UP: क्लोन एप बना घर बैठे कर्मियों की उपस्थिति दिखाने के नाम पर वसूली

एप पर दर्ज है यूपीआई और मोबाइल नंबर, जीपीएस एम्यूलेटर की मदद से किया जा रहा फ्रॉड

Sandesh Wahak Digital Desk: यूपी सरकार की इमरजेंसी एंबुलेंस सेवा 108 एवं 102 साइबर जालसाजों की रडार पर है। एंबुलेंस सेवा के कर्मियों की उपस्थिति दर्ज कराने के लिए बनाई गई एप का क्लोन बनाकर जालसाज सेंध लगा रहे हैं।

एप पर मोबाइल नंबर और यूपीआई फीड कर जालसाज जीपीएस एम्यूलेटर की मदद से घर बैठे कर्मचारियों की उपस्थिति दर्ज कराने के नाम पर ठगी कर रहे हैं। मामला गंभीर देख साइबर क्राइम थाना पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है। इंस्पेक्टर बृजेश कुमार यादव ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है।

संस्था यूपी में 108,102 और 1962 सेवाओं का पीपीपी मॉडल के तहत संचालन

ईएमआरआई ग्रीन हेल्थ सर्विसेज संस्था के सीनियर मैनेजर राजकमल राय ने बताया कि संस्था यूपी में 108, 102 और 1962 सेवाओं का पीपीपी मॉडल के तहत संचालन करती है। प्रदेश में चल रही एंबुलेंस सेवाओं के कर्मचारियों को अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए जीवीके ईएमआरआई नाम से मोबाइल एप बनाई गई है।

उक्त एप जीपीएस की मदद से लोकेशन संग कर्मचारी को उपस्थिति लगाने की निशुल्क अनुमति देता है। उन्होंने बताया कि सूचना मिली एप को हैक कर लिया गया है। मोबाइल एप में छेड़छाड़ कर कुछ कर्मचारियों को फर्जी तरीके से उपस्थिति दर्ज कराने की अनुमति दी जा रही है। बताया जा रहा है कि यह स्थिति एप की क्लोनिंग के कारण हुई।

सीनियर मैनेजर ने जानकारी की तो प्लेस्टोर पर एप का एक लिंक मिला। मोबाइल नंबर और यूपीआई के माध्यम से कम्पनी कर्मियों से संपर्क कर जीपीएस बेस्ड उपस्थिति व्यवस्था को जीपीएस एम्यूलेटर की मदद से किसी अन्य स्थान से बिना ड्यूटी पर आए ही उपस्थिति दर्ज करने की अनुमति दी जा रही है। इसके एवज में जालसाज कर्मचारियों से वसूली कर रहा है।

टेक्निकल टीम ने उन्हें जानकारी दी कि अगर इसपर ब्रेक नहीं लगाया गया तो यूपी में इमरजेंसी सेवाओं के लिए दिक्कत होगी। मामला गंभीर देख सीनियर मैनेजर ने साइबर क्राइम थाने में अज्ञात के खिलाफ धोखाधड़ी, आईटी एक्ट समेत गंभीर धाराओं में रिपोर्ट दर्ज कराई है।

टेक्निकल टीम को मिले यह तथ्य

संस्था की टेक्निकल टीम ने जांच की तो कई तथ्य चौंकाने वाले मिले। क्लोन एप को डिवाइस आईडी/उपयोगकर्ता नाम और वैधता के साथ सेट किया गया है। उपयोगकर्ता को एक माह या तीन माह जैसी अवधि के लिए क्लोन एप डेवलपर को राशि का भुगतान करना होगा।

धोखाधड़ी के लिए जीपीएस एम्यूलेटर का इस्तेमाल किया जा रहा है, जो क्लोन एप उपयोगकर्ताओं को मोबाइल में डेवलपर विकल्प का इस्तेमाल करने की अनुमति दे रहा है। जीपीएस एम्यूलेटर से एंबुलेंस में स्टाफ मौजूद नहीं है, लेकिन फिर भी उसकी उपस्थिति दर्ज हो रही है।

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