UP: बसपा ने घोषित किए महापौर प्रत्याशी, सपा के वोट बैंक में सेंध की कोशिश
Sandesh Wahak Digital Desk : बसपा ने अगले माह दो चरणों में होने वाले नगर निकाय चुनावों में महापौर के पदों के लिए 64 फीसद से ज्यादा मुस्लिम उम्मीदवार उतारकर न केवल राज्य की करीब 20 फीसद मुस्लिम आबादी को साधने की कोशिश की है। बल्कि समाजवादी पार्टी (सपा) के परंपरागत वोट बैंक में बिखराव की संभावना भी बढ़ा दी है।
राजनीतिक जानकारों की माने तो 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए मुसलमानों के बीच पैठ बनाने की ये बसपा की एक रणनीति मान रहे हैं। उनका यह भी कहना है कि इससे सपा के परम्परागत मुस्लिम वोट बैंक में बिखराव हो सकता है। वहीं, सपा और कांग्रेस ने इसे वोट काटने की रणनीति करार दिया है।
वर्ष 2017 में महापौर की 16 सीट में से 14 पर भाजपा और दो पर बसपा जीती थी और सपा एक भी सीट नहीं जीत पाई थी।
- लखनऊ- दिनेश शर्मा (BJP) अब संयुक्ता भाटिया (BJP)
- गोरखपुर- डॉ सत्या पांडेय (BJP) अब सीताराम जायसवाल (BJP)
- गाजियाबाद- आशु कुमार (BJP) अब आशा शर्मा (BJP)
- वाराणसी- रामगोपाल मोहले (BJP) अब मृदुला जायसवाल (BJP)
- सहारनपुर- पहली बार निगम चुनाव- संजीव वालिया (BJP)
- फिरोजाबाद- पहली बार निगम चुनाव- नूतन राठौर (BJP)
- आगरा- इंद्रजीत आर्य (BJP) अब नवीन जैन (BJP)
- झांसी- किरण वर्मा (BJP) अब रामतीर्थ सिघंल (BJP)
- इलाहाबाद- अभिलाषा गुप्ता (BSP) अब अभिलाषा गुप्ता (BJP)
- मेरठ- हरीकांत अहूलवालिया (BJP) अब सुनीता वर्मा (BSP)
- अयोध्या- पहली बार निगम चुनाव- ऋषिकेश उपाध्याय (BJP)
- मथुरा- पहली बार निगम चुनाव- मुकेश आर्य (BJP)
- अलीगढ़- शकुंतला देवी (BJP) अब मोहम्मद फुरकान (BSP)
- बरेली- डॉ आइएस तोमर (निर्दलीय) अब उमेश गौतम (BJP)
- कानपुर- जगतसिंह द्रोण (BJP) अब प्रमिला पांडे (BJP)
- मुरादाबाद- विनोद अग्रवाल (BJP) अब विनोद अग्रवाल (BJP)
बसपा के एक नेता ने कहा कि पार्टी ने उप्र में चार मई और 11 मई को होने वाले निकाय चुनाव में नगर निगमों के महापौर की 17 सीट में से 11 सीट पर (64 फीसद से ज्यादा) मुस्लिम उम्मीदवार उतारकर मुस्लिम हितैषी होने का संदेश दिया है।
चौधरी ने बसपा को भाजपा की ‘बी’ टीम बताया
वहीं, सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने कहा, ‘एक-एक मतदाता जानता है कि बसपा ने मुसलमानों को इतने टिकट क्यों दिए। वह खुद तो जीत नहीं सकती, इसलिए किसी और के इशारे पर ऐसा किया है।’ चौधरी ने बसपा को भाजपा की ‘बी’ टीम बताया और कहा कि यह वोट काटने की उसकी रणनीति है, लेकिन अब सभी उसकी चाल से वाकिफ हो गए हैं।
बसपा ने लखनऊ, मथुरा, फिरोजाबाद, सहारनपुर, प्रयागराज, मुरादाबाद, मेरठ, शाहजहांपुर, गाजियाबाद, अलीगढ़ और बरेली नगर निगमों में महापौर पद के मुस्लिम उम्मीदवार खड़े किए हैं। वहीं, सपा और कांग्रेस ने सिर्फ चार-चार मुस्लिम उम्मीदवारों पर दांव लगाया है। भाजपा ने महापौर की किसी भी सीट पर मुस्लिम उम्मीदवार नहीं उतारा है।
बसपा की अपेक्षा सपा में कम मुसलमान उम्मीदवार होने पर चौधरी ने कहा कि सपा सबको साथ लेकर चलने वाली पार्टी है और उसी के अनुरूप कार्य करती है।
कांग्रेस के प्रांतीय अध्यक्ष और पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने कहा, ‘मुझसे ज्यादा बहन जी (मायावती) और बसपा को कोई नहीं जानता है। जब-जब इस तरह का खेल खेला गया, तब-तब पार्टी (बसपा) का सफाया हुआ और मुसलमानों का भी।’
सिद्दीकी लंबे समय तक मायावती के करीबी माने जाते रहे
उन्होंने कहा कि जिसका जितना हक है, उतना दो, किसी एक समाज का इतना वोट नहीं कि वह अकेले दम पर जीत जाए। सिद्दीकी ने कहा कि ‘उत्तर प्रदेश में 20 फीसदी मुसलमानों की आबादी है और हमने 17 में से चार मुस्लिम उम्मीदवार देकर 23 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी दी है’। कांग्रेस में शामिल होने से पहले सिद्दीकी लंबे समय तक मायावती के करीबी माने जाते रहे और उनकी सरकार में महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री रहे।
बसपा ने 2022 के विधानसभा चुनाव में 12 फीसदी मत पाकर राज्य की 403 विधानसभा सीट में से सिर्फ एक सीट जीती थी। बाद में, बसपा प्रमुख मायावती ने मुसलमानों को प्रभावित करने की मुहिम शुरू की। पिछले कुछ महीनों में मुसलमानों के मामलों में वह सर्वाधिक मुखर रही हैं, यहां तक कि उन्होंने 15 अप्रैल को प्रयागराज में पुलिस अभिरक्षा में हुई माफिया एवं पूर्व सांसद अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या पर भी राज्य सरकार और कानून-व्यवस्था को कठघरे में खड़ा किया।
बसपा के एकमात्र विधायक उमा शंकर सिंह ने रविवार को कहा था कि शाइस्ता परवीन अभी भी पार्टी में हैं और अगर उन्हें दोषी ठहराया जाता है, तो उन्हें पार्टी से निकाल दिया जाएगा।
Also Read :- 12वीं में पास हुए BJP के पूर्व विधायक Pappu Bhartaul, अब बनेंगे वकील