UP Corruption: तहसीलों का भ्रष्टाचार बढ़ा रहा राजस्व अफसरों की आर्थिक सेहत

प्रदेश भर की तहसीलों में तैनात लेखपाल से लेकर कानूनगो तक बने करोड़पति, सम्पत्ति का ब्योरा तक देने से परहेज

Sandesh Wahak Digital Desk/Manish Srivastava: राजस्व वादों के मामलों में तारीख पर तारीख की परिपाटी पर एक दिन पहले ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सख्त नाराजगी जताई है। मौजूदा दौर में यूपी के राजस्व न्यायालयों में तकरीबन 18 लाख मुकदमें लंबित हैं। राजस्व संहिता के नियमों में भले इन वादों के निपटारे की समय सीमा निश्चित है। इसके बावजूद वर्षों से मामले लटके हैं। मुख्यमंत्री योगी ने तहसीलों से भ्रष्टाचार खत्म करने के वास्ते कई अहम कदम उठाये हैं। इसके बावजूद राजस्व अफसरों की सबसे निचले स्तर की कड़ी लेखपाल तक कई करोड़ की सम्पत्तियों के मालिक बने बैठे हैं।

ढाई लाख मुकदमे तीन से पांच साल तक की अवधि से लंबित

प्रदेश भर में जमीनों के खेल में राजस्व अफसरों का कोई सानी नहीं है। इनसे सम्पत्तियों का ब्योरा तक लेने में आनाकानी होती है। आंकड़ों के मुताबिक राजस्व न्यायालयों में बीते सितंबर माह के अंत तक ढाई लाख मुकदमे तीन से पांच साल तक की अवधि से लंबित हैं। वहीं तीन लाख से ज्यादा मुकदमें एक से तीन वर्ष तक के हैं। राजस्व अफसरों को दाखिल-खारिज से लेकर पैमाइश, वरासत और जमीन के बंटवारे से संबंधित मामले खूब लुभाते हैं। तभी पौने दो लाख से अधिक मुकदमें पांच वर्ष से अधिक समय से राजस्व न्यायालयों में अपने निस्तारण के इन्तजार में हैं।

डिफेन्स कॉरिडोर में कानूनगो जितेंद्र सिंह की कारगुजारियां सामने आयी

सिर्फ राजधानी लखनऊ के राजस्व न्यायालयों में पिछले माह के अंत तक करीब 43 हजार वाद लंबित थे। कानूनगो और लेखपाल जैसे राजस्व अफसरों की गलत रिपोर्ट भी अक्सर मामलों को खूब विवादित बनाती है। इन अफसरों ने सरकारी प्रोजेक्टों के दायरे में आने वाली जमीनों से खूब कमाई की है। जैसे डिफेन्स कॉरिडोर में कानूनगो जितेंद्र सिंह की कारगुजारियां सामने आयी थी। जितेंद्र सिंह को लखनऊ के एक पूर्व डीएम का सबसे खास सिपहसालार करार दिया जाता है।

पूर्व राजस्व अधिकारी विवेकानंद डोबरियाल

 

लखनऊ डीएम द्वारा 30 करोड़ आरसी का मामला सुर्खियों में रहा

इस अफसर की छत्रछाया में खुलेआम लूट होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। आय से अधिक सम्पत्ति मामले में फंसे पूर्व राजस्व अधिकारी विवेकानंद डोबरियाल की अकूत सम्पत्तियों पर एजेंसियां आज भी मेहरबान नजर आ रही हैं। सरोजिनीनगर तहसील की 60 करोड़ की जमीन में फर्जीवाड़ा करने वाले एक बर्खास्त लेखपाल सुशील शुक्ला को लखनऊ डीएम द्वारा 30 करोड़ आरसी का मामला सुर्खियों में रहा।

लेकिन ऐसे कई राजस्व कर्मी लखनऊ से लेकर प्रदेश के बाकी जिलों में लम्बे समय से मलाईदार कुर्सियों से चिपके हैं। तहसीलों में तकनीक के सहारे भ्रष्टाचार खत्म करने के कई प्रयास योगी सरकार में लगातार हुए हैं। इसके बावजूद बिना रिश्वत तहसीलों में काम कराना आम आदमी से लेकर वकीलों के लिए तक टेढ़ी खीर जैसा है।

संजय प्रसाद, प्रमुख सचिव

 

बाहरियों के सहारे दलाली के खेल से शासन भी वाकिफ 

प्रदेश भर की तहसीलों में राजस्वकर्मियों ने मोटी कमाई करने के लिए बाहरियों को काम पर रखा था। सरकारी फाइलें इन्ही बाहरियों के जिम्मे थमाई जाती थी। सरोजिनीनगर तहसील में वकीलों के बवाल के बाद खुद मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव संजय प्रसाद ने आदेश जारी करके तहसीलों में बाहरियों से कार्य कराने पर सख्त कार्रवाई के आदेश जारी किये थे।

आलीशान बंगलों से लेकर तमाम लग्जरी गाड़ियां

लखनऊ की तहसीलों में लम्बे समय तक तैनात रहे लेखपाल भ्रष्टाचार की कमाई से करोड़पति बन गए हैं। तमाम चर्चित लेखपालों के किस्से तो खुद अफसर सुनाते हैं। चल-अचल सम्पत्तियां अर्जित करने वाले लेखपालों की हैसियत 10 करोड़ के पार पहुंच चुकी है। आलीशान बंगलों से लेकर लग्जरी गाडिय़ां इनकी पहचान है। अब प्रॉपर्टी के धंधे में भी हाथ आजमा रहे हैं। अधिकतम तीन साल की तैनाती के नियम की खुलेआम धज्जियां उड़ती हैं।

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