिए 2012 में कमिश्नर हिमांशु कुमार ने शासन को पत्र भेजा था। उन्हें भी क्लीनचिट दी गयी। काली कमाई से खूब सम्पत्तियां खरीदी गयी हैं। जांच में फंसने का डर सम्पत्तियों का ब्योरा सार्वजनिक करने की राह में सबसे बड़ा रोड़ा है।

संपत्तियां जब्त करने से एजेंसियों को परहेज

तमाम अफसरों, कर्मियों और इंजीनियरों के खिलाफ घोटालों से लेकर आय से अधिक सम्पत्ति मामले की तमाम जांचें विजिलेंस से लेकर सीबीआई तक कर रही है। इन अफसरों ने निर्माण कार्यों से लेकर विकास योजनाओं में भ्रष्टाचार के सहारे जो अकूत सम्पत्तियां अर्जित की हैं। उनको जब्त करने की पहल ईडी से लेकर विजिलेंस तक करने में नाकाम साबित हो रही हैं।

आईएएस पर संसदीय समिति की डीओपीटी से सिफारिश

पिछले साल संसदीय समिति ने डीओपीटी से आईएएस के सम्पत्ति ब्यौरों को जांचने के लिए तंत्र बनाने की सिफारिश की थी। दस वर्षों में सैकड़ों अफसरों ने ब्यौरों को डीओपीटी में नहीं जमा किया है। यूपी समेत देशभर के आईएएस के खिलाफ आय से अधिक सम्पत्ति मामलों की जांचें एजेंसियां कर रही हैं। सम्पत्ति का स्वघोषित ब्यौरा कितना प्रामाणिक है, इसकी जांच जरुरी है।

 

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