UP: किसानों की तो आमदनी बढ़ी नहीं लेकिन अफसर हो गए मालामाल
करोड़ों खर्च करने के बाद भी पिपराइच व मुंडेरवा की चीनी मिल घाटे में
Sandesh Wahak Digital Desk/Rakesh yadav: भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस वाली सरकार और ईमानदार अफसर के हवाले चीनी महकमा होने के बावजूद उत्तर प्रदेश चीनी सहकारी मिल संघ एवं चीनी निगम के अधिकारियों को न तो शासन का कोई डर है और न ही कार्रवाई की कोई चिंता। तभी तो मुख्यमंत्री की महत्वाकांक्षी चीनी मिल परियोजनाओं में शामिल मुंडेरवा और पिपराइच चीनी मिलें करोड़ों के अत्याधुनिक उपकरण लगने के बावजूद घाटे में चल रही हैं। इससे किसानों की आय तो बढ़ी नहीं बल्कि अधिकारी जरूर मालामाल हो गए।
किसानों की आय दुगनी करने और किसानों की आय बढ़ाने के लिये प्रदेश की योगी सरकार ने तीन बड़ी और अत्याधुनिक मशीनों वाली चीनी मिल लगाए जाने का ऐलान किया था। इस परियोजना में गोरखपुर की पिपराइच व बस्ती की मुंडेरवा चीनी मिलें, जो बंद पड़ीं थीं को शामिल किया गया। तीसरी चीनी मिल संघ बागपत जनपद की रमाला थी। इस मिल की गन्ना पेराई की क्षमता 2750 टीसीडी से बढ़ाकर 5000 टीसीडी किये जाने का निर्णय हुआ था।
मुख्यमंत्री की जीरो टॉलरेंस नीति की जमकर उड़ाई गईं धज्जियां
सूत्रों का कहना है कि योगी सरकार ने पूर्वांचल के किसानों को संजीवनी देने के लिए गोरखपुर सहित वर्षों से बंद पड़ी चीनी निगम की दो मिल लगाने के लिए टेंडर निकाले। चीनी मिल लगाने वाली फर्मों का चयन किया गया। इसमें चीनी मिल संघ के अफसरों और परियोजना से जुड़े चीनी निगम के अफसरों ने मुख्यमंत्री की जीरो टॉलरेंस नीति की जमकर धज्जियां उड़ाई गईं।
सूत्रों का कहना है कि रमाला की चीनी मिल परियोजना के लिए मशीनरी आपूर्ति सहित इरेक्शन व सिविल कार्य का ठेका गाजियाबाद की एक फर्म को 310 करोड़ में दे दिया। परियोजना से जुड़े चीनी निगम के अधिकारी ने आला अफसरों के साथ मिलकर रमाला की निविदा दे दी। रमाला के समान तकनीकी स्पेसिफिकेशन पर पिपराइच और मुंडेरवा के समान काम का ठेका 42 करोड़ रुपये प्रति मिल ज्यादा में तय करके उसका ठेका 352 करोड़ रुपये में दे दिया। इसमें अधिकारियों ने जमकर गोलमाल किया। आलम यह है कि करोड़ों रुपए की लागत से चालू हुईं दोनों चीनी मिलें वर्तमान समय में घाटे पर चल रही हैं।
अधिकारियों का दावा, नुकसान में नहीं चीनी मिलें
पिपराइच और मुंडेरवा चीनी मिलों में तमाम आधुनिकीकरण उपकरण लगने के बावजूद मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट की दोनों चीनी मिलें घाटे में चल रही हैं। इन चीनी मिलों को मुख्यमंत्री ने किसानों की आमदनी बढ़ाने और उत्पादन की गुणवत्ता के चलते शुरू कराया था। मुख्यमंत्री के मंसूबों पर अधिकारियों ने पानी फेर दिया है। इस मसले पर जब चीनी निगम के कार्यवाहक प्रबंध निदेशक रमाकांत पांडेय से बात करने का प्रयास किया गया तो कई प्रयासों के बाद भी उनका फोन नहीं उठा। उधर संघ के एक वरिष्ठï अधिकारी का कहना है कि पिपराइच व मुंडेरवा चीनी मिल यदि फायदे में नहीं है तो नुकसान में भी नहीं है। दोनों ही मिलें सामान्य तरीके से संचालित हो रही हैं।
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