उत्तराखंड विधानसभा में पास हुआ UCC बिल, समान कानून लागू करने वाला बना पहला राज्य
Uniform Civil Code Bill: उत्तराखंड विधानसभा सत्र के दौरान चर्चा के बाद समान नागरिक संहिता बिल (UCC) पास हो गया है। ऐसे में यूसीसी लागू करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है।
UCC बिल को प्रस्तावित करते समय सीएम धामी ने कहा कि हमारे संविधान निर्माताओं ने जो सपना देखा था। वह समय अब आ गया है। सपनों को जमीन पर उतारने का समय आ गया है। उन्होंने कहा कि हम इतिहास रचने जा रहे हैं। देश के अन्य राज्यों को भी उसी दिशा में आगे बढ़ाना चाहिए।
UCC बिल पर अब आगे क्या होगा?
समान नागरिक संहिता बिल पास होने के बाद अब इसे राज्यपाल के पास भेजा जाएगा। राज्यपाल की स्वीकृति मिलते ही ये कानून बन जाएगा। इससे राज्य के सभी लोगों पर समान कानून लागू हो जाएंगे। हालांकि अनुसूचित जनजाति के लोगों पर इसके प्रावधान लागू नहीं होंगे। समान नागरिक संहिता का वादा बीजेपी ने 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान किया था।
उत्तराखंड में धामी की सरकार बनने के बाद यूसीसी को लेकर समिति बनाई गई थी। इस समिति ने लाखों सुझावों के बाद यूसीसी का ड्राफ्ट तैयार किया था। ये कानून लागू होने के बाद उत्तराखंड देश का पहला ऐसा राज्य होगा। जहां समान नागरिक संहिता का कानून लागू होने जा रहा है।
समान नागरिक संहिता बिल की प्रमुख बातें-
संपत्ति समान का अधिकार : धामी सरकार द्वारा तैयार यूसीसी बिल में बेटे और बेटी दोनों के लिए संपत्ति में समान अधिकार सुनिश्चित किया गया है। सभी श्रेणियों के बेटों और बेटियों को संपत्ति में समान अधिकार दिए गए हैं।
बच्चों के बीच खत्म होंगी दूरियां : यूसीसी विधेयक का उद्देश्य संपत्ति के अधिकार के संबंध में जायज और नाजायज बच्चों के बीच के अंतर को खत्म करना है। अवैध संबंध से होने वाले बच्चे भी संपत्ति में बराबर के हक होंगे।
बच्चों में समानता: यूसीसी विधेयक में गोद लिए गए, सरोगेसी के जरिए पैदा हुए या सहायक प्रजनन तकनीक के माध्यम से पैदा हुए बच्चों के बीच कोई अंतर नहीं होगा।
समान संपत्ति का अधिकार: किसी शख्स की मौत के उपरांत पति/पत्नी और बच्चों को समान संपत्ति का अधिकार दिया गया है। इसके अलावा मृत व्यक्ति के माता-पिता को भी संपत्ति में समान अधिकार जाएगा। पिछले कानून में मृतक की संपत्ति में सिर्फ मां का ही अधिकार था।
UCC के अन्य उद्देश्य
रिपोर्टों के अनुसार, विधेयक का मसौदा तैयार करने वाली कमेटी की अन्य प्रमुख सिफारिशों में एक से ज्यादा शादी और बाल विवाह पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है। सभी धर्मों में लड़कियों के लिए एक समान विवाह योग्य आयु और तलाक के लिए समान आधार और प्रक्रियाओं का पालन करना होगा।