UP: बृजभूषण शरण सिंह बोले- संजय सिंह WFI अध्यक्ष हैं, उनको कोई नहीं हटा सकता
Sandesh Wahak Digital Desk : कैसरगंज से भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने 22 जनवरी को अयोध्या में आयोजित होने वाले राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में विपक्षी दलों के नेताओं को आमंत्रित किये जाने का विरोध किया है।
सिंह ने मंगलवार की शाम सफदरगंज क्षेत्र के रसौली में आयोजित एक कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं से विपक्ष को प्राण प्रतिष्ठा समारोह में बुलाये जाने से जुड़े एक सवाल पर कहा, ‘जिस विपक्ष ने कदम-कदम पर मंदिर बनने में रोड़े खड़े किये। उन्हें अयोध्या में कतई नहीं बुलाना चाहिये’।
उन्होंने कहा, ‘विपक्षी दल वही लोग हैं जो पहले भाजपा पर निशाना साधते हुए कहते थे कि रामलला हम आयेंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे लेकिन तारीख नहीं बताएंगे’।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पार्टी की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी को 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए निमंत्रण मिला है। सूत्रों के मुताबिक श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के एक प्रतिनिधिमंडल ने कांग्रेस नेताओं को निमंत्रण दिया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कलियुग में त्रेता युग लेकर आये
भाजपा सांसद ने कहा कि ‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कलियुग में त्रेता युग लेकर आये हैं। उन्होंने इन दोनों युगों के बीच का अंतर समाप्त कर दिया है। आज घर-घर राम आ रहे हैं। पूरे देश में केवल भगवान श्रीराम और राम मंदिर की चर्चा हो रही है। पिछले 500 वर्षों का सपना पूरा हो रहा है’।
सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी के अयोध्या से चुनाव लड़ने की अटकलों को सिरे के खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर ही पूरे देश में भाजपा चुनाव लड़ती है। उनका ही एजेंडा है, इसलिये उन्हें ऐसा नहीं लगता कि मोदी अयोध्या लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगे। सिंह ने कहा कि आज देश में कोई भी ऐसा नेता नहीं है, जिसकी चुनावी नैया बिना प्रधानमंत्री मोदी का नाम लिये पार हो जाए।
भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व प्रमुख ने खेल मंत्रालय द्वारा संघ की नयी कार्यकारिणी को निलंबित किये जाने के बारे में पूछे गये सवाल पर कहा ‘मैं 12 वर्षों तक कुश्ती संघ का अध्यक्ष रहा हूं। अब मेरा कुश्ती संघ से कोई लेना देना नहीं है। संजय सिंह चुने हुए अध्यक्ष हैं। उनको कोई नहीं हटा सकता’।
उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर हुए चुनाव के बाद नयी कार्यकारिणी चुनी गयी है, इसलिये उसे हटाने का किसी को अधिकार नहीं है। वह आज भी अपना काम कर रही है।