UP: बर्खास्त आईपीएस पाटीदार की बेनामी सम्पत्तियों पर मेहरबानी
उत्तर प्रदेश में खाकी का दामन दागदार करने वाले पुलिस अफसरों के आर्थिक साम्राज्य पर कब चलेगा सरकार का बुलडोजर
Sandesh Wahak Digital Desk : एक तरफ यूपी पुलिस अपराधियों और माफियाओं की अवैध सम्पत्तियों पर बुलडोजर चला रही है। वहीं दूसरी तरफ इन अपराधियों के मददगार अफसरों की बेनामी सम्पत्तियों पर शिकंजा कसने की मुहिम पूरी तरह से ठन्डे बस्ते में है। यूपी पुलिस के इन धनकुबेरों पर भी उतनी ही तेजी से कार्रवाई बेहद जरुरी है। तभी मुख्यमंत्री योगी की ज़ीरो टॉलरेंस की नीति सही मायनों में अपनी छाप छोड़ पाएगी।
महोबा के पूर्व एसपी बर्खास्त आईपीएस मणिलाल पाटीदार का नाम किसी पहचान का मोहताज नहीं है। क्रशर कारोबारी की मौत के मामले में फंसने पर दो साल फरारी काटने के बाद यूपी पुलिस की मेहरबानी से पाटीदार ने कुछ माह पहले सरेंडर किया था। केंद्र सरकार भी इस दागी आईपीएस को बर्खास्त कर चुकी है। एसपी महोबा रहते बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे निर्माण में गिट्टी, मिट्टी सीमेंट, सरिया आदि की ढुलाई में लगे ट्रकों व डम्फरों से तकरीबन 40 पुलिसकर्मियों के गैंग के सहारे पाटीदार ने करोड़ों की काली कमाई की कलंक कथा लिखी थी।
भ्रष्टाचार पर शिकंजा कसने के दावे करते हैं अफसर
राजस्थान के डूंगरपुर समेत कई शहरों में पाटीदार की तकरीबन 60 करोड़ की अवैध सम्पत्तियां बतायी जा रही हैं। आय से अधिक सम्पत्ति की जांच के बावजूद इन सम्पत्तियों को कभी भी जब्त करने की पहल आज तक नहीं की गयी। डीजीपी मुख्यालय से लेकर शासन तक के अफसर खाकी के भ्रष्टाचार पर शिकंजा कसने के दावे करते हैं। लेकिन पाटीदार जैसे दागी पुलिस अफसरों की अवैध सम्पत्तियां जब्त करना उन्हें तनिक भी गंवारा नहीं है।
जिन आईपीएस अफसरों के नाम पशुपालन टेंडर घोटाले में सामने आए थे। उनकी सम्पत्तियां भी खंगालना मुनासिब नहीं समझा गया। नोएडा के पूर्व एसएसपी वैभव कृष्ण ने जिन पांच आईपीएस का कच्चा चिटठा खोला था। उन्हें भी जांच में पहले ही पाक साफ़ करार दे दिया गया है। इसमें आईपीएस अजय पाल शर्मा का नाम प्रमुख है। इसी तरह कानपुर के बिकरू काण्ड में माफिया विकास दुबे के फाइनेंसर जय बाजपेयी के करीबी आईपीएस अनंत देव तिवारी भी बहाल होकर एसटीएफ में पोस्टिंग पा चुके हैं।
घूसखोर पुलिस कर्मियों की संपत्तियों पर भी नजरें नहीं
लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट से लेकर कई शहरों में लगातार घूस लेते पुलिसकर्मी एजेंसियों के द्वारा पकड़े जा रहे हैं। इसके बावजूद इनकी अवैध संपत्तियों को खंगालने की मशक्कत करने में यूपी पुलिस को तनिक भी दिलचस्पी नहीं है।
आईएएस-आईपीएस को खूब लुभाता है रियल एस्टेट का क्षेत्र
यूपी में तमाम आईएएस और आईपीएस अफसरों की अवैध कमाई सबसे ज्यादा रियल एस्टेट के क्षेत्र में लगी है। आयकर विभाग के रडार पर कई बिल्डर हैं। जिनके प्रोजेक्टों में अफसरों ने भारी निवेश कर रखा है। शालीमार गैलेन्ट और सफायर ग्रुप जैसे तमाम उदाहरण सामने हैं। छापेमारियों में उन अफसरों की काली कमाई भी बेनकाब हुई। जो प्रदेश में अहम तैनातियों का जिम्मा संभाले हैं। लेकिन इनकी सम्पत्तियां जब्त करने की जिम्मेदारी निभाना पुलिस, आयकर और ईडी समेत सभी एजेंसियों को तनिक भी गंवारा नहीं है।
मणिलाल पर पहले भी डीजीपी मुख्यालय ने बरसाई थी कृपा
बर्खास्त आईपीएस मणिलाल पाटीदार को गृह मंत्रालय ने काफी पहले बर्खास्त कर दिया था। इसके बावजूद पुलिस के अफसरों ने बर्खास्तगी को छह महीने तक दबाए रखा था। पाटीदार की बर्खास्तगी को दबाने का यह अकेला मामला नहीं है। ऐसा लगता है डीजीपी मुख्यालय के आला अफसर शुरू से ही पाटीदार के मददगार थे। एफआईआर दर्ज होने के बाद भी गिरफ्तारी नहीं की गई। इसके बाद उसने लखनऊ कोर्ट में आराम से सरेंडर किया, किसी को भनक नहीं लगी।
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