उत्तर प्रदेश में फर्जी फर्मों से हजारों करोड़ के राजस्व की तगड़ी चपत
कबाड़ियों और रिक्शा संचालकों को भी जालसाजों ने बनाया शिकार, राज्य कर और सेंट्रल जीएसटी फर्जीवाड़े को रोकने में नाकाम
Sandesh Wahak Digital Desk : उत्तर प्रदेश में अरबों की जीएसटी चोरी बेहद शातिराना अंदाज में हो रही है। इस काले धंधे में हजारों फर्जी फर्में शामिल हैं हाल ही में नोएडा में जिस गैंग को पुलिस ने पकड़ा था, उसने ही तकरीबन 15 हजार करोड़ के फर्जीवाड़े की कलंक कथा लिख रखी है। जिसके बाद राज्य कर और सेंट्रल जीएसटी के अफसरों ने संयुक्त छापेमारी अभियान जरूर शुरू किया है। लेकिन ये कवायद सिर्फ ऊंट के मुंह में जीरे के समान नजर आ रही है।
हाल ही में आयकर विभाग और सेंट्रल जीएसटी के अफसरों की संयुक्त कार्रवाई से कानपुर में कबाड़ का काम करने वालों और रिक्शा चलाने वाले कई सौ गरीबों के साथ बड़ी ठगी का पर्दाफाश हुआ है। जिसमें खुलासा हुआ कि 100 करोड़ से ऊपर का ट्रांजैक्शन और 250 करोड़ से ऊपर के फर्जी बिलों का खेल किया गया। कबाड़ मंडी में मौजद स्क्रैप और बैटरी डीलरों के साथ बाकी व्यापारियों को फर्जी बिलों के साथ ही फर्जी आईटीसी क्लेम और जीएसटी में रिबेट लिया गया।
बिजनौर जैसे छोटे जिले में सैकड़ों फर्जी फर्म
जीएसटी चोरी के इस धंधे के तार सुनियोजित और संगठित तरीके से यूपी भर में फैले हैं। गरीबों के दस्तावेज लेकर उन्हें दस हजार रुपए प्रति माह देने का वादा किया गया था। ये सिर्फ एक प्रकरण नहीं है बल्कि सिर्फ बिजनौर जैसे छोटे जिले में सैकड़ों फर्जी फर्मों ने तीन सौ करोड़ से ऊपर का खेल इसी अंदाज में कर डाला। जिसकी जांच जारी है। राज्य कर और सेंट्रल जीएसटी के निशाने पर तकरीबन 15 हजार फर्में हैं। जिन्होंने राजस्व की तगड़ी चपत सरकार को लगाई है।
ये फर्जीवाड़ा लम्बे समय से जारी है। इसके बावजूद अफसरों के पास ऐसा कोई मैकेनिज्म नहीं है, जिससे फर्जी फर्मों का धंधा रोका जा सके। नोएडा के खेल के बाद डायरेक्टरेट जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलिजेंस पश्चिमी उत्तर प्रदेश और दिल्ली की 2660 फर्जी कंपनियों के बारे में जानकारी जुटा रही है। इस कार्रवाई में विभिन्न कर एजेंसियों के साथ कोआर्डिनेशन, एनालिसिस ऑफ सप्लाई चेन, फर्जी फर्मों को निरस्त करने और चोरी की गई जीएसटी को वसूली करने की कार्रवाई की जाएगी। इसमें 60 अधिकारियों की टीम लगी हुई है।
बैंक अफसरों की साठ-गांठ से बिना केवाईसी खुल रहे खाते
राज्य कर विभाग के एक बड़े अफसर के मुताबिक, छापेमारी के दौरान व्यापार स्थल के लिए वास्तविक रेंट एग्रीमेंट, दूसरे के आधार कार्ड के सहारे जीएसटी की चोरी की जा रही है। संदिग्ध डेटा का विश्लेषण कराया जा रहा है। हालांकि बैंकों की जिम्मेदारी हमसे कहीं ज्यादा है। आखिर बैंकों में बिना केवाईसी सत्यापन के फर्जी फर्मों के खाते क्यों खोले जा रहे हैं। मतलब साफ है कि बैंक अफसर भी इस खेल में शामिल हैं।
राज्य कर के निशाने पर 12 हजार से अधिक संदिग्ध फर्में
छापेमारी के दौरान जीएसटी चोरी करने वालों में सर्वाधिक फर्में पश्चिमी यूपी की हैं। सेंट्रल और स्टेट जीएसटी द्वारा शुरू संयुक्त अभियान में 12 हजार से अधिक संदिग्ध फर्में निशाने पर हैं। एक अफसर के मुताबिक 128 फर्जी फर्में पकड़ी गयी हैं। 75 फर्में पश्चिम यूपी के शहरों से जुड़ी हैं। 70 करोड़ से अधिक की टैक्स चोरी खुली है। 16 कंपनियों का आईटीसी ब्लाक कर दिया गया है।
Also Read : बलिया जिला अस्पताल में मरीजों की मौत से बढ़ी सियासी हलचल, अखिलेश यादव ने कही ये बड़ी बात