Timecity Scam: साइनसिटी के पदचिन्हों पर टाइमसिटी, डेढ़ हजार निवेशक फसें
आरबीआई का सार्टिफिकेट भी फर्जी, पांच सौ करोड़ के घोटाले का अनुमान
Sandesh Wahak Digital Desk : उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल और अवध क्षेत्र में फ्राड की बैंकिंग करने वाले अंबेडकरनगर निवासी पंकज पाठक की कंपनियों का विस्तार और पदचिन्ह साइनसिटी की तरह हो रहा था। डेढ़ हजार निवेशकों से सैकड़ों करोड़ जमा कराकर पंकज पाठक निवेशकों की पहुंच से बाहर हैं।
पंचम तल के आदेश पर 18 आरोपियों के खिलाफ मुकदमा तो दर्ज हो गया, लेकिन गुडंबा पुलिस निष्क्रिय है। राजधानी में रहते हुए पंकज पाठक ने एक हफ्ते पहले करोड़ों की जमीनें भी बेच डाली। निवेशकों ने बताया कि पंकज पाठक ने रिजर्व बैंक आफ इंडिया प्रमाणपत्र भी दिखाया था। लेकिन बाद में पता चला कि यह प्रमाणपत्र भी फर्जी है।
निवेशकों के मुताबिक टाइमसिटी का सिलसिला बिल्कुल साइनसिटी की तर्ज पर चल रहा था। शुरू में कोई सोंच भी नहीं सकता था कि टाइमसिटी इतना बड़ा फ्राड हो सकता है। जिला मुख्यालयों में बैंकों की स्थापना के बाद टाइमसिटी ने तहसीलों और छोटे-छोटे बाजारों में शाखाएं खोलकर शाखा प्रबंधक बैठा दिए थे।
निवेशकों से अब तक 500 करोड़ रुपये का घोटाला
सहारा इंडिया की तर्ज पर प्रतिदिन करोड़ों रुपए छोटे-छोटे धन के रूप में बैंक खातों में जमा हो रहे थे। खुलासा तब हुआ जब मेच्योरिटी का समय आने लगा। किसी निवेशक का एक भी पैसा वापस नहीं हुआ है। निवेशकों से पांच सौ करोड़ रुपए जमा कराए जा चुके हैं। निवेशकों के घरों में बवाल मचा हुआ है। लोग ठगा महसूस कर रहे हैं। भाइयों और बहनों की शादियां रुक गई हैं। एक निवेशक ने बताया कि उसकी जहर खाने की स्थिति आ गई है।
पंकज पाठक की पुलिस और प्रशासन में इतनी पकड़ थी कि सैकड़ों निवेशकों ने तहरीर थानों में दी, लेकिन कहीं भी मुकदमा नहीं दर्ज हुआ। किसी तहर पंचम तल तक पहुंच बनाकर फरियाद लगाई गई तब जाकर एक मुकदमा दर्ज हो सका है। निवेशकों ने बताया कि पंकज पाठक एवं उसकी टीम ने करोड़ों रुपए जमीनों में इन्वेस्ट कर रखा है। एक एक कर सभी जमीनें बेची जा रही हैं। निवेशक को कुछ नहीं दिया जा रहा है। अगर कोई पंकज पाठक तक पहुंच भी जाता है तो वह निवेशकों को बाउंसरों से पिटवाता है।
आरबीआई की लिस्ट में नहीं है कंपनी का नाम
इस तरह की सेवाओं के लिए आरबीआई से नान बैंकिंग फाइनेंस कंपनी से पंजीकरण कराना पड़ता है। इस समय आरबीआई के अंतर्गत 9356 संस्थाएं हैं। उसमें भी टाइम सिटी का नाम नहीं है। आरबीआई ने अभी तक 5628 संस्थाओं को बाहर कर दिया। जिन संस्थाओं को बाहर किया गया उन संस्थाओं की लिस्ट में भी टाइमसिटी का नाम नहीं है। इसका अर्थ यह है कि प्रमाणपत्र भी फर्जी दिखाया गया।
कंपनी में इनको बांट रखे थे बड़े बड़े पद
- पंकज पाठक – कंपनी हेड
- संतोष सिंह – डायरेक्टर
- गुलाब चंद्र मौर्य – डायरेक्टर
- अवनीश त्रिपाठी – डायरेक्टर
- हरिशंकर पांडेय – डायरेक्टर
- अजीत यादव – डायरेक्टर
- राहुल पांडेय – डायरेक्टर
- सचिन शमा – डायरेक्टर
- सुशीला यादव – डायरेक्टर
- बेबी पाठक – (कंपनी हेड की पत्नी) एचआर हेड
- सूर्यभान सिंह – प्रबंधक
- रीना शुक्ला – क्षेत्रीय प्रबंधक
- आलोक श्रीवास्तव – मार्केटिंग मैनेजर
- प्रेममोहन मौर्य – मार्केटिंग मैनेजर
- राजेंद्र यादव – प्रबंधक गोरखपुर जोन